Bypoll Results : किसके सिर होगा यूपी-बिहार उपचुनाव का ताज, मतगणना आज
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Bypoll Results : किसके सिर होगा यूपी-बिहार उपचुनाव का ताज, मतगणना आज

गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के मतों की गिनती के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. 

उत्तर प्रदेश और बिहार लोकसभा उपचुनाव के नतीजे आज घोषित किए जाएंगे

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश और बिहार उपचुनावों के नतीजे का काउट डाउन शुरू हो चुका है. दोपहर तक नतीजे सभी के सामने आ जाएंगे. चुनावी नतीजों के लिए चुनाव आयोग ने भी तैयारियां पूरी कर ली हैं. मतगणना स्थलों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं और वोटों की गिनती सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में की जाएगी.

  1. 11 मार्च को हुआ था यूपी-बिहार में उपचुनाव
  2. गोरखपुर सीएम योगी की परंपरागत सीट है
  3. चुनावों में कम मतदान से बीजेपी की चिंता बढ़ी

मतगणना का काम सुबह आठ बजे शुरू होगा और 10 बजे तक शुरुआती रुझान मिलने शुरू हो जायेंगे. यूपी में कम मतदान होने के कारण राजनीतिक दलों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं. इन चुनावों को 2019 में होने वाले आम चुनावों का ट्रेलर मानकर देखा जा रहा है.

उम्मीद से कम मतदान
बता दें कि उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव के लिए मतदान गत 11 मार्च को हुआ था. इस दौरान क्रमशः 47.75 प्रतिशत और 37.39 फीसद वोट पड़े थे. गोरखपुर सीट के लिए 10 तथा फूलपुर सीट पर 22 उम्मीदवार मैदान में हैं. गोरखपुर सीट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के और फूलपुर सीट उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य के विधान परिषद की सदस्यता ग्रहण करने के बाद त्यागपत्र देने के कारण खाली हुई थी. इन सीटों पर हुए मतदान को आगामी आम चुनावों से पहले भाजपा के लिए एक इम्तहान माना जा रहा है.

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बिहार में एक लोकसभा और दो विधानसभा सीटें
अररिया लोकसभा के लिए हुए उपचुनाव में 57 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. बिहार की भभुआ और जहानाबाद विधानसभा सीटों के लिए कराए गए उपचुनाव में क्रमश: 54.03 फीसदी तथा 50.06 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया.

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अररिया से आरजेडी सांसद मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद यह इस सीट पर उप चुनाव कराया गया था. इस सीट पर लडाई मुख्य रूप से राजद और भाजपा के बीच है. राजद ने तसलीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम को मैदान उतारा तो भाजपा ने प्रदीप सिंह को खड़ा किया था. प्रदीप यहां से 2009 में चुनाव जीत चुके हैं जबकि 2014 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. जहानाबाद और भभुआ के मौजूदा विधायकों के निधन के बाद यहां मतदान कराया गया था. 

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