चूरू में लगे 'मोदी आपसी बैर नहीं, राहुल कस्वां अब स्वीकार नहीं' के पोस्टर, राठौड़ ने बताया था जयचंद!
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चूरू में लगे 'मोदी आपसी बैर नहीं, राहुल कस्वां अब स्वीकार नहीं' के पोस्टर, राठौड़ ने बताया था जयचंद!

कड़ाके के ठंड के बीच शेखावाटी की सियासत गर्म है. नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की तारानगर में हुई हार के बाद से ही यहां भाजपा में तल्ख़ियां देखने को मिल रही है. अब एक पोस्टर चूरू की गलियों में चर्चा का विषय बन गई है. दरअसल चूरू सांसद राहुल कस्वां का पोस्टर वायरल हो रहा है.

चूरू में लगे 'मोदी आपसी बैर नहीं, राहुल कस्वां अब स्वीकार नहीं' के पोस्टर, राठौड़ ने बताया था जयचंद!

Churu Poster Viral: कड़ाके के ठंड के बीच शेखावाटी की सियासत गर्म है. नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की तारानगर में हुई हार के बाद से ही यहां भाजपा में तल्ख़ियां देखने को मिल रही है. अब एक पोस्टर चूरू की गलियों में चर्चा का विषय बन गई है.

दरअसल चूरू सांसद राहुल कस्वां का पोस्टर वायरल हो रहा है. इस पोस्टर में लिखा है 'मोदी जी आपसी बैर नहीं, चूरू सांसद राहुल कस्वां अब स्वीकार नहीं'. यह पोस्टर आज का ही बताया जा रहा है. तारानगर के गांव सात्यु चौराहा और तारानगर के एसडीएम कार्यालय के बाहर यह पोस्टर चस्पा किया गया है. यह पोस्टर शेखावाटी की सियासत में चर्चा का विषय बना हुआ है. जनता राजेंद्र राठौड़ और राहुल कस्वां की सियासी अदावत का आकलन लगा रही है.

आपको बता दें कि राजेंद्र राठौड़ ने भी पिछले दिनों जयचंदों पर भीतर घात का आरोप लगाया था, जबकि राजेंद्र राठौड़ के समर्थकों ने साफ तौर पर सांसद राहुल कस्वां का नाम लेकर निशाना सधा था और राजेंद्र राठौड़ की हार का कारण कस्वां परिवार को बताया था. 

कौन है राहुल कस्वां

चुरू जिले के में कस्वां परिवार को एक बड़ा सियासी घराना माना जाता है, जो कई दशकों से राजनीति में है. कस्वां परिवार की तीसरी पीढ़ी से राहुल कस्वां चूरू से लोकसभा सांसद है. राहुल कस्वां ने साल 2014 और फिर 2019 में लगातार दो बार जीत दर्ज की. 2014 में उन्होंने सबसे कम उम्र का सांसद बनने का भी रिकॉर्ड बनाया था. राहुल कस्वां के पिता राम सिंह कस्वां चार बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं, जबकि उनके दादा दीपचंद कस्वां भी लोकसभा सांसद रह चुके हैं. राहुल कस्वां की मां कमला कस्वां भी सादलपुर से विधायक रह चुकी है, यानी कस्वां परिवार लगातार तीन पीढियां से सियासत में है. इस परिवार की तुलना भी झुंझुनू के ओला, नागौर के मिर्धा और जोधपुर के मदेरणा परिवार से होती है.

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