Noida News: प्रकाशी तोमर (Prakashi Tomar) की आधी उम्र घर घर-गृहस्थी के काम काज में बीत गयी. परिवार संभालना, बच्चे और चूल्हा चौके के आगे जीवन मे कुछ न था. हालांकि वक्त बदला और वो दुनियाभर में शूटर दादी के नाम से मशहूर हो गईं.
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Shooter Dadi Health Update: शूटर दादी के नाम से मशहूर प्रकाशी तोमर को सांस लेने में तकलीफ होने के कारण नोएडा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है. सोशल नेटवर्किंग साइट ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर शूटर दादी के अकांउट से बीती रात यह जानकारी दी गई है. सोशल मीडिया की इस पोस्ट में उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री से उन्हें बेहतर उपचार दिलाने का अनुरोध किया गया है. वहीं तोमर का इलाज कर रहे मेट्रो हॉस्पिटल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुश ओहरी ने बताया कि उनकी हालात अब खतरे से बाहर है. वहीं अस्पताल प्रशासन ने बताया है कि 12 सितंबर को बुखार आने और सांस लेने में दिक्कत होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
देवरानी-जेठानी कैसे बनी 'शूटर दादी'
शूटर दादी की आधी उम्र घर-गृहस्थी के काम काज में बीत गयी. परिवार संभालना, बच्चे और चूल्हा चौके के आगे जीवन में कुछ न था. वक्त बदला तो वो शूटर दादी के नाम से मशहूर हो गईं. दरअसल प्रकाशी तोमर की बेटी शूटिंग सीखना चाहती थीं. प्रकाशी उन्हें रोजरी रायफल क्लब में ले गईं. वहां बेटी का मनोबल बढ़ाने के लिए उन्होंने पिस्टल हाथ मे थाम फायरिंग कर दी. अब ये किस्मत थी या लक्ष्य भेदने की उनकी चाहत कि निशाना एकदम सटीक लगा और उन्हें शूटिंग सीखने का ऑफर मिल गया. आगे उन्हें कई शानदार मौके मिले जिसका फायदा उठाकर वो उम्र के इस पड़ाव में भी पॉपुलैरिटी के शिखर पर पहुंच गईं.
दादी पर बन चुकी है फिल्म
जब उन्होंने निशानेबाजी शुरू की तो प्रकाशी 60 साल की थीं. फैमिली इसके पक्ष में नहीं थी तो वह छिप छिप के निशानेबाजी की ट्रेनिंग लेने जाती थीं. इस काम में उनका मदद की प्रकाशी के जेठानी चन्द्रो ने. दोनों ने निशानेबाजी की ट्रेनिंग शुरू की तो लोग उनका तरह तरह से मजाक उड़ाने लगे. लेकिन ऐसे लोगों की बोलती उस दिन हमेशा के लिए बंद हो गयी जब दिल्ली में निशानेबाजी के मुकाबले में शूटर दादी ने दिल्ली के डीआईजी को ही शूटिंग में हराकर गोल्ड जीता. शूटर दादी को लेकर ‘सांड़ की आंख' नाम से फिल्म भी बन चुकी है.
(एजेंसी इनपुट)