नागौर में उत्तर भारत की सबसे बड़ी तिरपाल मंडी, धड़ल्ले से चल रहा अवैध कारोबार
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नागौर में उत्तर भारत की सबसे बड़ी तिरपाल मंडी, धड़ल्ले से चल रहा अवैध कारोबार

Nagaur News : लाडनूं सरहद पर जमालपुरा में बिना कन्वर्जन के कृषि भूमि पर चल रही ओद्योगिक इकाईयां, प्रशासन को जानकारी के बावजूद धड़ले से चल रही तिरपाल बनाने की इकाईयां, उत्तर भारत की सबसे बड़ी तिरपाल मंडी है जमालपुरा. 

नागौर में उत्तर भारत की सबसे बड़ी तिरपाल मंडी, धड़ल्ले से चल रहा अवैध कारोबार

Nagaur News : नागौर जिले के लाडनूं उपखण्ड क्षेत्र के जमालपुरा में कृषि भूमि को बिना कन्वर्जन करवाये ही सैंकड़ों अवैध औद्योगिक इकाईयां संचालित हो रही है. यह सभी औद्योगिक इकाईयां तिरपाल बनाने की फैक्ट्रीयां है और उत्तर भारत की सबसे बड़ी तिरपाल मंडी के रूप में अपनी पहचान रखती है. यहां संचालित औद्योगिक इकाईयों में से कुछ एक इकाईयों ने तो कंवर्जन करवाकर सरकार को राजस्व लाभ दिलवाया हुआ है लेकिन 90 प्रतिशत से ज्यादा इकाईयां यहां अवैध रूप से ही संचालित हो रही हैं.

जानकारी के अनुसार जमालपुरा चूरू जिले के सुजानगढ़ कस्बे से सटा हुआ क्षेत्र है और नागौर जिले का अंतिम राजस्व ग्राम है. आसोटा ग्राम पंचायत के इस गांव में अवैध औद्योगिक इकाईयां संचालित हो रही हैं लेकिन ना तो ग्राम पंचायत द्वारा इनके खिलाफ कोई कार्रवाई की जा रही है और ना ही प्रशासन द्वारा इनके खिलाफ कोई पुख्ता कार्रवाई की गई हैं. बड़ी बात यह भी है कि इसमें कुछ इकाईयां सरकारी भूमि पर भी बनी हुई है.

सूत्रों कि मानें तो प्रशासन को इसकी पूरी जानकरी है, लेकिन बावजूद इसके इनके खिलाफ कभी भी कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया जाता है. जानकारी यह भी आ रही है कि कभी कभार जब कोई इसकी शिकायत करता है तो प्रशासन द्वारा इनको नोटिस देकर खानापूर्ति कर ली जाती है. हाल ही में प्रशासन द्वारा 5 इकाईयों को सीज भी किया गया लेकिन यह सभी इकाईयां अवैध रूप से सरकारी जमीन पर निर्मित थी लेकिन कृषि भूमि पर बनी किसी भी इकाई पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

वहीं सेंकड़ों अवैध इकाईयों के बीच मात्र 5 इकाईयों पर कार्रवाई करके प्रशासन ने खानापूर्ति कर ली जबकि कृषि भूमि बिना कंवर्जन औद्योगिक इकाईयों का संचालन होने पर उनके खिलाफ 177 की कार्रवाई करके उनको सीज किया जाना चाहिए. बिना कंवर्जन चल रही इन इकाईयों से एक तरफ जहां सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है तो वहीं इन इकाईयों से निकलने वाले प्लास्टिक तिरपाल के वेस्टेज से पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है. लेकिन प्रशासन की मौन स्वीकृति के चलते यहाँ धड़ले से यह अवैध इकाईयां संचालित हो रही हैं.

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