शिवसेना के मुखपत्र में महाराष्ट्र के राज्यपाल के लिए असंसदीय भाषा का इस्तेमाल
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शिवसेना के मुखपत्र में महाराष्ट्र के राज्यपाल के लिए असंसदीय भाषा का इस्तेमाल

सामना लिखता है, 'महाराष्ट्र के भाजपा के नेता रोज सुबह सरकार की बदनामी करने की मुहिम शुरू करते हैं. यह समझा जा सकता है, लेकिन उस मुहिम की कीचड़ राज्यपाल अपने ऊपर क्यों उड़वा लेते हैं? 

फाइल फोटो

नई दिल्ली: शिवसेना (Shiv Sena) के मुखपत्र सामना (Saamana) में महाराष्ट्र के राज्यपाल (Maharashtra Governor) के लिए असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया गया है. सामना के संपादकीय में लिखा गया है, 'राज्यपाल के पद पर आसीन व्यक्ति को कैसा व्यवहार नहीं करना चाहिए, यह भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) ने दिखा दिया है. कोश्यारी कभी संघ के प्रचारक या भाजपा के नेता रहे भी होंगे. लेकिन आज वे महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशील राज्य के राज्यपाल हैं, लगता है वे इस बात को अपनी सुविधानुसार भूल गए हैं.'

'पीड़ा आगामी चार साल तो रहने ही वाली है'
सामना लिखता है, 'महाराष्ट्र के भाजपा के नेता रोज सुबह सरकार की बदनामी करने की मुहिम शुरू करते हैं. यह समझा जा सकता है, लेकिन उस मुहिम की कीचड़ राज्यपाल अपने ऊपर क्यों उड़वा लेते हैं? भारतीय जनता पार्टी (BJP) महाराष्ट्र में सत्ता गंवा चुकी है. यह बड़ी पीड़ा है. लेकिन इससे हो रहे पेट दर्द पर राज्यपाल द्वारा हमेशा लेप लगाने में कोई अर्थ नहीं.'

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सामना ने आगे लिखा है, 'यह पीड़ा आगामी चार साल तो रहने ही वाली है. लेकिन भाजपा का पेट दुख रहा है इसलिए संवैधानिक पद पर विराजमान व्यक्ति को भी प्रसव पीड़ा हो, ये गंभीर है. लेकिन उस प्रसव पीड़ा का मुख्यमंत्री ठाकरे ने उपचार किया है. राज्यपाल पद पर बैठा बुजुर्ग व्यक्ति अपनी मर्यादा लांघ कर व्यवहार करे तो क्या होता है, इसका सबक देश के सभी राज्यपालों ने ले ही लिया होगा.'

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'मुख्यमंत्री ने विशेष ठाकरी शैली में ही राज्यपाल को कड़ा उत्तर दिया​'
शिवसेना ने अपने मुखपत्र में आगे लिखा है कि राज्य के मंदिरों को खोलने के लिए भाजपा ने आंदोलन शुरू किया. उस राजनीतिक आंदोलन में राज्यपाल को सहभागी होने की आवश्यकता नहीं थी. जब यह आंदोलन शुरू था तब टाइमिंग साधते हुए माननीय राज्यपाल ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (CM Uddhav Thackeray) को एक पत्र लिखा. वह पत्र मुख्यमंत्री तक पहुंचने की यात्रा के दौरान ही अखबारों तक पहुंच गया. राज्य में बार और रेस्टोरेंट शुरू हो गए हैं. लेकिन प्रार्थना स्थल क्यों बंद हैं? आपको मंदिरों को बंद रखने के लिए कोई दैवीय संकेत मिल रहा है क्या? या आप अचानक सेक्युलर हो गए हैं? ऐसा सवाल राज्यपाल ने पूछा. इस पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल की धोती ही पकड़ ली और राज भवन को हिलाकर रख दिया, हमारे द्वारा ऐसी भाषा का प्रयोग करना असंसदीय हो सकता है, लेकिन मुख्यमंत्री ने विशेष ठाकरी शैली में ही राज्यपाल को कड़ा उत्तर दिया है, यह सच है.

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