Sanjay Raut के बयान पर बोले Ashok Chavan- 'Shiv Sena के साथ गठबंधन महाराष्ट्र तक ही सीमित'
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Sanjay Raut के बयान पर बोले Ashok Chavan- 'Shiv Sena के साथ गठबंधन महाराष्ट्र तक ही सीमित'

शिवसेना (Shiv Sena) सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) पर बयान देकर राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है, कांग्रेस की तरफ से शिवसेना को नसीहत दी गई है.  

फाइल फोटो.

मुंबई: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण (Ashok Chavan) ने रविवार को कहा कि शिवसेना (Shiv Sena) संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) का हिस्सा नहीं है और दोनों दलों के बीच गठबंधन महाराष्ट्र (Mahartashtra) तक ही सीमित है. इससे पहले शनिवार को शिवसेना सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने कांग्रेस नीत UPA के विस्तार की बात कही थी.

कांग्रेस की शिवसेना को नसीहत

महाराष्ट्र के लोक निर्माण विभाग मंत्री अशोक चव्हाण (Ashok Chavan) ने कहा है, शिवसेना (Shiv Sena) को संप्रग (UPA) के नेतृत्व को लेकर कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. राज्य की महा विकास आघाड़ी (MVA) सरकार का नेतृत्व शिवसेना कर रही है, जिसमें कांग्रेस (Congress) और एनसीपी (NCP) भी शामिल हैं. उन्होंने कहा, 'शिवसेना को अभी यूपीए का हिस्सा बनना बाकी है. महाराष्ट्र में सेना के साथ हमारा गठबंधन न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर आधारित है और महाराष्ट्र तक सीमित है.'

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संजय राउत ने कहा था कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar NCP) को UPA अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) समेत सभी दलों का समर्थन प्राप्त है, इस पर चव्हाण ने कहा कि यूपीए नेतृत्व के बारे में उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की पार्टी को टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'शरद पवार ने स्वयं उन अटकलों को खारिज किया है कि वह यूपीए के अगले अध्यक्ष होंगे. यूपीए के सहयोगी दलों को सोनिया गांधी के नेतृत्व में पूरा भरोसा है, ऐसे में इस विषय पर चर्चा करने की कोई आवश्यकता नहीं है.'

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संजय राउत के इस बयान पर बवाल

उल्लेखनीय है कि शिवसेना सांसद संजय राउत (Shiv Sena MP Sanjay Raut) ने शनिवार को यूपीए का दायरा बढ़ाने का आह्वान किया था और कहा कि विपक्ष को केंद्र के ‘तानाशाही रवैये’ के खिलाफ एकजुट होना चाहिए और केंद्र सरकार के खिलाफ ‘मजूबत विकल्प’ देना चाहिए. उन्होंने कहा था, ‘सभी विपक्षी पार्टियों को केंद्र सरकार के तानाशाही रवैये के खिलाफ एकसाथ आना चाहिए. कमजोर विपक्ष लोकतंत्र के लिए खराब है.’

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