सुशांत केस: शरद पवार के पोते पार्थ को शिवसेना ने दी नसीहत
Advertisement
trendingNow1728457

सुशांत केस: शरद पवार के पोते पार्थ को शिवसेना ने दी नसीहत

शरद पवार के एक बयान से तूफान मचा हुआ है. मानो तो तूफान और न मानो तो कुछ नहीं. ये उतना महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन टीवी चैनलों पर चर्चा का दौर शुरू है. 24 घंटे ‘सबसे तेज’ की स्पर्धा में टीवी चैनलों को मिर्च-मसाला चाहिए होता है.

बाईं तरफ पार्थ पवार और दाईं तरफ उद्धव ठाकरे | फाइल फोटो

मुंबई: शिवसेना (Shivsena) के मुखपत्र सामना की संपादकीय में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार (Sharad Pawar) के पोते पार्थ पवार पर लिखा गया है. दरअसल पार्थ पवार ने एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में सीबीआई जांच की मांग की है. उन्होंने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख को लेटर लिखकर सीबीआई को केस सौंपने की मांग उठाई है.

सामना की संपादकीय में लिखा है कि शरद पवार के एक बयान से तूफान मचा हुआ है. मानो तो तूफान और न मानो तो कुछ नहीं. ये उतना महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन टीवी चैनलों पर चर्चा का दौर शुरू है. 24 घंटे ‘सबसे तेज’ की स्पर्धा में टीवी चैनलों को मिर्च-मसाला चाहिए होता है. इसीलिए ये लोग अपनी उदरपूर्ति के लिए ऐसे कृत्रिम तूफान तैयार करते रहते हैं. इस बार पार्थ माध्यम बने हैं. अजीत पवार के बेटे पार्थ पवार कभी-कभार पत्र या सोशल मीडिया के द्वारा अपने विचार प्रकट करते रहते हैं. ये विचार हर बार ध्यान देने योग्य हों ऐसा नहीं है. अजीत पवार के पुत्र कुछ विचार व्यक्त कर रहे हैं इसका इतना ही महत्व है.

सुशांत सिंह राजपूत मामले की सीबीआई जांच की जाए ऐसा एक पत्र उन्होंने गृह मंत्री अनिल देशमुख को दिया. वहीं कुछ फिल्म निर्माताओं की भी जांच हो, ऐसा भी उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा. हाल ही में उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन समारोह को शुभकामना देने वाला पत्र भेजकर राम नाम का जप किया. इस पर उठे तूफान के शांत हो जाने के बाद शरद पवार ने साफ शब्दों में कहा, ‘मेरे पोते की बात को ज्यादा महत्व मत दो. वो अपरिपक्व है!’

ये भी पढ़े- बेंगलुरु हिंसा में बड़ा खुलासा, सामने आया SDPI और कांग्रेस का कनेक्शन

दादा शरद पवार ने अपने पोते का मार्गदर्शन करने का राजनीतिक कर्तव्य निभा दिया और ये संदेश भी दे दिया कि ‘बिना कारण हर मामले में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है.’ शरद पवार की स्पष्ट और सहज-बयानी के बाद टीवी चैनलों में अनुमान लगाने की ‘तेज’ स्पर्धा शुरू हो गई. पवार परिवार में सब-कुछ ठीक नहीं चल रहा है. कुछ तो पक रहा है. ऐसी खबरों को हवा मिलने लगी. अजीत पवार को चेतावनी दी गई है, ऐसे भी पत्ते पीसे गए. दरअसल ये सब निरर्थक है.

सुशांत मामले में सीबीआई जांच की मांग करना मूर्खता है तो भी महाराष्ट्र के कई अनुभवी और पुराने लोग भी सीबीआई वाली बात पर ‘हां में हां’ मिला रहे हैं. ये समझ लेना चाहिए कि सीबीआई की आड़ में पर्दे के पीछे महाराष्ट्र के स्वाभिमान और अस्मिता को ठेस पहुंचाने की साजिश चल रही है. इससे इस शंका को बल मिल रहा है कि कहीं कम उम्र के पार्थ पवार का कोई उपयोग तो नहीं कर रहा? पूरा पवार परिवार राजनीति में मंझा हुआ है.

