सरकारी स्कूल के कमरों पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कब्जा, पेड़ों के नीचे चल रही कक्षाएं
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सरकारी स्कूल के कमरों पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कब्जा, पेड़ों के नीचे चल रही कक्षाएं

  एक तरफ राज्य सरकार सरकारी स्कूलों में सुविधाएं बढ़ाने और बेहतर शिक्षा प्रणाली के दावे कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ नागौर जिले के खींवसर में एक सरकारी स्कूल ऐसा है जहां देश के भविष्य को पेड़ों के नीचे बैठकर पढ़ना पड़ रहा है. स्कूल के शिक्षक पेड़ के नीचे बच्चों की कक्षाएं लगा रहे हैं.

सरकारी स्कूल के कमरों पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कब्जा, पेड़ों के नीचे चल रही कक्षाएं

नागौर:  एक तरफ राज्य सरकार सरकारी स्कूलों में सुविधाएं बढ़ाने और बेहतर शिक्षा प्रणाली के दावे कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ नागौर जिले के खींवसर में एक सरकारी स्कूल ऐसा है जहां देश के भविष्य को पेड़ों के नीचे बैठकर पढ़ना पड़ रहा है. स्कूल के शिक्षक पेड़ के नीचे बच्चों की कक्षाएं लगा रहे हैं. वहीं, स्कूल के कमरों पर सीबीईओ कार्यालय ने कब्जा जमा लिया है. पिछले लंबे समय से यहां अपना कार्यालय संचालित कर रहे हैं.

वहीं, धूप-बारिश और गर्मी की तपन के बीच स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे अपना और देश का भविष्य बना रहे है. ये नजारा खींवसर की राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय का है. जहां सीबीईओ कार्यालय होने की वजह से बच्चों को बाहर पेड़ों की छांव में पढ़ाई करनी पड़ रही है. 

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2009 में यह भवन राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय के नाम से बनाया गया था. तब बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय कस्बे की गणेश गली के अंदर एक भवन में संचालित होती थी. लेकिन राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय के क्रमोन्नत होने के बाद 2021 में इस भवन को स्कूल के लिए दिया गया था.

2022 में यह विद्यालय राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत हो गया था जबकि इस भवन में पहले से 2017 में सबसे पहले पंचायत समिति खींवसर का ऑफिस बनाया गया था, बाद में पंचायत समिति की बिल्डिंग बन गई. पंचायत समिति कार्यालय अपने भवन में शिफ्ट हो गया था, लेकिन इसी दौरान इस खाली पड़े स्कूल भवन में सीबीईओ कार्यालय ने अपना कार्य शुरू कर दिया.

 

स्कूल में पढ़ते हैं 350 बच्चे

इस दौरान बिल्डिंग में बने 7 कमरों में से एक कमरे के अंदर महिला बाल विकास कार्यालय भी यहीं पर चल रहा था. 2021 में महिला बाल विकास कार्यालय के लिए अलग से जगह दे दी गई थी तब से महिला बाल विकास कर्मचारियों ने स्कूल का एक कमरा खाली कर दिया. अभी वर्तमान में इस स्कूल भवन में कक्षा 1 से लेकर 12 तक कक्षाएं लगती है, जिसमें करीब 350 बच्चे पढ़ाई करते हैं. 7 कमरों में से अभी भी दो कमरों में सीबीईओ कार्यालय के कर्मचारी बैठते हैं. पीछे बचे 5 कमरों में से एक कमरे के अंदर प्राचार्य का ऑफिस बना है, तो एक कमरे को शिक्षक का स्टॉफ रुम बना दिया गया. अब स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे जाए तो भला कहां. ऐसे में स्कूल के बच्चों को पेड़ की छांव के नीचे ही बैठकर कक्षाएं लगाई जाती है.

अधिकारियों ने जांच का दिया भरोसा

हमारे पास उपखंड मुख्यालय पर भवन का दूसरा कोई विकल्प नहीं है इसके बारे में उच्च अधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है. स्कूल के यहां स्थानांतरित होने के बाद हमने पंचायत समिति में पड़े रिक्त कमरों में जगह देने की मांग की थी, लेकिन वहां हमें कमरे नहीं मिले. मुख्यालय पर कोई भी सरकारी भवन खाली नहीं होने की स्थिति में उच्च अधिकारियों से ऑफिस के लिए किराए का भवन दिलवाने की बात की है. जिसकी प्रक्रिया जारी है.

2021 में जब हम यहां आए थे उस समय सभी कमरे सीबीईओ कार्यालय में काम लिया जा रहे थे स्कूल में बच्चों के बिठाने के लिए प्रयाप्त कमरे नहीं है. 12 कक्षाओं में 7 कमरे हैं, जिनमें से 2 कमरों पर सीबीईओ कार्यालय चल रहा है. जिसके बारे में उच्च अधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है.

Reporter- Hanuman Tanwar

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