गौसेवक, महामंडलेश्वर और अब बॉस, जानिए कैसा है नागौर वाले बॉस कुशाल गिरी महाराज का स्वभाव और इतिहास
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गौसेवक, महामंडलेश्वर और अब बॉस, जानिए कैसा है नागौर वाले बॉस कुशाल गिरी महाराज का स्वभाव और इतिहास

Who is Boss Kushal Giri Maharaj : कुशाल गिरी महाराज जो नागौर में विश्व स्तरीय गौशाला चलाते है. जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर और बाड़मेर से लेकर अजमेर, सीकर के साथ साथ राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों से भी जहां गायों का इलाज होता है. वो बॉस के आजकल पॉपुलर है. जानिए कुशाल गिरी महाराज का इतिहास और जीवनी.

Kushal Giri Maharaj Nagaur

Kushal Giri Maharaj Nagaur : आप कौनसी लैंग्वेज समझेंगे ये बोलो आप, तंबू ने आग लगाते टेम कोनी लागे, ध्यान राखजे......... श्रवण सैन ध्यान देना,...10 सालों सूं काम करो, बॉस रो स्वभाव ठा कोनी कांई....उकसा रिया हो थे, धको देर बार काढ. ये डायलॉग पिछले 6 महीने में राजस्थान में खूब वायरल हुए. और वायरल हुए ये बातें कहने वाले भगवा पहने हुए एक शख्स. जिसका नाम कुशालगिरी महाराज बताया जाता है. वैसे नागौर में विश्व स्तरीय गौशाला चलाते है, गायों के लिए आईसीयू से लेकर एंबुलेंस और उसकी सेवा में 300 से ज्यादा लोगों की टीम लगी है. लेकिन कुशालगिरी को सबसे ज्यादा पहचान गौशाला ने नहीं, उनके इस डायलॉग और अंदाज ने दी है. 

कौन है कुशालगिरी महाराज

कुशाल गिरी का जन्म नागौर जिला मुख्यालय के राठौड़ी कुआं मौहल्ले में हुआ. जयनारायण सांखला के घर जन्म हुआ. माली जाति से ताल्लुक रखने वाले कुशाल सिंह सांखला पांचवीं पास है. उनके इतिहास पर नजर डालते है तो ऐसा लगता है जैसे पावर और धमक की चाहत उनको हमेशा से रही है. शुरू से ही कुशाल सिंह सांखला नागौर में बजरंग व्यायाम नाम से अखाड़ा चलाते थे. जहां लोगों को मल्लयुद्ध से लेकर लाठी चलाने जैसी चीजें सिखाई जाती थी.  और इनका विवाह नागौर जिला मुख्यालय के नया दरवाजा के कक्कु वालों की पोल में हुआ. महामंडलेश्वर की उपाधि लिए भगवा पहने और प्रवचन देते कुशाल गिरी को देखकर कई लोगों को लगता है कि वो शायद अविवाहित है. लेकिन ऐसा नहीं है.

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कुशालगिरी महाराज की संतान

कुशाल सिंह सांखला के चार बच्चे हैं. दो लड़के हैं और दो लड़कियां है. एक बेटी देवी ममता के नाम कथावाचिका है और दूसरी लड़की मोनिका जो अभी पढ़ाई कर रही हैं. दो लड़कों में एक महेंद्र और दूसरा मूलचंद सांखला. जो घर का काम काज संभालते हैं. बताया जाता है कि साल 2013 में प्रयागराज में उनको महामंडलेश्वर की उपाधि मिली थी. जूना अखाड़ा की ओर से प्रयागराज कुंभ के समय ये उपाधि दी गई थी.

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एक घटना ने बदला जीवन

कुछ लोगों का कहना है कि कुशाल गिरी जब अखाड़ा चलाते थे. तब वो शिवसेना और बजरंग दल जैसे संगठनों से भी जुड़े हुए थे. एक बार कुछ लोग गायों की तस्करी कर रहे थे. कुशाल गिरी ने अपने लोगों की मदद से उन गायों को छुड़ाया. उन्हौने जिस बहादूरी से गायों को छुड़ाया और बाद में आगे मामले को संभाला. इलाके में उनका नाम और चेहरा चमक गया. लोगों का कहना है कि उस घटना के बाद कुशाल गिरी ने लोगों के सामने गौशाला और गायों की सेवा का मुद्दा उठाया. जिस पर भामाशाहों ने भी भरपूर मदद की.

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्वामी कुशाल गिरी महाराज को 2008 में पाली के पास देसूरी में एक घायल गाय की बछड़ी मिली. वो उसे नागौर ले आए. इलाज कराया और उसे स्वस्थ किया. उसके बाद लगातार घायल पशुओं की सेवा करते रहे. 2008 में मिली उस बछड़ी का नाम नंदा कामधेनू रखा. गौशाला में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र हुआ करती थी. हाल ही में कुछ महीने पहले नंदा कामधेनू का मौत हो गई. जिसके बाद भव्य शोभायात्रा के साथ उसकी अंतिम यात्रा निकाली गई.

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कैसी है नागौर की विश्वस्तरीय गौशाला

कुशालगिरी महाराज आज नागौर जिले में विश्व स्तरीय गौशाला चलाते है. नागौर शहर से 8 किमी दूर नेशनल हाईवे 65 पर ये गौशाला है. ये देश की एकमात्र ऐसी गौशाला होगी जहां ऑपरेशन थियेटर से लेकर आईसीयू तक की व्यवस्था है. गायों को लाने ले जाने के लिए 40 के करीब एंबुलेंस है. सिर्फ राजस्थान ही नहीं, देश के कई राज्यों से भी बीमार पशुओं को यहां लाया जाता है. वर्तमान में गौशाला में 5 हजार के करीब गायें है. इसके अलावा हिरण और सफेद उल्लू जैसे कई वन्य जीव जंतु भी है यहां पर. 

विवादों से भी रहा है नाता

नागौर में विश्वस्तरीय गौशाला चलाने वाले कुशाल गिरी महाराज विवादों से भी जुड़े रहे है. करीब 4 साल पहले गौशाला में ही काम करने वाली एक युवती ने दुष्कर्म के आरोप लगाए थे. जिसके बाद शिकायत दर्ज होने के बाद ये भी बताया गया कि कुशाल गिरी ने आत्महत्या करने की कोशिश की थी. और बाद में कई दिनों तक जोधपुर में इलाज चला था.

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