Sita Mata Wildlife Sanctuary में उड़न गिलहरी को देखने आते हैं पर्यटक, जानिए खासियत
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Sita Mata Wildlife Sanctuary में उड़न गिलहरी को देखने आते हैं पर्यटक, जानिए खासियत

सीता माता वन्यजीव अभयारण्य (Sita Mata Wildlife Sanctuary) उड़न गिलहरी के लिए देश में अपना अलग ही स्थान रखता है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

Pratapgarh: जिले का सीता माता वन्यजीव अभयारण्य (Sita Mata Wildlife Sanctuary) उड़न गिलहरी के लिए देश में अपना अलग ही स्थान रखता है. सीता माता अभ्यारण क्षेत्र में पिछले कुछ समय से उड़न गिलहरी की संख्या में कमी आने के कारण यहां आने वाले वन्यजीव प्रेमियों (Wildlife Lovers) को इसका दीदार नहीं हो पा रहा था. 

लेकिन अब सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य से वन्यजीव प्रेमियों के लिए राहत का समाचार आया है. लंबे अरसे के बाद एक बार फिर से उड़न गिलहरी (Flying Squirrel) के नजर आने से वन प्रेमियों और पर्यटकों में खुशी का माहौल है. वहीं, वन विभाग (Forest Department) भी अब इसके कुनबे के बढ़ने का अनुमान लगा रहा है. राजस्थान में प्रतापगढ़ के अलावा उदयपुर (Udaipur) के केवड़ा की नाल में भी उड़न गिलहरी का होना माना जाता है. लेकिन प्रतापगढ़ के सीतामाता के जंगल में इनकी तादाद अधिक है.

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प्रतापगढ़ जिले के सीता माता अभ्यारण के आरामपुरा में अब एक बार फिर से उड़न गिलहरी नजर आने लगी है. उड़न गिलहरी के लंबे समय बाद फिर से नजर आने से वन्यजीव प्रेमियों में भी खासा उत्साह है. उड़न गिलहरी का दीदार करने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आरामपुरा रेस्ट हाउस पहुंचते थे, लेकिन पिछले 6 महीने से उन्हें इसका दीदार नहीं होने के कारण निराश होकर लौटना पढ़ रहा था.

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अभी हाल ही के कुछ दिनों में एक बार फिर से आरामपुरा क्षेत्र में उड़न गिलहरी की हलचल देखी जा रही है. आरामपुरा में महुआ के पेड़ पर रोजाना उड़न गिलहरी की गतिविधियां स्पॉट की जा रही है. प्रतापगढ़ डीएफओ (Pratapgarh DFO) सुनील कुमार ने बताया कि एक बार फिर से उड़न गिलहरी की गतिविधियां नजर आने से इस का कुनबा बढ़ने की संभावना लग रही है.

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जिले में पहले इन गिलहरियों की तादात ज्यादा थी लेकिन कटते जंगल और ग्लोबल वार्मिंग के चलते इनकी तादात कम होने लगी है. अब ये वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट (Wild life protection Act) के शेड्यूल-2 में दर्ज हैं. उड़न गिलहरी अपने पंजों के फर को पैराशूट की तरह इस्तेमाल करके ये 400 से 500 मीटर मीटर तक ग्लाइड कर सकती हैं. इन गिलहरियों पर शोध करने वाले जानकार बताते हैं कि यह घोंसले नहीं बनाती है. यह अधिकांश महुवे के पेड़ के खोल में पाई जाती है. इसके निकलने का समय भी सूर्यास्त के बाद का होता है. आरामपुरा जंगल में रिकॉर्ड की गई उड़न गिलहरी की ग्लाइड कैद होने के बाद यहां पर्यटकों के भी आने की तादात बड़ गई है. 
Report- Vivek Upadhyay

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