बाल विवाह की शिकार नाबालिग हुई गर्भवती, मां-बाप बालिका की कस्टडी के लिए खा रहे धक्के
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बाल विवाह की शिकार नाबालिग हुई गर्भवती, मां-बाप बालिका की कस्टडी के लिए खा रहे धक्के

बाल कल्याण समिति ने अभिभावकों को बताए बिना दूसरे लोगों के साथ बालिका को भेज दिया

प्रतीकात्मक तस्वीर

Chittorgarh: एक ओर जहां प्रदेश में लगातार बालिका सुरक्षा और संरक्षण (Girl child safety and protection) के दावे किए जा रहे हैं. वहीं, अपहरण के बाद बाल कल्याण समिति (Child welfare committee) को संरक्षण के लिए सौंपी गई एक बाल विवाह (child marriage) कराई गई नाबालिक (Minor) के गर्भवती होने का मामला सामने आया है, जहां दो बार बाल कल्याण समिति ने अभिभावकों को बताए बिना दूसरे लोगों के साथ बालिका को भेज दिया और मां-बाप बालिका की कस्टडी देने के लिए समिति के धक्के खा रहे हैं, लेकिन ना तो बालिका मिल रही है और ना ही बाल कल्याण समिति के जिम्मेदार इतने गंभीर मामले पर कुछ बोलने के लिए तैयार हैं.

चित्तौड़गढ़ (Chittorgarh News) के चंदेरिया थाने में 5 मई 2021 को एक व्यक्ति ने अपनी नाबालिग विवाहिता बेटी के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करवाई जहां से पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 20 मई को उस बालिका को दस्तयाब कर अपनी कस्टडी में लिया. इस बालिका ने अपने माता पिता के साथ जाने से इनकार किया तो उसे बाल कल्याण समिति चित्तौड़गढ़ को बेहतर संरक्षण के लिए सुपुर्द कर दिया गया. जहां से दो बार उसे अन्य लोगों के साथ भेज दिया गया और अब बालिका गर्भवती है. माता पिता के साथ जाना चाहती है लेकिन समिति बालिका को सौंपने के लिए तैयार नहीं है.

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नियमानुसार कार्रवाई कर बाल कल्याण समिति को भेजा गया
इस मामले में जब बालिका को डिटेन कर पुलिस ने कथित मौसी के हवाले किया तो बालिका वहां से एक बार फिर गायब हो गई. जिसकी रिपोर्ट उसकी मौसी ने दोबारा मंडफिया थाने में दर्ज करवा दी और पुलिस (Police) ने कार्रवाई करते हुए दोबारा उस नाबालिग को बरामद किया और नियमानुसार कार्रवाई कर बाल कल्याण समिति को भेजा गया.

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बच्ची का गर्भवती होना सामने आया है
इधर इस मामले में जब शेल्टर होम संचालकों (Shelter home operators) से बात की गई तो प्रबंधक ने बताया कि उनके पास बालिका को भेजा गया था और बाल कल्याण समिति के आदेश पर उसे उसके बड़े पापा और बड़ी मम्मी के साथ भेजा गया, जहां से बालिका लौटी और समिति के आदेश पर जब उसकी गर्भावस्था जांच कराई गई तो बच्ची का गर्भवती होना सामने आया है. वहीं, शेल्टर होम द्वारा करवाई गई काउंसलिंग में बच्ची ने बताया कि नाबालिक के पति बताए जा रहे युवक ने उसके साथ संबंध बनाए थे जिससे वह गर्भवती है.

इधर इस मामले में जब बाल कल्याण समिति की पूर्व में लगातार दो बार अध्यक्ष रही डॉ सुशीला लड्डा (Dr. Sushila Ladda) से बात की गई तो नियमों का हवाला देते हुए साफ तौर पर कहां है कि जीरो से 18 वर्ष तक की आयु के मामले में हिंदू सिविल कोड (Hindu civil code) लागू नहीं होता है. यहां जेजे ऐक्ट (JJ Act) के अंतर्गत नियमों की पालना की जाती है. जो विशिष्ट आयु वर्ग के बालक और बालिकाओं के लिए बनाया गया है. केवल रक्त संबंधियों को ही शेल्टर होम से ले जाने की इजाजत यह कानून देता है और यदि ऐसा किया गया है कि अन्य के साथ बच्चियों को भेजा गया है तो यह कानून का उल्लंघन है.

मां का क्या कहना है
बालिका को संरक्षण देने के मामले में उसकी मां का कहना है कि उन्होंने कई बार समिति से प्रयास किया है कि उनकी बेटियों को सुकून दिया जाए, लेकिन आज वह गर्भवती है और उसके बावजूद समिति संरक्षण के लिए उनकी बेटी उन्हें देने को तैयार नहीं है.

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वहीं, इतने गंभीर मामले में जहां संरक्षण के लिए सौंपी गई बालिका जो नाबालिक होने के बावजूद पहले तो बाल विवाह की शिकार हुई और उसका विवाह निरस्त कराने की बजाय समिति ने पूरी कार्रवाई करते हुए अन्य लोगों के साथ भेज दिया और आज वह गर्भवती है. लगातार अपनी लापरवाही पर पर्दा डालते हुए अब जिला प्रशासन (District administration) जिम्मेदारी डाल कर मामले की जांच का खुलासा बाल कल्याण समिति चित्तौड़गढ़ के अध्यक्ष प्रियंका पालीवाल पत्रकार वार्ता में करने का दावा कर रही है. और जबकि खुद अध्यक्ष का मानना है कि बालिका शेल्टर होम में गर्भवती नहीं हुई है.

संरक्षण को लेकर बरती गई लापरवाही के मामले में परिजनों की शिकायत पर राज्य बाल संरक्षण आयोग (Child protection commission) के सदस्य भी पहुंचे हैं. उन्होंने भी जांच की है लेकिन एक और जहां मां-बाप बेटी को पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. वहीं, दूसरी ओर जिन लोगों को जिम्मेदारी दी गई है, उनके द्वारा बरती गई लापरवाही साफ तौर पर एक सवाल खड़ा कर रही है किआखिर प्रदेश में हमारी बेटियां सुरक्षित कहां है.
Report- DEEPAK VYAS

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