राम मंदिर: एक तरफ सनातन संस्‍कृति को कोसती है DMK, दूसरी तरफ कनिमोझी की फैमिली ने भेजा 613 किलो का घंटा
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राम मंदिर: एक तरफ सनातन संस्‍कृति को कोसती है DMK, दूसरी तरफ कनिमोझी की फैमिली ने भेजा 613 किलो का घंटा

Ayodhya Ram Temple:  पूरे देश में भगवान राम की नगरी अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर निर्माण को लेकर भारी उत्साह है. इस बीच हिंदी हार्टलैंड से सैकड़ों किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में स्थित तमिलनाडु से राम मंदिर के लिए ऐसी भेंट आई है, जिसे लेकर एक बार फिर 'आस्था और सुविधा की राजनीति' जैसी चर्चा तेज हो गई है. 

राम मंदिर: एक तरफ सनातन संस्‍कृति को कोसती है DMK, दूसरी तरफ कनिमोझी की फैमिली ने भेजा 613 किलो का घंटा

Ram Mandir Ghanti DMK Sanatan row: दक्षिण भारत के तमिलनाडु में सत्ता (Tamil Nadu Politics) पर काबिज डीएमके के नेताओं का 'सनातन' और 'हिंदी' से बैर दशकों पुराना है. करुणानिधि की सियासत से लेकर उनकी विरासत यानी स्टालिन राज तक सैकड़ों ऐसे मौके आए जब सनानत और हिंदी पर हमला हुआ. इसी साल DMK के विधायकों, मंत्रियों, सांसदों और खुद सीएम स्टालिन (MK Stalin) के बेटे ने विवादित बयान देकर हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ किया. देशव्यापी विरोध के बावजूद स्टालिन अपने बयानवीर नेताओं की नकेल कसने और बेटे को समझाने के बजाए विवाद से कन्नी काटते नजर आए. इसी बीच जब अचानक स्टालिन फैमिली से अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के कर्ताधर्ताओं के पास अंग्रेजी में 'जय श्री राम' लिखा एक 613 किलोग्राम का घंटा भेंट के रूप में पहुंचा तो बहुत से लोगों को ये कुछ अटपटा सा लगा. 

घंटा बजेगा तो निकलेगी ओम की प्रतिध्वनि

दरअसल तमिलनाडु के रामेश्वरम से चलकर 613 किलो का एक घण्टा अयोध्या पहुंच चुका है. यह घंटा अष्टधातु से बना है. इस घंटे को तमिलनाडु की सांसद कनिमोझी के परिवार जनों ने भेजा है और इस पर उनका नाम भी लिखा है. इस घंटे की खासियत पर गौर करें तो जब ये बजेगा तो ओम की ध्वनि प्रस्फुटित होती नजर आएगी.

आपको बता दें कि भगवान श्री राम ने लंका विजय से पूर्व रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना की थी. भगवान राम और महादेव का रिश्ता आराध्य और आराधक का है. ऐसे में रामलला के इस भव्य मंदिर में इस घंटे से निकलने वाली ओम ध्वनि राम लला के धाम में उनके आराध्य महादेव भगवान शिव की उपस्थिति का एहसास भी कराएगी. 

कौन हैं कनिमोझी?

डीएमके सांसद कनिमोझी तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन की सौतेली बहन हैं. वो उसी परिवार से आती हैं जहां सनातन और हिंदी के अपनाम की परंपरा रही है. कनिमोझी के पति सिंगापुर के नागरिक हैं. उनके पास पिछले साल तक पैन कार्ड नहीं था. वो अपने पिता की पार्टी में अहम जिम्मेदारी संभालती हैं.

वो मामले जब हुआ विवाद

संसद के बीते शीतकालीन सत्र में डीएमके नेता डीएनवी सेंथिलकुमार के बयान पर बवाल हुआ था. डीएमके सांसद के इस बयान के लिए बीजेपी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर जोरदार हमला बोला था. इसी दौरान डीएमके नेता उदयनिधि ने सनातन पर एक बार फिर बयान दिया था. उदयनिधि ने कहा था कि वे स्टालिन के बेटे और करुणानिधि के पोते हैं और वे अपने बयान के लिए माफी नहीं मांगेगे. गौरतलब है कि उदयनिधि ने कुछ महीने पहले ही सनातन धर्म की तुलना 'डेंगू' और 'मलेरिया' से की थी.

तीन साल पहले नई शिक्षा नीति के बहाने खुद स्टालिन ने हिंदी के खिलाफ हमला बोला था. इसी तरह बीते मार्च में जब नियमों के तहत दही के पैकेट पर हिंदी में दही लिखना अनिवार्य किया जा रहा था, तब तमिलनाडु ने भाषायी साम्राज्यवाद का आरोप लगाते हुए इसका विरोध किया. इस तरह साफ होता है कि स्टालिन सरकार सनातन और हिंदी दोनों के खिलाफ विषवमन करती आई है. 

ऐसे में जब कनिमोझी फैमिली से राम मंदिर के लिए घंटा एक भेंट के रूप में पहुंचने की खबर सामने आई तो हो सकता है कि कनिमोझी फैमिली के इस फैसले से खुद उनकी पार्टी के कई नेतास समर्थक और कार्यकर्ता भौचक्के रह गए हों. लेकिन पार्टी आलाकमान के खिलाफ मुंह खोलने की उनकी हिम्मत नहीं हुई होगी.

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