सरकार की ओर से पहले भी किसानों को कई बार बातचीत का प्रस्ताव दिया जा चुका है लेकिन किसान नेता कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं जिसके चलते दोनों पक्षों में अब तक सहमति नहीं बन पाई है.
Trending Photos
चंडीगढ़: कोरोना महामारी के बीच दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन भी जारी है और सरकार से बातचीत का अब तक कोई समाधान नहीं निकल सका है. कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे किसानों से सरकार ने कई चरणों में बातचीत की लेकिन हर बैठक बेनतीजा ही रही है. अब एक बार फिर से किसानों की ओर से बातचीत का प्रस्ताव दिया गया है.
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा कि किसान संगठन केन्द्र के साथ बातचीत फिर शुरू करने को तैयार हैं, लेकिन यह बातचीत नये कृषि कानूनों को वापस लेने पर होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मांगें पूरी होने से पहले किसानों के प्रदर्शन स्थल से हटने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता.
हालांकि सरकार की ओर से पहले भी किसानों को कई बार बातचीत का प्रस्ताव दिया जा चुका है लेकिन किसान नेता कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं जिसके चलते दोनों पक्षों में अब तक सहमति नहीं बन पाई है. किसानों की मांग पर केंद्र सरकार कानून में संशोधन के मुद्दे पर भी तैयार हुई थी लेकिन फिर भी किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को मंजूर नहीं किया.
टिकैत ने कहा कि जब सरकार बात करना चाहेगी, संयुक्त किसान मोर्चा बात करेगा. उन्होंने कहा कि लेकिन बातचीत केन्द्र के नये कृषि कानूनों को वापस लेने पर होनी चाहिए. सरकार पहले ही कृषि कानून किसी भी कीमत पर वापस लेने से इनकार कर चुकी है और लगातार कानून को किसानों के लिए हितकारी बता रही है.
किसान आंदोलन को 6 माह से ज्यादा का वक्त हो चुका है. इस मौके पर किसान संगठनों ने 26 मई को देशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान किया है. संयुक्त किसान मोर्चा के इस प्रदर्शन को 12 प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने अपना समर्थन देने का भी ऐलान कर दिया है. विपक्षी दलों की ओर से किसानों के समर्थन में एक चिट्ठी भी जारी की गई है जिसपर 12 प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं के नाम हैं.