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Ashok Gehlot : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राजनीति का आधार सिर्फ और सिर्फ जनसेवा की सोच मानी जाती है. राजनीतिक जगत से जुड़े लोग कहते हैं कि गहलोत ने अपना ध्यान गरीबों के सर्वांगीण विकास पर केन्द्रित रखा. उनकी इसी सोच के कारण उन्हें संगठन से लेकर सरकार में कई महत्वपूर्ण जगहों पर काम करने का मौका मिला.
अशोक गहलोत जनसेवा के अपने काम और सोच के दम पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के दिल–दिमाग में जगह बनाई. यही कारण रहा कि इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव के मंत्रीमण्डल में केन्द्रीय मंत्री के रूप में काम करने का मौका मिला. वे तीन बार केन्द्रीय मंत्री बने. इन्दिरा गांधी सरकार में अशोक गहलोत 2 सितम्बर, 1982 से 7 फरवरी, 1984 तक पर्यटन और नागरिक उड्डयन उपमंत्री रहे.
इसके बाद गहलोत खेल उपमंत्री बनें. उन्होंने 7 फरवरी, 1984 से 31 अक्टूबर 1984 तक खेल मंत्रालय में काम किया. एक बार फिर से 12 नवम्बर, 1984 से 31 दिसम्बर, 1984 तक गहलोत को केंद्रीय मंत्री के रूप में काम करने का मौका मिला. उनकी पारदर्शी कार्यशैली और किसी भी विषय को गहराई से समझने के स्वभाव के कारण इन्दिरा गांधी और राजीव गांधी जैसे नेता उनको पसंद करते थे.
31 दिसम्बर, 1984 से 26 सितम्बर, 1985 तक गहलोत ने केन्द्रीय पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री के रूप में काम किया. इसके बाद वे केन्द्रीय कपड़ा राज्य मंत्री भी रहे. इसकी अहमियत इस रूप में भी समझी जा सकती है क्योंकि यह मंत्रालय पहले प्रधानमंत्री के पास था और गहलोत को इसका स्वतंत्र प्रभार दिया गया. गहलोत 21 जून, 1991 से 18 जनवरी, 1993 तक कपड़ा मंत्री रहे.
केंद्र सरकार में 3 प्रधानमंत्रियों के साथ काम करने वाले अशोक गहलोत को राजस्थान में भी मुखिया के रूप में सरकार चलाने की जिम्मेदारी मिली. गहलोत तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने. मौजूदा कार्यकाल में 17 दिसंबर 2018 को उन्होंने तीसरी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली, लेकिन उससे पहले भी दिसंबर 1998 और दिसंबर 2008 में गहलोत मुख्यमंत्री बने.
राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत के कार्यकाल की बात करें, तो ऐसा कोई भी कार्यकाल नहीं रहा जो उपलब्धियों से अछूता रहा हो. कभी प्राकृतिक आपदाओं से लड़ते हुए, कभी चुनौतियों से पर पाते हुए, कभी दुश्वारियों से उबरते हुए अशोक गहलोत ने मजबूती से अपनी सरकार चलाई, तो साथ ही नवाचारों से आमजन का जीवन स्तर भी ऊपर उठाने की कोशिश की.
राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत का पहला कार्यकाल 1 दिसंबर 1998 से दिसंबर 2003 तक रहा. उनका यह कार्यकाल गहलोत की महत्वपूर्ण उपलब्धियों के अलावा अभूतपूर्व सूखा प्रबन्धन के लिए याद किया जाता है. गहलोत के पहले कार्यकाल में राजस्थान में भयंकर अकाल पड़ा, लेकिन अपने प्रबंधन के दाम पर गहलोत ने अकाल की स्थितियों में भी प्रदेश के लोगों का हौसला नहीं टूटने दिया.
इसके साथ ही पहले कार्यकाल में बिजली उत्पादन, संसाधनों का विकास, रोजगार सृजन, औद्योगिक और पर्यटन विकास, कुशल वित्तीय प्रबन्धन और सुशासन के लिए गहलोत के काम को सराहा गया. उस समय अलग अलग एजेंसियों की तरफ से कराए गए सर्वे में गहलोत को कई लोगों ने देश का सबसे बेहतर मुख्यमंत्री भी बताया. राज्यसभा सदस्य नीरज डांगी तो यहां तक कहते हैं कि अशोक गहलोत को राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में पाना कांग्रेस कार्यकर्ताओं और यहां की जनता के लिए सौभाग्य की बात है.
मुख्यमंत्री के रूप में 13 दिसंबर 2008 को अशोक गहलोत ने एक बार फिर कुर्सी संभाली. दूसरे कार्यकाल के दौरान गहलोत सरकार की? मुफ्त दवा और मुफ्त जांच योजना ऐतिहासिक रूप से यादगार रही. मुफ्त दवाई योजना का दायरा केवल इंसानों तक ही नहीं पशुओं तक भी बढ़ाया गया. इस दौरान खुद सीएम गहलोत भी कहते थे कि लोग उन पर वोट के लिए योजना लाने का आरोप लगाते हैं, लेकिन तब सीएम पूछते थे कि क्या पशुओं के लिए मुफ्त दवा योजना भी वोट के लिए शुरू की? इस तरह के बयानों से गहलोत ने विपक्ष को कई बार निरुत्तर किया.
दूसरे कार्यकाल में गहलोत ने बाड़मेर के पचपदरा में रिफाइनरी, जयपुर मैट्रो रेल, सूरतगढ़ में सुपर थर्मल पावर स्टेशन की दो इकाइयॉ, बाड़मेर लिफ्ट परियोजना, रतलाम से डूंगरपूर 188 किमी रेल लाईन, बाड़मेर जिले के पचपदरा में रिफाइनरी जैसे मेगा प्रोजेक्टस शुरू किये गये. वृद्धावस्था और एकलनारी पेंशन योजना, राजस्थान जननी शिशु सुरक्षा, सुनवाई का अधिकार अधिनियम, मुख्यमंत्री ग्रामीण बी.पी.एल. आवास योजना ,राजस्थान लोक सेवाओं के प्रदान की गारन्टी अधिनियम , वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना, उद्योगों के लिए एकल खिड़की योजना,मुख्यमंत्री पशुधन निशुल्क दवा योजना जैसे काम भी दूसरे कार्यकाल में शुरू हुए.
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