उच्चतम न्यायालय ने आज केन्द्र सरकार से कहा कि मुख्य सतर्कता आयुक्त और सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति उसकी अनुमति के बगैर नहीं की जाये। न्यायालय ने केन्द्र सरकार से चयन प्रक्रिया का विवरण भी मांगा है।
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नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज केन्द्र सरकार से कहा कि मुख्य सतर्कता आयुक्त और सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति उसकी अनुमति के बगैर नहीं की जाये। न्यायालय ने केन्द्र सरकार से चयन प्रक्रिया का विवरण भी मांगा है।
प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर की खंडपीठ ने हालांकि केन्द्र सरकार को चयन प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दे दी है। इस मामले की सुनवाई के दौरान केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने न्यायालय को सूचित किया कि वह सीलबंद लिफाफे में चयन प्रक्रिया से संबंधित रिकार्ड दाखिल करेंगे।
न्यायालय गैर सरकारी संगठन सेन्टर फॉर इंटेग्रिटी, गवर्नेन्स एंड ट्रेनिंग इन विजिलेंस एडमिनिशट्रेशन की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस संगठन का आरोप है कि केन्द्र सरकार तत्कालीन सीवीसी प्रदीप कुमार और सतर्कता आयुक्त जे एम गर्ग का कार्यकाल पूरा होने के कारण रिक्त स्थानों के बारे में व्यापक प्रचार के बगैर ही नियुक्ति की दिशा में आगे बढ रही है। कुमार और गर्ग का कार्यकाल क्रमुश: 28 सितंबर और सात सितंबर को पूरा हो गया है।
शीर्ष अदालत ने 18 सितंबर को इस मामले की सुनवाई के दौरान सीवीसी और वीसी की चयन प्रक्रिया मे पारदर्शिता के अभाव के लिये केन्द्र सरकार को आड़े हाथ लिया था। इसके बाद सरकार ने न्यायालय को आश्वासन दिया था कि उसकी अनुमति के बगैर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जायेगा।
चयन प्रक्रिया मे पारदिर्शता के अभाव पर सवाल उठाते हुये न्यायालय ने कहा था कि इससे पक्षपात और भाई भतीजावाद को बढावा मिलता है। न्यायालय ने यह भी सवाल किया था कि इन पदों के लिये सिर्फ नौकरशाहों का ही चयन क्यों होता है।
अटार्नी जनरल ने चयन प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हुये कहा था कि कैबिनेट सचिव और 36 अन्य सचिव इस पद के लिये 120 नाम प्रस्तावित करते हैं जिनमें से 20 नाम चुने जाते हैं ओर फिर इसमें से पांच व्यक्तियों की सूची तैयार करके चयन समिति के पास भेजी जाती है। याचिका में सरकार के सचिवों को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव के 21 जुलाई के पत्र का जिक्र किया है। इस पत्र में सचिवों से कहा गया है कि सीवीसी और वीसी के पद हेतु सूची तैयार करने के लिये नामों का सुझाव दें। याचिका में आरोप लगाया गया कि इसका मकसद आम जनता को अलग रखना है।
इस संगठन का तर्क है कि सरकार को लोकपाल और लोकायुक्त कानून, 2013 के तहत इसके अध्यक्ष और आठ सदस्यों के पद पर नियुक्ति के लिये अपनायी जाने वाली प्रक्रिया ही सीवीसी और वीसी की नियुक्ति के मामले में भी अपनानी चाहिए।