तलाक के लिए वैवाहिक दुष्कर्म को आधार मानने की जनहित याचिका खारिज
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तलाक के लिए वैवाहिक दुष्कर्म को आधार मानने की जनहित याचिका खारिज

याचिकाकर्ता का कहना था कि हिंदू मैरिज एक्ट, मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) और स्पेशल मैरिज एक्ट में वैवाहिक दुष्कर्म के आधार पर तलाक का प्रावधान नहीं है.  इसलिए सेक्शन 376बी में संशोधन की आवश्यकता है. 

.(प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को वैवाहिक दुष्कर्म को आधार बनाकर तलाक लेने संबंधी एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया. न्यायमूर्ति एस.ए. बोबड़े और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की पीठ ने याचिकाकर्ता और वकील अनुजा कपूर से कहा कि वे अपनी अर्जी उच्च न्यायालय में दाखिल करें. याचिकाकर्ता का कहना था कि हिंदू मैरिज एक्ट, मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) और स्पेशल मैरिज एक्ट में वैवाहिक दुष्कर्म के आधार पर तलाक का प्रावधान नहीं है.  इसलिए सेक्शन 376बी में संशोधन की आवश्यकता है.

याचिकाकर्ता का कहना था कि वैवाहिक दुष्कर्म एक महिला के जीने के अधिकार पर साफ तौर पर चोट करता है.  इसलिए इस तरह के केस में इसे तलाक का आधार बनाया जाना चाहिए और इस शोषण के लिए कड़ी सजा का प्रावधान भी होना चाहिए. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वैवाहिक दुष्कर्म किसी हत्या या दुष्कर्म जैसे अपराध से कम नहीं है. 

इससे एक महिला को शारीरिक व मानसिक हर प्रकार से पीड़ा पहुंचती है.  इसलिए वैवाहिक दुष्कर्म जैसे मामलों को रोकने के लिए इन्हें दर्ज करने के लिए स्पष्ट दिशा निर्देश दिए जाने की जरूरत है. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वैवाहिक दुष्कर्म अभी भी अपराध की श्रेणी में नहीं गिना जाता, जिससे इस तरह के मामलों की रिपोर्ट थाने में भी नहीं लिखी जाती और पुलिस भी समझौता करा देती है. 

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