सबरीमाला मंदिर को लेकर गृह मंत्रालय ने केरल सरकार को लिखी थी चिट्ठी, 'माओवादी महिलाओं को भड़का रहे हैं'
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सबरीमाला मंदिर को लेकर गृह मंत्रालय ने केरल सरकार को लिखी थी चिट्ठी, 'माओवादी महिलाओं को भड़का रहे हैं'

जी मीडिया के हाथ एक ऐसी चिट्ठी लगी है जो यह बताने के लिए काफी है कि केरल सरकार को पहले से ही इस तरह के प्रोटेस्ट की जानकारी थी

सबरीमाला मंदिर पर जारी बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: सबरीमाला मंदिर पर जारी बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंदिर में सभी वर्ग की महिलाओं को जाने की इजाजत के बाद भी प्रदर्शनकारी शुक्रवार को भी 'प्रतिबंधित' आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में नहीं घुसने दे रहे हैं. इस बीच, दो महिलाओं के एंट्री पॉइंट पर पहुंचने के बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई. और आखिकार पुलिस सुरक्षा के साथ मंदिर तक पहुंचीं दोनों महिलाओं को वापस लौटना पड़ा. इस बीच जी मीडिया के हाथ एक ऐसी चिट्ठी लगी है जो यह बताने के लिए काफी है कि केरल सरकार को पहले से ही इस तरह के प्रोटेस्ट की जानकारी थी. लेकिन उनकी तरफ से एहतियात के जरूरी कदम नहीं उठाए गए. 

  1. केरल सरकार को पहले से ही इस तरह के प्रोटेस्ट की जानकारी थी
  2. केन्द्र सरकार द्वारा केरल सरकार को लिखी गई थी एक चिट्ठी
  3. 16 अक्टूबर को लिखी गई चिट्ठी में था माहौल भड़कने का जिक्र

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केरल सरकार को पहले ही दी गई थी जानकारी
आपको बता दें कि जी मीडिया के पास केन्द्र सरकार द्वारा केरल सरकार को लिखी गई वह चिट्ठी की कॉपी मौजूद है जिसमें उसे सबरीमाला मंदिर में होने वाले प्रदर्शन के बारे में सचेत किया गया था. यह चिट्ठी 16 अक्टूबर को केन्द्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से केरल और तमिलनाड़ु के मुख्य सचिव और दोनों राज्यों के डीजीपी (पुलिस विभाग के प्रमुख) को लिखी गई थी. चिट्ठी में इस बात का इशारा किया गया है कि सबरीमला मंदिर में एंट्री के लिए महिलाओं को नक्सली ग्रुप की शह मिली हुई है. माओवादी और उग्र वामपंथी सबरीमाला में महिलाओं को प्रवेश के लिए भड़का रहे हैं. गृह मंत्रालय ने चिट्ठी लिखकर 3 दिन पहले केरल सरकार को अलर्ट किया था. इसके साथ ही उसे कानून-व्यवस्था के लिये जरुरी इंतजाम करने की सलाह भी दी थी.

 

राज्य में प्रदर्शनों की आशंका जताई गई थी
चिट्ठी में इस बात का भी जिक्र है कि हिन्दू संगठन बुधवार को विरोध प्रदर्शन का प्लान कर रहे हैं. जैसा चिठ्ठी में बताया गया हुआ भी कुछ वैसा ही सबरीमाला में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बुधवार को पहली बार भगवान अय्यप्पा मंदिर के दरवाजे तो खुले लेकिन 'प्रतिबंधित' उम्र समूह वाली कोई भी महिला दर्शन करने में सक्षम नहीं हो पाई. यहां प्रदर्शनकारियों और पुलिस बल के बीच हिंसक झड़प भी हुई.

पुलिस की एक न चली और दोनों महिलाओं को मंदिर से वापस लौटना पड़ा
सबरीमाला में महिलाओं की एंट्री के खिलाफ संग्राम लगातार जारी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद शुक्रवार को महिलाएं सबरीमाला मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाईं. प्रदर्शनकारियों के दबाव की वजह से पुलिस को जहां पीछे हटना पड़ा और भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए दोनों महिलाओं को  मंदिर के प्रवेश द्वार से बिना दर्शन कर वापस लौटना पड़ा. 250 पुलिसकर्मियों के सुरक्षा घेरे में मंदिर में प्रवेश कराने की कोशिश की गई, लेकिन प्रदर्शनकारियों के सामने पुलिस की एक न चली और दोनों महिलाओं को मंदिर से वापस लौटना पड़ा. पुलिस के पहरे में सबरीमाला मंदिर में दर्शन करने जा रही दोनों महिलाएं 500 मीटर की दूरी से लौट आई हैं.

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मुख्य पुजारी बोले- 'महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश किया, तो ताला लगा देंगे'
बताया जा रहा है कि पंबा में केरल पुलिस ने दोनों महिलाओं को वहां के हालात की जानकारी दी. जिसके बाद इन महिलाओं ने वापस आने का फैसला किया. मौके पर मौजूद केरल क्राइम ब्रांच के आईजी एस श्रीजीत का कहना है कि वो चाहते तो रास्ता रोकने वाले प्रदर्शनकारियों को हटा सकते थे. लेकिन राज्य सरकार की ओर से ऐसा आदेश नहीं मिला है. इसके अलावा मंदिर के पुजारी कंदारारू राजीवारू ने आईजी से कहा कि अगर महिलाओं की एंट्री मिली तो धार्मिक तबाही होगी. आईजी के मुताबिक पुजारी ने मंदिर का दरवाजा खोलने से इनकार कर दिया और कहा कि अगर मंदिर में महिलाओं के घुसने की कोशिश होती है तो वो दरवाजा बंद कर चले जाएंगे.

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