बारिश से परेशान मुंबई पर 'सामना' में छपा लेख, लेकिन नहीं लिखी गई जिम्मेदारी की बात!
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बारिश से परेशान मुंबई पर 'सामना' में छपा लेख, लेकिन नहीं लिखी गई जिम्मेदारी की बात!

सामना के सम्पादकीय लेख में लिखा गया है की "पूरे जून की औसत बरसात केवल 24 घंटो में बरसेगी तो क्या होगा. पिछले 2- 3 मुंबई, पुणे, कल्याण जैसे क्षेत्रो में अलग अलग मामलो में दीवार गिरने से करीब 43 मौत हो चुकी है. 

राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5 लाख की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है और इस मामले की जांच भी ज़रूर होगी.

नई दिल्ली: बुधवार को अपने मुखपत्र सामना के जरिये शिवसेना ने बारिश के दौरान पूरी व्यवस्था के चौपट हो जाने की जिम्मेदारी से पल झाड़ने की कोशिश करी है. सामना के सम्पादकीय लेख में लिखा गया है की "पूरे जून की औसत बरसात केवल 24 घंटो में बरसेगी तो क्या होगा. पिछले 2- 3 मुंबई, पुणे, कल्याण जैसे क्षेत्रो में अलग अलग मामलो में दीवार गिरने से करीब 43 मौत हो चुकी है. 

राज्य सरकार ने की इतने मुआवजे की घोषणा
राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5 लाख की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है और इस मामले की जांच भी ज़रूर होगी लेकिन इस मामले में होने वाली विरोधियो और टीकाकारो की राजनीती घृणास्पद है. शिवसेना और भगवा से एलेर्जी रखने वाले लोग और क्या करेंगे. 26 जुलाई 2005 को मुंबई ने जलप्रलय सेहन किया था और अब सोमवार को कम समय में ही जोरदार बारिश ने मुंबई वासियों को झकझोर के रख दिया है. ऐसी परिस्थिति शहर या राज्य जहां कही भी हो उसे जलमग्न होना ही है. 

अहमदाबाद से लेकर नागपुर में भी इस तरह की स्तिथि देखने के लिए मिली है लेकिन मुंबई में "ज़रा भी कुछ हुआ" तो उसके लिए शिवसेना और मनपा जिम्मेदार ठहराने का पुराना फैशन है. इसीलिए मुंबई के निचले इलाको में पानी भरने से लेकर मलाड तक की दुर्घटना का ठीकरा शिवसेना पर फोड़ने का काम जारी है. वास्तव में कम समय में अतिवृष्टि होने पर मुंबई में ऐसी स्तिथि क्यों होती है इसके लिए कई यंत्रणाए है और इसके पहले की सरकार के नियम कैसे जिम्मेदार है ये सब जानते है|लेकिन फिर भी शिवसेना पर ही आरोप लगाना उनका काम है. 

" एकाध दुर्घटना पर राजनीति करने की खुजली खतरनाक है ". मुंबई करो का रूटीन बारिश में बना रहे, दुर्घटनाएं ना हो इसके लिए मनपा और प्रशासन हर साल कदम उठाता है. मुंबई मनपा ने इन दो तीन दिनों में अच्छा काम किया है. मनपा के कर्मचारी दिन रात एक करके इकठ्ठा हो चुके पानी को बाहर निकालने का काम कर रहे है. 6 पम्पो के जरिये 14 MLD पानी को निकाल कर 26 जुलाई जैसा अनर्थ होने से टल गया. जर्जर इमारते और "सुरक्षा दीवार " हर साल मासूमो के लिए बारिश में यमदूत क्यों साबित हो, राज्य में इन्ही यमदूतो ने पिछले तीन चार दिनों में 40 से ज़्यादा जाने ले ली.  

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