Nagaur News: नागौर जिले के कुचामन सिटी में आज जनसैलाब उमड़ पड़ा, मौका था क्षेत्र से 4 बार भाजपा के विधायक रहे और वरिष्ठ भाजपा नेता हरीश कुमावत के निधन के बाद उनको दी जाने वाली अंतिम विदाई का. प्रदेश के कई जनप्रतिनिधियों व स्थानीय निवासियों ने उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की.
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Nagaur News: नावाँ के पूर्व विधायक हरीश कुमावत का आज सुबह हार्ट अटैक से निधन हो गया था और दोपहर बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार से पहले उनके निवास स्थान के बाहर लोगों ने उनको पुष्पांजलि अर्पित की . इस अवसर पर पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी, परबतसर से कांग्रेस विधायक रामनिवास गावड़िया, खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल, मकराना विधायक रूपाराम, फुलेरा विधायक निर्मल कुमावत ,सीकर सांसद सुमेधानंद सरस्वती, जिलाप्रमुख भागीरथ चौधरी, पूर्व जिला प्रमुख सुनीता चौधरी, पूर्व विधायक विजय सिंह, पूर्व विधायक मान सिंह ,भाजपा नागौर जिलाध्यक्ष गजेंद्र सिंह, ओबीसी मोर्चा भाजपा के नागौर जिलाध्यक्ष राजाराम प्रजापति, महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष रजनी गावड़िया, सहित भारी तादाद में जनप्रतिनिधियों स्थानीय निवासियों ने उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर सतीश पूनिया के प्रतिनिधि के तौर पर भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हरिराम रणवा और किसान मोर्चा बीकानेर संभाग प्रभारी ज्ञाना राम ने पार्टी ध्वज़ के जरिए दिवंगत हरीश कुमावत को श्रद्धांजलि दी. शव यात्रा में नागौर जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश के कई इलाकों से हरीश कुमावत के चाहने वाले कुचामन पहुंचे और कुचामन मैं जिस रास्ते से शव यात्रा गुजरी वहां लोगों ने पुष्प वर्षा कर जननायक हरीश कुमावत को श्रद्धांजलि अर्पित की. कुचामन के मोक्ष धाम में उनके पुत्रों मुकेश कुमावत और राजेंद्र कुमावत ने उन्हे मुखाग्नि दी. इससे पहले पूर्व विधायक हरीश कुमावत के निधन की जानकारी मिलते ही कुचामन शहर के सभी व्यापारियों ने स्वेच्छा से अपनी दुकानें बंद कर शोक जताया. इस मौके पर कुचामन सहित पूरे विधानसभा क्षेत्र में शोक और मायूसी छा गई.
गौरतलब है कि स्वर्गीय हरीश कुमावत के पिछले तार 4 दशक के राजनीतिक कार्यकाल में क्षेत्र में सकारात्मक राजनीति के जरिए समाज के हर तबके से जुड़े लोगों के दिलों में अपना स्थान बनाया था. हरीश कुमावत को अंतिम विदाई देने आए जनप्रतिनिधियों ने कहा कि कुचामन ही नहीं बल्कि नागौर जिले की राजनीति के एक युग का अंत हो गया है और प्रदेश को दिवंगत कुमावत के निधन से जो क्षति हुई है उसे कभी पूरा नहीं किया जा सकेगा.