गांधी वाटिका में लगी गांधी प्रतिमा, लोग बोले- पहचान में नहीं आ रहे बापू, कोई और लग रहा
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गांधी वाटिका में लगी गांधी प्रतिमा, लोग बोले- पहचान में नहीं आ रहे बापू, कोई और लग रहा

इस प्रतिमा का चेहरा महात्मा गांधी के चेहरे से मिलान नहीं हो पा रहा है. यह प्रतिमा गांधी असल चेहरे से मिलान नहीं होने से लगातार विवादों में बनी रही. 

गांधी वाटिका में लगी गांधी प्रतिमा, लोग बोले- पहचान में नहीं आ रहे बापू, कोई और लग रहा

Pindwara-Abu: महात्मा गांधी की प्रतिमा तो भले ही सिरोही जिले के माउंट आबू में पिछले 29 दिसंबर को मुख्यमंत्री के हाथों वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए करवाकर  नगर पालिका के अधिकारियों और स्थानीय कांग्रेस के पार्षदों ने वाहवाही लूट ली, लेकिन इस प्रतिमा के अनावरण के बाद से ही यहां विवाद भी शुरू हो गया. 

दरअसल इस प्रतिमा का चेहरा महात्मा गांधी के चेहरे से मिलान नहीं हो पा रहा. उल्लेखनीय है कि 10 लाख रुपयों की लागत से पिछले 29 दिसंबर 2021 की शाम को आयोजित शरद समारोह में माउंट आबू के गांधी वाटिका में महात्मा गांधी की इसी प्रतिमा का अनावरण राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूप में किया था. 

ठीक तभी से ही यह प्रतिमा गांधी असल चेहरे से मिलान नहीं होने से लगातार विवादों में बनी रही. स्थानीय स्तर पर नगर पालिका पार्षदों के लिखित और मौखिक विरोध और समाचार पत्रों में यह मुद्दा निरंतर सुर्खियों में रहा. नगर पालिका के बोर्ड की बैठक में इस प्रतिमा के गांधी के चेहरे से मिलान नहीं होने की बात कई बार उठी. 

इसके बाद में आखिरकार नगर पालिका प्रशासन ने ही इस प्रतिमा की जांच करने के लिए एक कमेटी का गठन किया और अब जाकर के नगर पालिका की कमेटी ने ही यह माना है कि यह गांधी वह प्रतिमा नहीं, जिसमे से गांधी का चेहरा हूबहू दिखाई देता हो. 

अब इसकी जांच रिपोर्ट नगर पालिका के आयुक्त जिला कलेक्टर सिरोही डॉ भवर लाल को यह रिपोर्ट सौपेंगे और इसके स्थान पर अब इस प्रतिमा को लगाने वाली एजेंसी नयी प्रतिमा लाकर के इसी गांधी उद्यान में लगाएगी. यह वह गांधी नहीं जो हमने देखे है , किताबों में , तस्वीरों में, देश के दिल्ली, गुजरात, राजस्थान सहित अन्य प्रदेशों में लगी हुई और स्थापित प्रतिमाओं में. यहां आकर तो हम कन्फ्यूजन की स्थिति में आ जाते हैं. लोगो से पूछते है, पढ़ते है तब जाकर पता लगता है यह गांधी की प्रतिमा है. यह हम नहीं माउंट आबू आने कई पर्यटक भी यही गफलत का शिकार बन जाते हैं. 

वहीं,  नगर पालिका बोर्ड जो स्वयं भी कांग्रेस का ही है , उसकी कार्यशैली पर तो हर बार सवालिया निशान लगते रहे हैं. स्थानीय जन मानस में इस कांग्रेस के नगर पालिका बोर्ड के कार्यों का विपरीत प्रभाव परिलक्षित हो रहा है. अब स्थानीय लोग यही चाह रहे है कि, जैसे-तैसे इस नगर पालिका बोर्ड का कार्यकाल राजस्थान के आगामी विधान सभा चुनावों तक पूरा हो जाए. आगे हम ऐसे जन प्रतिनिधियों को नहीं चुनेंगे और न ही अब कोई हमारी इस नगर पालिका बोर्ड से कोई अपेक्षाएं बची हुई हैं. 

Reporter- Saket Goyal 

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