Jaisalmer News: जमीन धंसने से शुरू हुआ पानी का बहाव बंद, लोगों का आना-जाना हुआ बैन
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Jaisalmer News: जमीन धंसने से शुरू हुआ पानी का बहाव बंद, लोगों का आना-जाना हुआ बैन

Jaisalmer News: राजस्थान के जैसलमेर के मोहनगढ़ इलाके में जमीन धंसने से शुरू हुआ पानी का बहाव अब थम चुका है, जिसके बाद प्रशासन ने राहत की सांस ली है. 

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Jaisalmer News: राजस्थान के जैसलमेर के मोहनगढ़ इलाके में शनिवार को जमीन धंसने से शुरू हुआ पानी का बहाव अब थम चुका है. मोहनगढ़ नेहरी क्षेत्र के 27 BD के तीन जोरा माइनर पर बीते दो दिनों से जारी पानी का बहाव अब थम चुका है. रविवार देर रात अचानक प्राकृतिक तरीके से ही पानी का बहाव बंद हो गया है. इसके बाद प्रशासन ने राहत की सांस ली है. 

वहीं, पानी वापस भी शुरू हो सकता है. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता. इसको लेकर जिला प्रशासन ने घटना स्थल के 500 मीटर की परिधि में आवागमन पर बैन लगा दिया है.

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मोहनगढ़ तहसीलदार ललित चारण ने बातया कि बीते शनिवार से प्रशासन जहां पानी को रोकने के लिए प्रयास कर रहा था. वहीं, अस्थाई पुलिस चौकी भी वहां लगा दी गई है. भूजल वैज्ञानिक भी मौके पर मौजूद है. 

भू-सर्वेक्षण के लिए ओएनजीसी के साथ ही अन्य भी कंपनियां मौजूद है और आसपास के क्षेत्र में पानी के स्तर को लेकर सर्वेक्षण किया जा रहा है. प्रशासन ने इस क्षेत्र से 500 मीटर की परिधि में लोगों के आवागमन तक पर प्रतिबंध लगा दिया है. रविवार देर रात अचानक प्राकृतिक तरीके से ही पानी का बहाव बंद हो गया है. इसके बाद प्रशासन ने राहत की सांस ली है.

दरअसल शनिवार को जैसलमेर के मोहनगढ़ नहरी क्षेत्र में एक ट्यूबल की खुदाई की जा रही थी. इस दौरान करीब 800 फीट की खुदाई पर पानी का प्रेशर अचानक बढ़ जाता है और धरती को फाड़कर पानी का ज्वालामुखी बाहर आ जाता है. इसके बाद करीब 4 से 5 फीट की ऊंचाई तक लगातार पानी के फव्वारे उठने लगते हैं. पानी को इस तरह से बहता देख आसपास के लोगों में जहां दहशत का माहौल फैल जाता है. 

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वहीं, सूचना पर भू विभाग व प्रशासन मौके पर पहुंचता है. इसी के साथ ओएनजीसी के कार्मिक भी मौके पर पहुंचते है. अस्थाई पुलिस चौकी भी वहां लगा दी गई है. वहीं, 500 मीटर की परिधि में लोगों के आवागमन पर बैन लगा दिया.

पानी के बढ़ते स्तर के चलते ट्यूबवेल खुदाई की मशीन जो थी, वो पूरी तरह से ज़मीन के अन्दर समा गई है. जानकारी के अनुसार, ये मशीन बामणु निवासी नेपाल सिंह की थी. वहीं, यह खेत मोहनगढ़ निवासी विक्रमसिंह का है. 

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