Janmashtmi special: भक्त की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान आकाशीय मार्ग से आए राजस्थान
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1859934

Janmashtmi special: भक्त की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान आकाशीय मार्ग से आए राजस्थान

Rajsamand news: राजस्थान के राजसमंद जिला के एक भक्त की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान खुद भक्त के पास आए, और जिस वक्त भगवान भक्त के पास आए थे उस वक्त वहां पर कुछ देर के लिए दिन में ही आंधी, तूफान और अंधेरा सा छा गया था.

Janmashtmi special: भक्त की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान आकाशीय मार्ग से आए राजस्थान

Rajsamand news: राजस्थान के राजसमंद जिला के एक भक्त की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान खुद भक्त के पास आए, और जिस वक्त भगवान भक्त के पास आए थे उस वक्त वहां पर कुछ देर के लिए दिन में ही आंधी, तूफान और अंधेरा सा छा गया था. उस दौरान राजाओं का शासन हुआ करता था तब चारों तरफ से पहरा लगा दिया गया था ऐसे में भगवान लक्ष्मीनारायजी आकाशीय मार्ग से गुजरात से राजस्थान में स्वत: ही इस मंदिर में विराजमान हुए, और आज भी यह प्रभु की प्रतिमा राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित देलवाड़ा के मंदिर में विराजमान है. 

तो वहीं गुजरात के द्वारका में बने इस मंदिर में आज भी प्रभु की जगह रिक्त है. यहां के लोगों ने जी मीडिया की टीम को इस मंदिर के बारे में बताया लगभग 500 साल पहले भगवान लक्ष्मीनारायणजी गुजरात के द्वारका से भक्त पदमाजी की भक्ति से प्रसन्न होकर राजसमंद ​जिले के देलवाड़ा में इसी जगह विराजमान हुए. उस वक्त यहां पर राजा मानसिंह झाला का शासन हुआ करता था. उस वक्त यहां पर लगभग 300 से ज्यादा लोग रहा करते थे. जिसमें एक पदमाजी भी शामिल थे. स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि हमारे पूर्वजों ने बताया है कि एक बार इस गांव के लोग द्वारका में प्रभु के दर्शन करने जा रहे थे तो उनके साथ पदमाजी भी चल पड़े. 

यह भी पढ़े- सचिन पायलट के जन्मदिन पर अशोक गहलोत ने दी बधाई, कहा- कांग्रेस परिवार के साथी...लेकिन इनमें से कुछ लोग पदमाजी को अपने साथ नहीं ले जाना चाहते थे ऐसे में बीच में ही एक बड़ा तालाब दिखाई दिया और कुछ लोगों ने कहा कि पदमाजी को कहा भगवान यहां इस पानी के अंदर है जिस पर पदमाजी ने पानी में छलांग लगा दी. जिसके बाद सभी लोग वहां से चल पड़े. और जैसे ही यह लोग द्वारका पहुंचते हैं तो उनसे पहले भक्त पदमाजी उन्हें मंदिर में बैठे हुए मिलते हैं. जिसके बाद भक्त पदमाजी द्वारका में भगवान के सेवा करने लगे. ऐसे में भगवान लक्ष्मीनारायण ने भक्त पदमाजी को वचन दिया था तुम अपने घर पहुंचे मैं आंखा तीज के दिन स्वयं आउंगा. जिसके बाद पदमाजी ने गांव आकर यह बात सभी को बताई लेकिन किसी ने विश्वास नहीं किया. 

यह भी पढ़े- Jawan Leaked Online: ऑनलाइन लीक हुई शाहरुख खान की फिल्म 'जवान', HD प्रिंट में धड़ाधड़ डाउनलोड कर रहे लोग

वहीं राजाओं द्वारा यहां पर पहरा लगा दिया गया था. ऐसे में भगवान आकाशीय मार्ग से यहां पर विराजमान हुए. तो वहीं लोगों ने बताया कि यहां पर लगभग 4 से 5 जिलों से बड़ी तादाद में श्रद्धालु आते हैं. राजसमंद, उदयपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और डूंगरपुर से भी बड़ी तादाद में श्रद्धालु आते हैं. लक्ष्मीनाराणजी के इस मंदिर में जन्माष्टी पर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं जिस वक्त मंदिर में पैर रखने की जगह नहीं मिलते है. तो वहीं लोगों ने बताया कि इस मंदिर में तेली समाज की कोई भी बड़ी बैठक और बड़ा निर्णय इसी मंदिर में ही लिया जाता है.

Trending news