सूरतगढ़ में सरसों के साथ-साथ इटेलियन मक्खी के शहद का मिलेगा स्वाद
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सूरतगढ़ में सरसों के साथ-साथ इटेलियन मक्खी के शहद का मिलेगा स्वाद

सूरतगढ़ विधानसभा के जैतसर क्षेत्र में सरसों की फसल की बिजाई अभी शुरू ही हुई है, लेकिन मधुमक्खी पालकों ने अस्थाई तौर पर अपने डेरे जमाना शुरू कर दिया है. 

सूरतगढ़ में सरसों के साथ-साथ इटेलियन मक्खी के शहद का मिलेगा स्वाद

Suratgarh: श्रीगंगानगर जिले की सूरतगढ़ विधानसभा के जैतसर क्षेत्र में सरसों की फसल की बिजाई अभी शुरू ही हुई है, लेकिन मधुमक्खी पालकों ने अस्थाई तौर पर अपने डेरे जमाना शुरू कर दिया है. क्षेत्र के करीब बीस फीसदी स्थानों पर मधुमक्खियों के डिब्बे रखे जा चुके हैं. 

ये मधुमक्खी पालक पंजाब, हरियाणा, उतरप्रदेश और मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों से आए हैं. इन्होंने मुख्य मार्गो सहित गांवों की सड़कों के पास अपने डेरे जमा लिए हैं. कई स्थानों पर इन डिब्बों को रखने की तैयारिया की जा रही है. सोमवार को पंजाब से आए मधुमक्खी पालकों ने गांव मघेवाली ढाणी में सूरतगढ शाखा नहर के किनारे बॉक्स रखने का कार्य जारी कर दिया. 

इटेलियन मक्खी बनी पसंद
मधुमक्खी पालकों ने बताया कि साधरण मक्खियों की अपेक्षा इटेलियन मक्खी से मधु का संग्रह करना फायदेमंद हो रहा है. इटेलियन रानी मधुमक्खी के साथ श्रमिक मधुमक्खी भी डिब्बे में रखी जाती है. श्रमिक मक्खी का उम्र जहां 42 से 45 दिन की होती है. वहीं रानी मक्खी का जीवन चार वर्ष का होता है. इटेलियन मक्खी शहद का अधिक संग्रह करती है. 

इसलिए लोग आते हैं यहां
जैतसर, 2 जीबी, 5 जीबी, 7 जीबी, मधेवाली ढाणी और 7 एलसी गांवों में डेरा जमाए गिदडबाहा (पंजाब) के अमरीक सिंह, जगदेव सिंह व सरबजीत सिंह ने बताया कि पंजाब में सरसों की खेती कम और गेहूं की खेती अधिक होती है. इसके कारण उन्हे राजस्थान आना पड़ता है. सरसों के खेतों के समीप इन डिब्बों को रखा जाता है. सरसों के फूलों से मधुमक्खियां उनकी ओर से लगाए गए डिब्बों के छातों में मधु एकत्रित करती रहती है. पंद्रह से बीस दिन के बीच मशीन से शहद निकालकर बीस बीस किलोग्राम के डिब्बों में शहद पैक किया जाता है. इस व्यवसाय से जुड़े लोगों ने बताया कि पहले इस व्यवसाय से कम लोग जुड़े हुए थे. इससे उन्हें मुफ्त में जमीन मिल जाती थी. अब इसके व्यापारी बढ़ने से किसान उनसे जमीन का किराया भी लेने लगे हैं. एक प्लांट से 20 से 30 क्विंटल शहद मिल जाता है. 

एक डिब्बे से दो से तीन किलो शहद
मधुमक्खी पालकों ने बताया कि सरसों की फसल के पास एक स्थान पर सौ से डेढ सौ डिब्बे रखे जाते हैं. इन डिब्बों के छातों में से दिसंबर से फरवरी तक प्रत्येक छाते से तीन चार किलो शहद निकल जाता है. मधुमक्खियों के छातों को समयावधि में डिब्बे से निकालकर दोपहर 12 से 3 बजे के बीच में शहद निकालने की प्रक्रिया की जाती है. मशीन में रखकर 10 से 15 मिनट स्पेलर घुमाया जाता है. इससे सारा शहद निकल जाता है. शहद को निकालकर उतरप्रदेश और पंजाब में लगी रिफाइनरी तक पहुंचाया जाता है, जहां प्लांटों में फिल्टर कर बड़ी कंपनियों में पैकिंग के लिए भेजा जाता है. 

Reporter- Kuldeep Goyal 

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