उदयपुर: यहां मरीजों को स्ट्रेचर के बजाए झोले में टांग कर ले जाना पड़ता है, झाडोल के स्वास्थ्य केंद्र की हालत
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उदयपुर: यहां मरीजों को स्ट्रेचर के बजाए झोले में टांग कर ले जाना पड़ता है, झाडोल के स्वास्थ्य केंद्र की हालत

राजस्थान के अस्पताल में घटिया प्रबंधन का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. उदयपुर जिले के आदिवासी अंचल झाडोल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर घटिया प्रबंधन की बानगी देखने को मिली. जहां मरीजों को स्ट्रेचर की सुविधा के बजाए झोले में टांग कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया जा रहा है. 

उदयपुर: यहां मरीजों को स्ट्रेचर के बजाए झोले में टांग कर ले जाना पड़ता है, झाडोल के स्वास्थ्य केंद्र की हालत

Udaipur News: राजस्थान के अस्पताल में घटिया प्रबंधन का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. उदयपुर जिले के आदिवासी अंचल झाडोल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर घटिया प्रबंधन की बानगी देखने को मिली. जहां मरीजों को स्ट्रेचर की सुविधा के बजाए झोले में टांग कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया जा रहा है. आखिर मरता क्या नहीं करता. मरीजों को इलाज के लिए ऐसी व्यवस्था मजबूरी बन गई है. जबकि राजस्थान सरकार द्वारा चिकित्सा विभाग को मरीजों के बेहतर सुबिधा के लिए लाखों करोड़ों खर्च कर रही है.  लेकिन झाडोल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रशासन व अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

चिकित्सा विभाग में सरकार द्वारा लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर भले ही राजस्थान के कोने - कोने में चिकित्सा व्यवस्था सुदृढ़ करने के प्रयास किए हैं लेकिन उदयपुर जिले के आदिवासी अंचल झाडोल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर गंभीर मरीजों को 108 से अस्पताल और अस्पताल से 108 में शिफ्ट करने के लिए झोला बनाकर एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट करते देखना अब आम आदमी के लिए आम बात हो गई है. ऐसे में गंभीर मरीजों व परिजनों को दोहरी मार झेलनी पड़ती हैं. ऐसा ही वाक्या मंगलवार को भी देखने को मिला जब मोहम्मद फलासिया में दो बाइक आमने-सामने जोरदार टक्कर हो गई ,जिसमें एक बाइक चालक युवक गंभीर घायल हो गया. 

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जिसको झाडोल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक उपचार कर उदयपुर रेफर करना पड़ा, पर सरकारी स्ट्रक्चर की बजाय परिजन उसे झोले में डालकर गोद में उठाकर 108 में शिफ्ट कर रहे थे. यह आलम देख हर कोई बता सकता है कि जो चिकित्सा विभाग गंभीर मरीज को स्ट्रेचर उपलब्ध होते हुए भी उपलब्ध नहीं कराते है. वो विभाग के कर्मचारी इस आदिवासी क्षेत्र में अन्य चिकित्सकीय सेवाएं किस स्तर पर मुहैया करवा रहे होंगे इसका अनुमान आप स्वयं लगा सकते है. 

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