Merta: संस्कार निर्माण और अभ्यास के साथ आगे बढ़ रही है वीर तन सिंह की विचारधारा
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Merta: संस्कार निर्माण और अभ्यास के साथ आगे बढ़ रही है वीर तन सिंह की विचारधारा

मेड़ता रोड में संपन्न किए जा रहे चार दिवसीय क्षत्रिय युवक संघ प्राथमिक प्रशिक्षण शिविर में वीर योद्धा तन सिंह के विचारों को युवाओं तक पहुंचा कर क्षत्रिय धर्म निभाने की प्रेरणा दी जा रही है. 

Merta: संस्कार निर्माण और अभ्यास के साथ आगे बढ़ रही है वीर तन सिंह की विचारधारा

Merta: नागौर के मेड़ता रोड में संपन्न किए जा रहे चार दिवसीय क्षत्रिय युवक संघ प्राथमिक प्रशिक्षण शिविर में वीर योद्धा तन सिंह के विचारों को युवाओं तक पहुंचा कर क्षत्रिय धर्म निभाने की प्रेरणा दी जा रही है. 

मेड़ता उपखंड के मेड़ता रोड ग्राम पंचायत स्थित में आयोजित चार दिवसीय क्षत्रिय युवक संघ प्राथमिक प्रशिक्षण शिविर के संचालक गजेंद्र सिंह आऊ ने युवाओं को वीर योद्धा तन सिंह की जीवन शैली एवं विचारधाराओं से अवगत कराते हुए कहा कि इतिहास हमारी धरोहर और प्रेरणा है पूज्य तनसिंह ने अपने साहित्य में लिखा है कि निज को न बनाया तो जग रंच न बनता अर्थात राष्ट्र निर्माण में अपनी सहभागिता तभी निभा सकते है. जब हम स्व निर्माण करें और इसी का अभ्यास शिविर में करवाया जा रहा है.

प्राचीन काल में क्षत्रियोचित संस्कार परिवार में जन्म के साथ ही मिलना प्रारंभ हो जाता था लेकिन, वर्तमान में संस्कार क्षीण होने के कारण समाज और राष्ट्र में परिस्थितियों के कारण श्री क्षत्रिय युवक संघ द्वारा क्षत्रियोचित संस्कार का अभ्यास करवाया जा रहा है. हमारे पूर्वजों ने तो समयानूकुल अपने कर्तव्य का निर्वहन कर स्वर्णिम इतिहास का निर्माण किया और आदर्श जीवन मूल्यों के अनुरूप ही जीवन जीकर राष्ट्र और मानवता हित में अपना बलिदान दिया. 

सतयुग से लेकर वर्तमान सदी में पाबुजी, हडबुजी, रामदेव जी, सुजान सिंह,बल्लुजी चांपावत, मीरा बाई, महाराणा प्रताप, सुहेलदेव बैंस, दुर्गा दास, पृथ्वीराज चौहान जैसे अनगिनत वीर और महान व्यक्तित्व ने इन्हीं आदर्शों की पुनः स्थापना हेतु अपना जीवन जीया. वहीं, पूज्य तनसिंह ने इन्हीं आदर्शों की पुनः स्थापना हेतु श्री क्षत्रिय युवक संघ की स्थापना की क्योंकि इतिहास हमारी धरोहर और प्रेरणा स्त्रोत है और पिछले 75 वर्षों से निरन्तर समाज के युवाओं में संस्कार निर्माण अभ्यास का कार्य कर रहा है.

शिविर व्यवस्थापक किशन सिंह चांपावत ने बताया कि शिविर में प्रातः जागरण कार्यक्रम से प्रारंभ होता है तत्पश्चात केसरिया ध्वज की प्रार्थना, क्रीड़ा कार्यक्रम, अर्थबोध कार्यक्रम, हवन कार्यक्रम, बौद्धिक क्रीड़ा, बौद्धिक , सांयकालीन क्रीड़ा, सांयकालीन मां भगवती की आराधना, विनोद सभा, अन्याक्षरी, शास्त्रार्थ कार्यक्रम करवाया जाता है. इन सभी कार्यक्रम में सभी शिविरार्थियों को शिक्षण दिया जा रहा है. 

Reporter- Damodar Inaniya

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