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चंडीगढ़: पंजाब (Punjab) में शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के नेता विवादों से बाहर नहीं आ पा रहे हैं. पुराने मुद्दों पर आज भी लोग उन्हें पहले की तरह ही घेर रहे हैं. पंजाब में आगामी विधान सभा चुनावों (Punjab Assembly Election 2022) की तैयारी में जुटे अकाली नेता पुरजोर इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि उन पर लगे पुराने आरोपों से पीछा छूटे ताकि वो एक बार फिर जनता का विश्वास जीतकर सत्ता हासिल कर पाएं. लेकिन जैसे ही अकाली दल के नेता आगे बढ़ते हैं वैसे ही कुछ ऐसा विवाद उठ जाता है कि जनता और बाकी पार्टियां उन्हें फौरन घेर लेती हैं.
दोबारा से पंजाब की बागडोर संभालने का ख़्वाब देखने वाले अकाली नेता अभी बिक्रम मजिठिया के विवाद से बाहर भी नही निकले पाए थे कि बिक्रम मजिठिया की बहन और पंजाब में अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल एक नए विवाद में घिर गई हैं. उन्होंने अकाली दल के चुनाव चिन्ह की तुलना बाबा नानक की तकड़ी (तराजू) से कर दी है. हरसिमरत ने अबोहर की एक रैली में कहा कि अकाली दल का चुनाव चिन्ह भी उनके लिए बाबा नानक की तकड़ी से कम नहीं है. इसके बाद अन्य राजनीतिक दलों ने उन्हें एक बार फिर चौतरफा घेर लिया.
आपको बता दें कि गुरु नानक देव सिख धर्म के पहले गुरु थे. केंद्र सरकार में मंत्री रह चुकी हरसिमरत ने जब ये बयान दिया तो हंगामा मच गया. दरअसल अकाली दल पंजाब में पंथ की राजनीति करती है. ऐसे में उसी सिख पंथ के पहले गुरु के बारे में विवादित टिप्पणी का लोग जमकर विरोध कर रहे हैं.
अबोहर की रैली में बठिंडा से सांसद हरसिमरत कौर बादल ने यह भी कहा, 'हमारा परिवार अहसानफरामोश नहीं है. लोगों के अहसान का मूल्य मोड़ने की पूरी कोशिश करते हैं. हमारे लिए अकाली दल का चुनाव चिन्ह, गुरु नानक साहब की तकड़ी से कम अहमियत नहीं रखती. यह तकड़ी हमें याद दिलाती है कि अगर आपने हमारी पार्टी में विश्वास जताया है तो इसका मूल्य सौ गुना वापस मोड़ा जाए.
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दरअसल यह पहला मौका नहीं है, जब हरसिमरत कौर बादल ने कोई विवादित टिप्पणी की हो. इससे पहले उन्होंने किसानों के करीबी और हमदर्दी दिखाने के चक्कर में हिंदुओं पर तिलक-जनेऊ को लेकर टिप्पणी करते हुए विवाद खड़ा कर दिया था. हरसिमरत ने संसद में कहा था कि लाल किले पर केसरी झंडा लहराने पर ऐतराज किया जा रहा है. जबकि यह वही जगह है, जहां से सिख धर्म के 9वें गुरू की शहादत का ऐलान किया गया था. हरसिमरत ने कहा कि आपके तिलक और जनेऊ को बचाने के लिए 9वें गुरू ने शहादत दी थी. उनका ये बयान बीजेपी के जरिए सीधे तौर पर हिंदुओं के लिए माना गया था.
आपको बतां दे कि पंजाब चुनाव में पार्टी की हालत को लेकर अकाली दल काफी परेशान है. किसान आंदोलन की राजनीतिक मजबूरी के चलते उन्हें केंद्र में मंत्री पद गंवाना पड़ा. फिर केंद्र में सत्ता संभाल रही बीजेपी (BJP) से गठबंधन तोड़ना पड़ा. किसान आंदोलन का भी कोई फायदा भी उन्हें नहीं मिल रहा. क्योंकि वह भी पहले कृषि कानूनों की तारीफ कर चुके थे. ऐसे में जब अचानक दिग्गज अकाली नेता और सांसद हरसिमरत कौर बादल के भाई बिक्रम मजीठिया पर सरकार ने ड्रग्स का केस दर्ज कर दिया. तो उन्हें अंडरग्राउंड होना पड़ा. वहीं बीजेपी से अलग होने के बाद शहरों में उन्हें हिंदू वोट बैंक की चिंता सता रही है, जबकि गांवों में पहले आप और अब किसानों के खुद चुनावी पार्टी बनाकर मैदान में उतरने से उन्हें बड़ा तगड़ा झटका लगा है. ऐसे में उनका क्षेत्रीय पार्टी का दांव भी पिटता नजर आ रहा है.
अब आपको बतां दे कि पूरा माजरा क्या है और हरसिमरत ने कब और कहां पर क्या बात कही की वो फिर एक बार से विवादों में घिर गईं और यह भी जानिए क्या थी बाबा नानक की तकड़ी. दरअसल कपूरथला के सुल्तानपुर लोधी में गुरु नानक देव जी नवाब के भंडारगृह में काम करते थे. यहां गुरु नानक देव जी जरूरतमंदों की मदद करते थे. कुछ लोगों ने सुल्तान को चुगली कर दी कि बाबा नानक के कारण मोदीखाना लुट रहा है. वह कोई चीज तोलते नहीं और 'तेरा-तेरा' कहकर सामान दे देते हैं. हालांकि जब इसका हिसाब जोड़ा गया तो मोदीखाने में रुपए ज्यादा ही निकले. श्री गुरु नानक देव जी की इसी तकड़ी के प्रति श्रद्धालुओं में अपार श्रद्धा रहती है. इसलिए कहा जाता है कि बाबा नानक की तकड़ी हमेशा बराबर तोलती है.
ऐसे में जब चुनावी रैली में गुरुनानक देव जी की पवित्र तकड़ी की तुलना अकाली दल की तकड़ी से की गई तो लोगों ने हरसिमरत को यह कह कर सोशल मीडिया पर घेर लिया कि तुम्हारी तकड़ी के कारण पंजाब में श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी हुई जिसमें आज तक इंसाफ नही मिला. कुछ लोगों ने ये भी लिखा कि इसी तकड़ी के कारण पंजाब ड्रग्स जैसे बड़े मुद्दे से जूझ रहा है और इसी तकड़ी के कारण पंजाब में ट्रांसपोर्ट और केबल माफिया भी फल फूल रहा है. ऐसे में हरसिमरत का ये बयान आने वाले चुनावी वक़्त में अकाली दल पर काफी भारी पड़ सकता है.