Ram Mandir Ayodhya: हनुमानगढ़ी के लड्डुओं को मिला जीआई टैग, जानें क्या होता है 'GI TAG' के फायदे
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Ram Mandir Ayodhya: हनुमानगढ़ी के लड्डुओं को मिला जीआई टैग, जानें क्या होता है 'GI TAG' के फायदे

Hanuman Garhi Laddo GI Tag: अयोध्या के हनुमानगढ़ी के बेसन के लड्डू को जी आई टैग मिला है. आइये जानते हैं कि जीआई क्या होता है? इसके क्या फायदे हैं? और ये टैग कौन देता है?

Ram Mandir Ayodhya: हनुमानगढ़ी के लड्डुओं को मिला जीआई टैग, जानें क्या होता है 'GI TAG' के फायदे

Hanuman Garhi Laddo: अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है. इस बीच हनुमानगढ़ी के बेसन के लड्डू को जी आई टैग मिला है. माना जाता है कि भगवान हनुमान की इजाजत के बिना भगवान राम का दर्शन अधूरा होता है. इसलिए बहुत से भक्त अयोध्या में बजरंग बली के दर्शन के लिए हनुमान गढ़ी जाते हैं. जैसा की हम जानते हैं कि हनुमान जी को लड्डू पसंद है. इसलिए हनुमानगढ़ी में बेसन के लड्डू को प्रसाद के तौर पर चढ़ाया जाता है. कई पीढ़ियों से ये अयोध्या का एक प्रसिद्ध मिठाई है. आज जब इसको जीआई मिल चुका है तो ये लड्डु अपने क्षेत्र का पहचान बन चुका है. 

क्या होता है जीआई टैग?

GI tag का मतलब  geographical indication tag होता है. यह किसी भी उत्पाद की विशिष्ट भौगोलिक उत्पति, विशेष गुणवत्ता और विशेष पहचान के आधार पर दिया जाता है. ये एक ऐसा दर्जा है जो किसी विशेष क्षेत्र से संबंधित प्रोडक्ट की विश्वसनीयता को बढ़ा देता है. जीआई टैग चार तरीके के उत्पादों को मिलता है जैसे- कृषि उत्पाद, खाद्य सामग्री, हस्तशिल्प, निर्माण उत्पाद. सबसे पहले पश्चिम बंगाल की दार्जलिंग चाय को जीआई टैग दिया गया था.

जीआई टैग के फायदे
जीआई मिलने के कई फायदे होते हैं.
1- एक तो उस उत्पाद के लिए कानूनी सुरक्षा मिल जाती है मतलब मार्केट में उसी नाम से दूसरा प्रोडक्ट नहीं लाया जा सकता है.
2- जीआई टैग मिलने के बाद उस उत्पाद की विश्वसनीयता बढ़ जाती है. 
4- जीआई टैग मिलने के बाद उत्पादक किसी भी अन्य देशों में इसे निर्यात कर सकते हैं. जिससे घरेलू बाजारों से लेकर अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में उस उत्पाद की मांग बढ़ जाती है. 
5- जीआई टैग मिलने के बाद उत्पाद उस क्षेत्र की पहचान बन जाती है. ये टैग व्यापारियों के लिए एक तरीके का हॉलमार्क है जिसका इस्तेमाल पैकिंग पर भी किया जा सकता है. 

कौन देता है GI टैग?
भारत सरकार ने वर्ष 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत 'जियोग्राफिकल इंडिकेशन ऑफ गुड्स' लागू किया था. 2003 में जीआई टैग(GI Tag) देने की शुरुआत हुई थी. साल 2004 में सबसे पहले पश्चिम बंगाल की दार्जलिंग चाय को जीआई टैग दिया गया था. ये टैग औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (Department for Promotion of Industry and Internal Trade) द्वारा दिया जाता है. ये विभाग वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) के तहत गवर्न किया जाता है. सरल करके कहें तो भारत सरकार जीआई टैग जारी करती है.

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