Pali water crisis : राजस्थान के पाली सोजत उपखंड के बासना गांव में आज भी लोगों को आजादी के 75 साल बाद भी पीने के पानी के लिए मोहताज है. कितनी सरकारी बदली सांसद बदले विधायक बदले लेकिन हालात जस के तस है. आज भी ग्राम वासियों को कई किलोमीटर पैदल चलकर प्यास बुझाने के लिए पानी लाना पड़ रहा है.
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Pali water crisis : राजस्थान में सरकारी बदली पर पाली के बासना गांव की तस्वीर एवं तकदीर नहीं बदली. यहां पीने के पानी के लिए ग्रामवासी आज भी जद्दोजहद कर रहे है. आज भी इस इलाके के लोग कई किलोमीटर पैदल चलकर पानी लाने को मजबूर है.
पाली सोजत उपखंड के बासना गांव में आज भी लोगों को आजादी के 75 साल बाद भी पीने के पानी के लिए मोहताज है. इन 75 सालों में न जाने कितनी सरकारी बदली सांसद बदले विधायक बदले लेकिन हालात जस के तस है.आज भी ग्राम वासियों को कई किलोमीटर पैदल चलकर प्यास बुझाने के लिए पानी लाना पड़ रहा है. स्थानीय ग्राम वासियों ने बताया कि चुनाव आते हैं तो नेता एवं राजनीतिक पार्टियों झूठे वादे कर चले जाते हैं. ना तो इनके किए गए वादे पूरे होते है और ना ही चुनाव जीतने के बाद इनके दर्शन होते है.
हकीकत ये है कि आज भी इस गांव में पानी की भीषण संकट देखा जा सकता है. 500 कृषि एवं मवेशी पालकों का यह गांव यहां 500 से अधिक घरों की आबादी का यह बड़ा गांव आज भी पेयजल की समस्या से जूझ रहा रहा है.
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दो वर्ष पूर्व राज्य सरकार द्वारा यहां जलदाय टंकी का निर्माण करवाया गया परंतु ना तो जलदाय टंकी में जलापूर्ति के लिये भरी गई ना उनके घरों में घर-घर पानी पहुंचा. सरकार समुचित व्यवस्थाओं का दावा करती है पर धरातल पर देखा जाए तो घनी आबादी का यह बासना गांव आज भी पीने के साफ पानी के लिए जूझ रहा है.
इन इलाकों में एक बार फिर प्रशासन की व्यवस्थाओं की पोल खुल रही. सोजत उपखंड के बासना गांव में रह रहे लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है. पानी की किल्लत से परेशान लोगों की मानें तो जलदाय विभाग कार्यालय के कई बार चक्कर काटे वाबजूद इन इलाकों में रह रहे लोगों की कोई सुनने वाला नहीं है.