दिल्ली हिंसा: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकारा, कहा- पेशेवर ना होने की वजह से बिगड़े हालात
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दिल्ली हिंसा: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकारा, कहा- पेशेवर ना होने की वजह से बिगड़े हालात

शाहीन बाग में सड़क खुलवाने पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका पर सुनवाई के लिए माहौल ठीक नहीं है, फिलहाल सुनवाई टालना सही रहेगा.

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: शाहीन बाग (Shaheen Bagh) में सड़क खुलवाने के मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हिंसा पर भी बात की. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि शाहीन बाग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए माहौल ठीक नहीं है, फिलहाल सुनवाई टालना सही रहेगा.

  1. शाहीन बाग मामले पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई
  2. याचिका पर सुनवाई के लिए माहौल ठीक नहीं- SC
  3. फिलहाल सुनवाई टालना सही रहेगा- SC

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने चंद्रशेखर आजाद और नकवी द्वारा पूर्वी दिल्ली में हिंसा की SIT जांच की मांग वाली याचिका खारिज की, कहा कि हाई कोर्ट इस मामले को देख रहा है. दिल्ली हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई के तरीके पर सवाल उठाया और कहा कि दंगा भड़काने वाले बयान देने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं की. UK पुलिस का उदाहरण देते हुए एससी ने कहा कि पुलिस को उनकी तर्ज पर प्रोफेशनल होने की जरूरत है. उनके गैर प्रोफेशनल होने की वजह से हालात बिगड़े.

बता दें कि अभी तक दिल्ली हिंसा में 20 लोगों की मौत हो चुकी है और 180 से ज्यादा लोग घायल है.

कोर्ट ने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा. कोर्ट ने कहा कि सरकार ने ऐसे कदम नहीं उठाए कि पुलिस बिना किसी बाहरी निर्देश की जरूरत समझे कानून सम्मत एक्शन ले सके. सुप्रीम कोर्ट ने राजनैतिक दलों से भी सौहार्दपूर्ण माहौल बनवाने का आह्वान किया. सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दंगों में एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई है और घायल डीसीपी वेंटिलेटर पर हैं.

इससे पहले सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी है, 13 लोगों की जान गई है, जिसे नहीं होनी चाहिए. हम इस याचिका के स्कोप को शाहीन बाग जाम मामले से नहीं बढ़ा सकते. 

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वहीं अब शाहीन बाग मामले में अगली सुनवाई 23 मार्च को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने आज कोई आदेश नहीं दिया है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी है. जिसे नहीं होनी चाहिए. हम इस याचिका के स्कोप को शाहीन बाग जाम मामले से नहीं बढ़ा सकते. 

इससे पहले पिछले सोमवार 24 फरवरी को भी इस मामले की सुनवाई टल गई थी. सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त वार्ताकार साधना रामचंद्रन ने आज सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद कवर में रिपोर्ट सौंपी थी. कोर्ट ने कहा था कि हमें रिपोर्ट देखने दीजिए, बुधवार को सुनवाई करेंगे.

इससे पहले 17 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने समस्या के समाधान के लिए वकील संजय हेगड़े और साधना रामचन्द्रन को वार्ताकार नियुक्त किया था. कोर्ट ने कहा था कि सड़क रोककर बैठे लोगों से बात कर उन्हें किसी दूसरी जगह पर धरना देने के लिए समझाएंगे, कोर्ट ने कहा था कि पूर्व सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह अगर चाहें तो साथ जा सकते हैं. 

सुनवाई के दौरान जस्टिस जोसेफ ने कहा था कि लोगों को प्रदर्शन करने की इजाजत होनी चाहिए. हम CAA की बात नहीं कर रहे हैं लेकिन लोगों को विरोध करने का, प्रदर्शन करने का अधिकार होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिस मुद्दे को लेकर धरना प्रदर्शन चल रहा है वह सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए लंबित है. 

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि समाज का एक हिस्सा किसी कानून से सहमत नहीं है. लेकिन यह मामला अभी कोर्ट में लंबित है, हम धरने पर कुछ नहीं कह रहे हैं. 

कोर्ट ने कहा था कि हम ये नहीं कह रहे कि विरोध प्रदर्शन का अधिकार नहीं होना चाहिए. लेकिन सवाल ये है कि विरोध प्रदर्शन कहां किया जाए. आज प्रोटेस्ट यहां हो रहा है, कल कहीं और होगा, अगर ऐसे जारी रहा तो शहर के विभिन्न इलाके ब्लॉक हो जाएंगे. हमारी चिंता इस बात को लेकर है कि अगर इस तरह सड़क या सार्वजनिक स्थान को ब्लॉक किया जाने लगा तो दिक्कत होगी. 

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