Rajsamand: राजसमंद में शरद पूर्णिमा पर गरबा रास का कार्यक्रम आयोजित, ये लोग रहे मौजूद
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Rajsamand: राजसमंद में शरद पूर्णिमा पर गरबा रास का कार्यक्रम आयोजित, ये लोग रहे मौजूद

राजसमंद में शरद पूर्णिमा के अवसर पर रास महोत्सव का आयोजन. शरद पूर्णिमा का अमृतमयी चांद अपनी किरणों में स्वास्थ का वरदान लेकर आता है. हिंदू पंचाग के अनुसार पूर्णिमा की रातों में शरद पूर्णिमा का स्थान प्रमुख है,  इसे कौमुदी यानि मूनलाइट या कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.

शरद पूर्णिमा पर डांडिया रास

Rajsamand: राजसमंद में शरद पूर्णिमा के अवसर पर नगर परिषद सभापति अशोक टांक की ओर से जेसी ग्रुप के बैनर तले रास महोत्सव का आयोजन किया गया. रास महोत्सव के चलते लोगों में डांडिया खेलने को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है और इसी के चलते कार्यक्रम को एक दिन ओर बढ़ा दिया गया है. नगर परिषद सभापति अशोक टांक जेसी ग्रुप के अध्यक्ष भी हैं. सभापति टांक ने बताया कि डांडिया खेलने को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है, इसी के ग्राउंड में हजारों की तादाद में युवक युवतियों के साथ साथ बड़े बुजुर्ग पहुंच रहें हैं और लोगों की खुशी के चलते ही इस कार्यक्रम को एक दिन ओर बढ़ा दिया गया है. 

नगर परिषद सभापति और जेसी ग्रुप के अध्यक्ष अशोक टांक ने बताया कि महोत्सव की शुरुआत ठाकुर जी की आरती के साथ की गई. इसके बाद महोत्सव में बड़ी तादाद में उमड़े लोगों ने गुजराती, राजस्थानी, फिल्मी और रीमिक्स गीतों पर मध्य रात्रि तक डांडिया खनकाएं. कार्यक्रम में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के विशेषाधिकारी मनीष कुमार जोशी, राजसमन्द नगर परिषद चेयरमैन अशोक टांक, आमेट नगर परिषद चेयरमैन कैलाश मेवाड़ा, कांकरोली थानाधिकारी डीपी दाधीच, राजसमन्द कांग्रेस संगठन प्रभारी पुष्पेंद्र भारद्वाज, कांग्रेसी पार्षद पुष्कर श्रीमाली, द्वारकाधीश मंदिर अधिकारी विनीत सनाढ्य सहित कई फिल्मी कलाकारों ने शिरकत की, तो वहीं इस दौरान सुरक्षा की दृष्टि से ग्राउंड में पुलिस के जवानों ने नजर बनाए रखी.

क्यों है शरद पूर्णिमा खास 

अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं. इस दिन का विशेष महत्व है, इसे आरोग्य का पर्व भी कहा जाता है. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा का अमृतमयी चांद अपनी किरणों में स्वास्थ का वरदान लेकर आता है. हिंदू पंचाग के अनुसार पूर्णिमा की रातों में शरद पूर्णिमा का स्थान प्रमुख है,  इसे कौमुदी यानि मूनलाइट या कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. साथ ही देश के कई राज्यों में इसे फसल उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है, इस पर्व पर चंद्रमा की रोशनी में खीर को रखा जाता है और कहा जाता है कि चंद्रमा की किरणों के नीचे रखी इस खीर को खाने से सारे रोगों का निवारण होता है.

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