ये बात अजीत पवार तक पहुंची लेकिन इंसान की जीभ काबू में न रहे तो बड़ा फटका बैठता है. अजीत पवार ने अपनी राजनीतिक यात्रा में ऐसे कई फटके खाए हैं. जिससे अजीत पवार सावधान हो गए. फिलहाल अजीत दादा का अपनी जीभ पर संयम है. आजकल मैं माप-तौल कर बोलता हूं, ऐसा वो घोषित तौर पर कहते ही हैं. लेकिन पार्थ नए होने के कारण जरा वेग से बोलते हैं. उस पर प्रतिक्रियाएं भी आती हैं. हालांकि छगन भुजबल के कहे अनुसार पार्थ ‘नए’ हैं इसीलिए उनके बोलने से विवाद हो जाता है. 
शरद पवार ने विवाद को कब का ठंडा कर दिया. सुशांत सिंह राजपूत मामले में मुंबई पुलिस सक्षम है. गृह मंत्री अनिल देशमुख ने ये स्पष्ट कर ही दिया है और अब शरद पवार ने भी मुंबई पुलिस पर विश्वास व्यक्त किया है. सुशांत सिंह राजपूत मामले में सीबीआई आदि ठीक है लेकिन मुंबई पुलिस कहां गलत है ये तो बताओ. पार्थ पवार ने सीधे सीबीआई जांच की मांग की. ये बात कई लोगों को खटकी इसीलिए पवार परिवार की ओर से इस मामले को ब्रेक लगाने का काम किया गया. इसमें इतना हो-हल्ला मचाने की क्या आवश्यकता है?

शरद पवार ने एक प्रकार से पार्थ पवार का मार्गदर्शन ही किया है. पार्थ पवार मावल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़े लेकिन वो जीत नहीं पाए. एक जीत या हार से कोई शिखर पर नहीं पहुंचता और न हमेशा के लिए नीचे ही आता है. शरद पवार जिंदगी भर लोगों के बीच रहे, उन्होंने जमीनी राजनीति की. अजीत पवार और सुप्रिया सुले भी वही कर रहे हैं. पवार की तीसरी पीढ़ी भी अगर उसी रास्ते पर चलेगी तो तूफान नहीं उठेंगे.

पार्थ पवार ने राम मंदिर का स्वागत किया, इसमें कोई गलती नहीं है. सर्वोच्च न्यायालय की इच्छा से राम मंदिर बन रहा है, अयोध्या में राम मंदिर का बनना जनभावना है ही. इस जनभावना के प्रवाह में शामिल होने का सबको अधिकार है, पार्थ पवार को भी है. लेकिन वो जिस पार्टी में काम करते हैं उस पार्टी का विचार अलग होगा तो मतभिन्नता का विस्फोट होता है. खुद राहुल और प्रियंका गांधी उस प्रवाह में शामिल हुए. मुख्यमंत्री के रूप में उद्धव ठाकरे ने अयोध्या दौरा किया, उस समय कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस ने किसी प्रकार का आक्षेप नहीं लिया. बल्कि जिस श्रद्धा से हम लोग पंढरपुर जाकर विठोबा के दर्शन करते हैं, उसी श्रद्धा से उद्धव ठाकरे अयोध्या जा रहे हैं. इस पर कैसी टीका करते हो? ऐसा विचार सुप्रिया सुले ने व्यक्त किया था. उन्होंने पार्थ की तरह लंबे पत्र लिखकर अपने विचार नहीं प्रकट किए थे.

पार्थ पवार राजनीति में नए हैं. लोकसभा में उनकी ऊंची कूद असफल रही है. उन्हें थोड़ी और मेहनत करनी होगी. उनके घर में ही राजनीतिक व्यायामशाला है. इसीलिए मल्लखंभ आदि कसरत का प्रयोग करके उनके पास खुद को कसने का मौका है. शरद पवार की बात को दादाजी की सलाह मानकर आशीर्वाद के रूप में स्वीकार किया तो मानसिक तनाव कम होगा. पार्टी की कमान संभालने वालों को कई बार ‘कटु’ बोलना पड़ता है. शिवसेना प्रमुख ने कई बार अपनों को ऐसे कड़वे घूंट पिलाए हैं. घोषित तौर पर कान खींचे हैं. महात्मा गांधी, नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी ने भी समय-समय पर अपनों को कड़वे करेले की सब्जी खिलाई है. ये स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है. वरिष्ठों को ऐसे ही रहना चाहिए. शरद पवार का बर्ताव इससे कुछ अलग नहीं है.

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news