इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत चित्तौड़गढ़ पंचायत समिति की नेतावल महाराज ग्राम पंचायत ( Panchayat) में बनाए गए मकानों में भारी लापरवाही पाई गई है.
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Chittorgarh: केंद्र और राज्य की सरकार लगातार पंचायती राज को सशक्त बनाने का प्रयास कर रही है ताकि अधिक से अधिक लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुंच सके और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठ सके, लेकिन चित्तौड़गढ़ में पंचायती राज के नाम पर भ्रष्टाचार हो रहा है और यह हालात तब हैं जब भ्रष्टाचार की शिकायत 5 सालों से अधिकारियों की टेबल पर घूम रही है. अब मामला इंदिरा आवास योजना से जुड़ा है जहां नियमों के विपरीत सरकारी भूमियों पर आधे अधूरे निर्माण कर मिलीभगत करते हुए पूरा भुगतान उठा लिया गया व जांच के नाम पर भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने का काम किया जा रहा है.
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इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत चित्तौड़गढ़ पंचायत समिति की नेतावल महाराज ग्राम पंचायत ( Panchayat) में बनाए गए मकानों में भारी लापरवाही पाई गई है. इन मकानों की हालत यह है कि यह मकान बिना किसी पट्टे व वैधानिक स्वीकृति के किस सरकारी भूमि पर बनाए गए इसका कोई रिकॉर्ड पंचायत के पास नहीं है लेकिन इसके बावजूद इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत इन लाभार्थियों को पूरा भुगतान दे दिया गया है. कई मकानों की छत तक नहीं डली है इसके बावजूद भुगतान किया जाना जांच करने वाले अधिकारियों पर सवाल खड़े करता है .
शिकायतकर्ता को अधिकारियों ने दी धमकी
इस मामले को लेकर गांव के ही रहने वाले एक व्यक्ति घीसू खां ने 5 सालों से लगातार पंचायत समिति, जिला कलेक्टर, जिला परिषद और अलग-अलग महकमों में शिकायतें की है और दस्तावेज प्राप्त करने में उन्हे समस्या हुई है. इस मामले में भ्रष्टाचार (Corruption)की संभावना इसलिए भी बढ़ जाती है कि जब शिकायतकर्ता ने भ्रष्टाचार की शिकायत की तो उसे पंचायत समिति में बुलाया गया और धमकी दी गई, घीसू खां ने तत्कालीन विकास अधिकारी भरत शर्मा, अधीनस्थ अधिकारियों और जांच अधिकारी खूबचंद खटीक पर बुला कर धमकाने के गंभीर आरोप लगाए हैं.
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विकास अधिकारी ने 15 दिनों में जांच करवाने की बात कही
साल 2015 से विभाग में लगातार शिकायतें हो रही है, पंचायत समिति के अधिकारी जांच करने की बात कह रहे हैं लेकिन इसके बावजूद सालों से यह फाइल जांच के नाम पर इधर-उधर घूम रही है. इस मामले में संभागीय आयुक्त ने भी जांच के आदेश दिए हैं लेकिन कोई जांच नहीं हुई उल्टा शिकायतकर्ता की शिकायतों पर ही ध्यान देना बंद कर दिया गया. राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार जिन जमीनों पर आवास बने है वे सरकारी भूमियां है जिनका कोई आवंटन नहीं है. लाभार्थियों के नाम पर जमीन किसी और की है लेकिन उस पर मकान किसी और ने बना दिया है और पंचायत में आंखें बंद कर अधिकारियों ने सत्यापन करते हुए भुगतान जारी कर दिया है, ऐसे में साफ है कि योजना शुरू होने से लेकर अब तक पंचायत में पदस्थापित रहे सचिव इस पूरे मामले में लापरवाह बने रहें. इसको लेकर विकास अधिकारी कैलाश चंद्र ( kailash Chandra) का कहना है कि हम पूरे मामले में 15 दिन में जांच कर लेंगे.
Reporter- Deepak Vyas