डूंगरपुर में बदहाल इलाज व्यवस्थाः अस्पतालों में 43 फीसदी डॉक्टर्स के पद सालों से खाली
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डूंगरपुर में बदहाल इलाज व्यवस्थाः अस्पतालों में 43 फीसदी डॉक्टर्स के पद सालों से खाली

प्रदेश का आदिवासी बहुल डूंगरपुर (Dungarpur) जिला वैसे तो हमेशा से ही सरकार की प्राथमिकताओं में शुमार रहा है,  लेकिन आजादी के 70 साल बाद भी डूंगरपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र की चिकित्सकीय व्यवस्था भगवान भरोसे ही है. जिले के ग्रामीण क्षेत्रो में 203 पदों के मुकाबले 87 डॉक्टर्स के पद खाली हैं.  जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के राजकीय अस्पतालों में डॉक्टर्स के पद खाली होने से ग्रामीणों को जहां सरकार की निशुल्क योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा वहीं मजबूरी में लोगों को निजी अस्पतालों में ईलाज करवाते हुए अपनी जेबे ढीली करनी पड़ रही है.

ओपीडी में ईलाज के लिए लाइनों में इंतजार करते हुए मरीज

Dungarpur: डूंगरपुर में कोरोना की तीसरी लहर चल रही है. कोरोना पॉजिटिव (corona positive) मरीजों का आंकड़ा 4 हजार के करीब पंहुच गया है. वहीं मौसमी बीमारियां भी बढ़ रही हैं, लेकिन जिले में सरकारी अस्पताल डॉक्टरों के बिना खाली हैं. हालात यह हैं कि डॉक्टरों के 43 फीसदी पद खाली पड़े हैं.  ऐसे में मरीजों को गांव में इलाज नहीं मिल रहा है. डूंगरपुर जिले के सीएमएचओ डॉ. राजेश शर्मा (CMHO Dr Rajesh Sharma) ने बताया कि डूंगरपुर (Dungarpur) में 16 सीएचसी और 60 पीएचसी पर डॉक्टरों के 203 पद स्वीकृत हैं. इसके मुकाबले अस्पतालों में 116 डॉक्टर ही कार्यरत हैं. जबकि 87 पद खाली पड़े हैं. जो स्वीकृत पदों की संख्या से 43 फीसदी कम हैं. इसमे भी सबसे ज्यादा खाली पद विशेषज्ञ डॉक्टरों के हैं. हालात यह हैं कि डॉक्टर के पद खाली होने से मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता है. सरकार गांवों तक लोगों को इलाज मुहैया करवाने के लिए हर पंचायत में पीएचसी (PHC) खोल रही है और वहां डॉक्टर के पद भी स्वीकृत किए जा रहे हैं. 

  इतने पद हैं खाली

  • उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी, 1 पद खाली
  • कनिष्ठ विशेषज्ञ, 51 पद स्वीकृत, 5 कार्यरत, 46 खाली
  •  वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, 19 पद स्वीकृत, 6 कार्यरत, 13 खाली
  • चिकित्सा अधिकारी, 124 पद स्वीकृत, 101 कार्यरत, 23 खाली
  •  दंत चिकित्सा अधिकारी, 5 पद स्वीकृत, 1 कार्यरत, 4 खाली

नहीं मिल पा रहा सरकारी योजनाओं का लाभ
डूंगरपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के राजकीय अस्पताल सालों से डॉक्टर्स (Doctors) की कमी की मार झेल रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के मरीज और उनके परिजन इस उम्मीद ये यंहा आते हैं कि सरकारी अस्पताल (government hospital) होने से यंहा डॉक्टर्स और स्टाफ के साथ चिकित्सा के लिए जरूरी हर सुविधा मिल जाएगी. लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ नही है. मरिजों को राजकीय अस्पतालों में डॉक्टर्स नहीं मिलने से खाली ही लौटना पड़ता है. इधर डॉक्टर्स की कमी के चलते जहां लोगो को निशुल्क योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. वहीं मजबूरी में लोगो को निजी अस्पतालों में ईलाज करवाते हुए अपनी जेबे ढीली करनी पड़ रही है.

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डॉक्टर्स (Doctors) की कमी के चलते डूंगरपुर का स्वास्थ्य विभाग सरकार की स्वास्थय योजनाओं (health plans) की क्रियान्वयन में अन्य जिलों के मुकाबले पिछड़ रहा है. बहराल सरकार प्रदेश में बेहतर चिकित्सकीय और स्वास्थ्य सेवा होने के दावे करती हो लेकिन डूंगरपुर जिले के ग्रामीण अस्पतालों (rural hospitals) में खाली पड़े पद इन दावो की पोल खोल रहे हैं. खैर अब देखने वाली बात होगी की आखिर कब तक डूंगरपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पताल राम भरोसे ही चलेंगे या सरकार इनकी कोई सुध लेगी.

Report: Akhilesh Sharma

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