Kerala: Rape पीड़िता ने दोषी पादरी से शादी करने के लिए SC में दाखिल की याचिका, की रिहा करने की मांग
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Kerala: Rape पीड़िता ने दोषी पादरी से शादी करने के लिए SC में दाखिल की याचिका, की रिहा करने की मांग

Rape Survivor Moved SC To Marry Convict: रेप के वक्त पीड़िता नाबालिग थी. वह अब दोषी कैथोलिक पादरी रोबिन वडक्कुमचेरी से शादी करना चाहती है, जो जेल में बंद है.

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) | फोटो साभार: रॉयटर्स

नई दिल्ली: केरल (Kerala) के कोट्टियूर में रहने वाली एक रेप पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार (Kerala Rape Survivor Moved SC) लगाई है कि उसका रेप करने वाले कैथोलिक पादरी (Rape Convict Catholic Priest) को जेल से जमानत पर रिहा कर दिया जाए क्योंकि वह उससे शादी करना (Rape Survivor Wants To Marry Convict) चाहती है. दोषी ने जब पीड़िता के साथ रेप किया था, उस वक्त वह नाबालिग थी. बाद में पीड़िता ने एक बच्चे को जन्म दिया, जिसका पिता वह दोषी को बता रही है.

  1. रेप का दोषी ही है उसके बच्चे का पिता- पीड़िता
  2. दोषी को मिल चुकी है 20 साल की सजा
  3. पॉक्सो एक्ट के तहत केस किया गया था दर्ज

जेल में बंद है रेप का दोषी पादरी

जान लें कि आरोपी का नाम रोबिन वडक्कुमचेरी (Robin Vadakkumchery) है. वह एक कैथोलिक पादरी (Catholic Priest) है. आरोपी इस वक्त जेल में है और 20 साल की सजा काट रहा है. नाबालिग लड़की के रेप के बाद रोबिन वडक्कुमचेरी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट (POSCO Act) के तहत केस दर्ज किया गया था. कोर्ट ने रोबिन को मामले में दोषी करार दिया था. हालांकि इसके बाद महिला अपने बयान से पलट गई और दावा किया कि दोनों के बीच सहमति से संबंध बने थे.

हाई कोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका

केरल हाई कोर्ट ने रोबिन वडक्कुमचेरी की एक याचिका को ठुकरा दिया, जिसमें उसने पीड़िता से शादी करने के लिए जमानत देने की गुहार लगाई थी. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि निचली अदालत का यह निष्कर्ष कि बलात्कार के समय पीड़िता नाबालिग थी, अब भी लागू है. आरोपी का दोष साबित होने के खिलाफ अपील अभी भी हाई कोर्ट में लंबित है.

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शादी को नहीं दी जा सकती न्यायिक मंजूरी

हाई कोर्ट ने कहा था कि निचली अदालत के फैसले के बरकरार रहने पर पक्षकारों को शादी करने की इजाजत देने का मतलब शादी को न्यायिक मंजूरी देना होगा.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 जुलाई, 2018 को कोट्टियूर रेप मामले में नाबालिग और तत्कालीन कैथोलिक पादरी से जुड़े आरोपों को ‘बहुत गंभीर’ करार दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.

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रोबिन वडक्कुमचेरी के अलावा पुलिस ने तब दो डॉक्टरों और अस्पताल के एक प्रशासक (Administrator) के खिलाफ पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत क्राइम को कथित रूप से छिपाने, नाबालिग रेप पीड़िता के संपर्क में आने के बाद भी पुलिस को इसकी सूचना नहीं देने और सबूत नष्ट करने के लिए मामला दर्ज किया था.

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