सीरो सर्वे खोलेगा कोरोना इंफेक्शन के राज, दिल्ली में 15% तक है संक्रमण की दर?
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सीरो सर्वे खोलेगा कोरोना इंफेक्शन के राज, दिल्ली में 15% तक है संक्रमण की दर?

दिल्ली के शुरुआती नतीजे बता रहे हैं कि कई इलाकों में इंफेक्शन रेट 15 प्रतिशत तक हो सकती है.

सीरो सर्वे खोलेगा कोरोना इंफेक्शन के राज, दिल्ली में 15% तक है संक्रमण की दर?

नई दिल्ली: क्या देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामले 8 लाख नहीं बल्कि उससे कहीं ज्यादा हैं. आईसीएमआर के सर्वे के शुरुआती रुझान ऐसा ही इशारा कर रहे हैं. देश के कई जिलों में किए गए सीरो सर्वे के शुरुआती नतीजे ऐसा ही बता रहे हैं. दिल्ली के शुरुआती नतीजे बता रहे हैं कि कई इलाकों में इंफेक्शन रेट 15 प्रतिशत तक हो सकती है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता राजेश भूषण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दिल्ली में 22 हजार 823 लोगों के सैंपल टेस्ट किए गए हैं, ये सैंपल दिल्ली के सभी 11 जिलों से लिए गए हैं. सैंपल 27 जून से 5 जुलाई के बीच लिए गए. हालांकि अभी पूरे नतीजे आने में वक्त लगेगा लेकिन सूत्रों के मुताबिक शुरुआती रुझान बता रहे हैं कि दिल्ली में कोरोना के फैलने की दर 11 से 15 प्रतिशत हो सकती है. इसका मतलब है कि दिल्ली की तकरीबन 15 प्रतिशत जनता कोरोना की शिकार हो चुकी है. भारत में अभी कोरोना के फैलने का राष्ट्रीय औसत 10 प्रतिशत है.

क्या होता है सीरो सर्वे
आईसीएमआर की वैज्ञानिक डॉक्टर निवेदिता गुप्ता ने बताया कि सीरोलॉजिकल सर्वे कई लोगों के ब्लड टेस्ट के आधार पर किया जाता है. कोरोना होने के 2 हफ्ते बाद रिकवर होने के दौरान मरीज के शरीर में एंटीबॉडी बनने लगती हैं. इन एंटीबॉडी से ये पता चलता है कि किसी इलाके में कोरोना वायरस कितने लोगों को संक्रमित कर चुका है. आईसीएमआर ने अप्रैल में दिल्ली समेत देश के 21 राज्यों में सीरो सर्वे किया. इसके नतीजे भारत में कोरोना के संक्रमण का फैलाव बता सकते हैं.

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कोरोना के शिकार ऐसे कई मरीज हैं जिनमें बीमारी के पूरे वक्त के दौरान कोई लक्षण नहीं आते हैं. हाल ही में दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में एक युवा डॉक्टर की मौत हो गई जिनमें कोरोना के सभी लक्षण थे लेकिन उसका कोरोना टेस्ट दो बार नेगेटिव आया. ऐसे मामलों को बढ़ने से रोकने में ये सर्वे मदद कर सकता है जो किसी इलाके में कोरोना के फैलाव का पता बता दे क्योंकि ये कोरोना के होने का टेस्ट नहीं करता है. बल्कि बीमारी से रिकवरी के दौरान बनने वाले एंटीबॉडी की पहचान करता है यानी उस इंसान को कभी कोरोना हुआ होगा तभी ये एंटीबॉडी यानी शरीर का सुरक्षा कवच तैयार होता है.

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