शीतला देवी पूजा शांति और सुख प्राप्ति के साथ ही बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए की जाती है और इस शुभ दिन पर भक्त सुबह जल्दी उठकर ठंडे पानी से स्नान करते हैं.
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Pratapgarh: जिले का पीपलखूंट उपखंड मुख्यालय जनजातीय जिले बांसवाड़ा के वागड़ अंचल से जुड़ा हुआ है. बांसवाड़ा वागड़ अंचल की भौगोलिक स्थिति और खगोलीय ग्रह-नक्षत्रों की चाल ने यहां हिंदी महीनों की गणना में स्थानीय धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप अंतर बना रखा है. यही कारण है कि बांसवाड़ा जिले और प्रतापगढ़ जिले के पीपलखूंट उपखंड मुख्यालय जो कि वागड़ अंचल से जुड़ा हुआ है यहां15 दिन बाद ही सावन शुरू होता है.
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इसलिए यहां के पंडित किसी मुहूर्त या लग्न पत्रिका आदि में आषाढ़ आदि संवत अंकित करते हैं और यही कारण है कि मेवाड़ और मालवा में होली के बाद पूजे जाने वाली शीतला सप्तमी का पर्व भी वागड़ और वागड़ से लगते क्षेत्रों में सावन माह में शीतला सप्तमी का पर्व मनाया जाता है. प्रतापगढ़ जिले के पीपलखूंट उपखंड मुख्यालय पर भी वागड़ परंपराओं के अनुरूप आज देवी शीतला की पूजन की गई.
शीतला देवी पूजा शांति और सुख प्राप्ति के साथ ही बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए की जाती है. इस शुभ दिन पर भक्त सुबह जल्दी उठकर ठंडे पानी से स्नान करते हैं. फिर वे माता शीतला की पूजा करते हैं और आनंदमय, स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन प्राप्त करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान करने के लिए मंदिर जाते हैं. लोग पूजा से एक दिन पहले बने भोजन का सेवन करते हैं.
महिलाएं इस दिन अपने बच्चों की भलाई और अच्छे स्वास्थ्य के लिए उपवास रखती हैं. इस दिन पके हुए और गर्म भोजन का सेवन वर्जित होता है. क्योंकि माता शीतला को शीतल पदार्थ ही प्रिय होते हैं, इसलिए इस दिन कोई भी गरम पदार्थ उपयोग नहीं किया जाता है. फिर वे शीतला माता व्रत कथा के साथ पूजा का समापन करते हैं. पीपलखूंट में भी महिलाओं ने शीतला सप्तमी पर्व पर एक दिन पहले ठंडा भोजन बनाकर माता शीतला की पूजन व्रत सुख समृद्धि और बेहतर स्वास्थ्य की कामना की.
Reporter: Vivek Upadhyay