Imran पर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का दबाव, खौफजदा Dawood Ibrahim ने परिवार को पाकिस्तान के बाहर भेजा
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Imran पर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का दबाव, खौफजदा Dawood Ibrahim ने परिवार को पाकिस्तान के बाहर भेजा

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के दबाव में इमरान खान सरकार ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मौलाना मसूद अजहर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. इस कार्रवाई के बाद से दाऊद इब्राहिम खौफ में है. उसने परिवार के कुछ सदस्यों को पाकिस्तान के बाहर शिफ्ट कर दिया है. 

 

फाइल फोटो

नई दिल्ली: भारत का मोस्टवांटेड आतंकी दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) काफी डरा हुआ है. डर का आलम यह है कि उसने अपने परिवार के खास सदस्यों को पाकिस्तान (Pakistan) से बाहर शिफ्ट कर दिया है. दरअसल, भारत की कोशिशों के परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तरफ से पाकिस्तान पर आतंकी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव है. हाल ही में इमरान खान सरकार ने जैश प्रमुख मसूद अजहर और मुंबई हमले के मास्टरमाइंड जकी-उर-रहमान लखवी पर सख्ती दिखाई है. इसे लेकर दाऊद खौफ में आ गया है और उसने अपने परिवार के कुछ सदस्यों को पाकिस्तान से बाहर भेज दिया है. 

  1. खुफिया सूत्रों ने बताया दाऊद इब्राहिम का हाल
  2. बेटे और दो भाइयों के बच्चों को भगाया
  3. छोटा शकील भी कहीं जाकर छिप गया है
  4.  

Karachi से चला रहा कारोबार

भारत के खुफिया सूत्रों ने न्यूज एजेंसी IANS को बताया कि दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) ने परिवार के जिन सदस्यों को पाकिस्तान से बाहर शिफ्ट किया है उसमें उसका बेटा और दो छोटे भाइयों के बच्चे शामिल हैं. इससे पहले दाऊद ने अपनी बड़ी बेटी माहरुख (Mahrukh) के लिए पुर्तगाली पासपोर्ट का इंतजाम किया था. माहरुख की शादी पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर जावेद मिंयादाद के बेटे जुनैद से हुई है. सूत्रों के मुताबिक, दाऊद अभी कराची से अपना कारोबार चला रहा है.

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Dubai में बसा है भाई

सूत्रों ने बताया कि दाऊद का छोटा भाई मुस्तकीम अली कासकर (Mustakeem Ali Kaskar) पहले से ही दुबई में बसा हुआ है. वो संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और कतर में D कंपनी का कारोबार संभालता है. मुस्तकीम की संयुक्त अरब अमीरात में गारमेंट फैक्ट्री है. कथित तौर पर वह D-फैमिली के उन करीबी रिश्तेदारों की देखरेख करता है, जिन्हें हाल में कराची से दुबई भेजा गया था.

Anees Ibrahim है गायब

खुफिया सूत्रों ने बताया कि कराची में डिफेंस हाउसिंग एरिया में रहने वाला दाऊद का भाई अनीस इब्राहिम (Anees Ibrahim) का भी पिछले दो हफ्तों से पता नहीं है. 1993 में हुए मुंबई ब्लास्ट के आरोपी अनीस इब्राहिम ने डी-कंपनी का कारोबार देखने के लिए पहले ही अपने बच्चों को मिडिल ईस्ट के देशों में शिफ्ट कर दिया था. वहीं, दाऊद का खास और उसका वसूली का काम संभालने वाला छोटा शकील (Chhota Shakeel) भी इन दिनों कहीं छिपा हुआ है.

इस मिल में छपते हैं जाली नोट

अनीस इब्राहिम अभी सिंध प्रांत के कोटली इंडस्ट्रियल एरिया में मेहरान पेपर मिल का काम देखता है, यह मिल कराची से करीब 154 किमी दूर है. बताया गया है कि पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) की देखरेख में इस पेपर मिल में कथित रूप से जाली भारतीय करेंसी की छपाई होती है. इससे पहले अमेरिकी एजेंसी ‘डिपार्टमेंट ऑफ ट्रेजरी ऑफिस ऑफ फॉरेन असेट्स कंट्रोल’ ने पाकिस्तान सरकार से इस पेपर मिल को बंद कराने के लिए कहा था. सूत्रों के अनुसार, दाऊद के एक भाई नुरुल हक की पाकिस्तान में मौत हो चुकी है. जबकि उसके सबसे बड़े भाई साबिर अहमद की 1981 में मुंबई में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. साबिर का परिवार बाद में पाकिस्तान चला गया और दाऊद की देखरेख में रह रहा है.

FATF ने बढ़ाया है दबाव

सूत्रों ने बताया कि डॉन का बेटा मोइन कासकर (Moin Kaskar) अक्सर लंदन आता-जाता है. उसने ब्रिटेन के जाने-माने कारोबारी की बेटी से शादी की है. वह पत्नी के साथ 2019 तक कराची में दाऊद के क्लिफ्टन बंगले में रहता था. मोइन कराची, लाहौर और यूएई में D-Company के अरबों रुपये के रियल एस्टेट कारोबार को संभालता है. बता दें कि हाल में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के दबाव में इमरान खान सरकार ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मौलाना मसूद अजहर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. इस कार्रवाई को देखते हुए सभी का ध्यान दाऊद इब्राहिम पर टिक गया है. इसके अलावा, लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी की गिरफ्तारी से भी दाऊद काफी परेशान है. 

क्या Action लेंगे Imran Khan?

वैसे, सूत्रों का कहना है कि दाऊद के समधी जावेद मियांदाद के पुराने साथी रहे प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) शायद ही दाऊद पर कोई कार्रवाई करें. पहले भी जब भारत के मोस्टवांटेड आतंकी का सिंडिकेट दुनिया की एजेंसियों के रडार पर आया है, तो वो अपने खास सदस्यों को पाकिस्तान से बाहर भेजता रहा है. लिहाजा संभव है कि कुछ समय बाद जब मामला ठंडा पड़ जाए तो उसके परिवार के सदस्य वापस पाकिस्तान लौट आएं. हालांकि अगर अंतरराष्ट्रीय दबाव लगातार कायम रहा, तो उसके लिए मुश्किल हो सकती है.

 

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