Sharad Pawar News: मंगलवार को, शरद पवार ने घोषणा की कि वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहे हैं. यह घोषणा पार्टी और प्रतिद्वंद्वियों के लिए एक झटका थी.
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NCP News: 'इस्तीफा' भारत में राजनीतिक नेताओं द्वारा विद्रोहों को कुचलने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक चाल है. लेकिन इतने करीने से कभी नहीं किसी ने यह दांव नहीं चला जैसा कि शरद पावर ने चला.
मंगलवार को, शरद पवार ने घोषणा की कि वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहे हैं. यह घोषणा पार्टी और प्रतिद्वंद्वियों के लिए एक झटका थी. इसके बाद जो होना था वहीं हुआ बुधवार और गुरुवार को, एनसीपी भावनाओं के तूफान ज्वार में बह गई और शुरू हुआ अन्य इस्तीफों, आत्मदाह का प्रयास, आंसू और बने रहने की अपीलों का दौर.
शुक्रवार को पवार ने वापस लिया इस्तीफा
शुक्रवार को, पवार के ‘उत्तराधिकारी’ का फैसला करने के लिए एक पार्टी पैनल की बैठक हुई. बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर, पार्टी के अध्यक्ष का पद छोड़ने के शरद पवार के फैसले को खारिज कर दिया. इसके, पवार ने थोड़ी भावुकता का परिचय देते हुए घोषणा की कि, सब बातों पर विचार करते हुए, कहा कि सब बातों पर विचार करते हुए उन्होंने बने रहने का फैसला किया है.
शरद पवार ने हासिल किए ये तीन लक्ष्य
तीन दिनों में, 82 वर्षीय शरद पवार ने दिखा दिया कि आखिर वह राजनीति में 50 से अधिक वर्षों से जीवित क्यों हैं. इस्तीफे के ‘ब्रह्मास्त्र’ से उन्होंने तीन लक्ष्य हासिल कर लिए – अजीत पवार को अब विद्रोह के लिए और जोर लगना होगा, शरद पवार की बेटी सप्रिया सुले के लिए पार्टी पर काबिज होने का रास्ता अब साफ है, विरोधियों को यह संदेश भी दे दिया गया है कि एनसीपी का असली बॉस कौन है.
अजित पवार के लिए अब अगली बगावत का नेतृत्व करना काफी मुश्किल लग रहा है क्योंकि बहुत कम एनसीपी विधायक उनके साथ जाने को तैयार होंगे. पार्टी में वरिष्ठ, लंबे समय से पवार के वफादार, रहे लोग वैसे भी सुले के साथ अधिक सहज हैं.
सोची समझी स्क्रिप्ट
शरद पवार आसानी से भावनाओं में बह जाने वाले व्यक्ति नहीं हैं. वह स्पष्ट रूप से जानते थे कि उन्होंने अचानक इस्तीफे की घोषणा की है तो अब आगे स्क्रिप्ट कैसे लिखनी है. एनसीपी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा, ‘एनसीपी के भीतर अशांति की बढ़ती अफवाहों और पार्टी और उनके परिवार के बीच मतभेदों को शांत करने के लिए, पवार ने सब कुछ सार्वजनिक डोमेन में डालने का फैसला किया. अजीत पवार बनाम जयंत पाटिल का झगड़ा जगजाहिर है, लेकिन बड़ी चिंता अजित पवार की संगठन पर नियंत्रण रखने की महत्वाकांक्षा थी.‘
शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में, शरद पवार ने इस बात पर तो जोर दिया कि एनसीपी नेता नहीं चाहते थे कि वह चले जाएं, लेकिन साथ ही उन्होंने स्पष्ट रूप कहा कि राहुल गांधी और सीताराम येचुरी जैसे अन्य दलों के नेताओं ने उन्हें बने रहने के लिए कहा है. यह सदेंश देने के लिए काफी था कि एनसीपी में उनके जैसा कोई नहीं था.
सुप्रिया सुले के लिए अब राह होगी आसान
सुप्रिया सुले का नाम अब पार्टी अध्यक्ष के तौर पर आगे किया जा सकता है और मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में भी. वह एनसीपी की सहयोगी शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस को भी अधिक स्वीकार्य हैं. जबकि अजीत जिनका 2019 के बाद के परिणामों के बाद बीजेपी के साथ जाना अब भी उन पर भारी पड़ रहा है.