HBD Mulayam Singh Yadav: 3 बार बने CM, ऐसा है राजनीतिक सफर
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HBD Mulayam Singh Yadav: 3 बार बने CM, ऐसा है राजनीतिक सफर

आज समाजवादी राजनीति के पुरोधा मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का 82वां जन्मदिन है. भारत देश की राजनीति में मुलायम सिंह यादव का अहम स्थान है.

फाइल फोटो

लखनऊ: आज समाजवादी राजनीति के पुरोधा मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का 82वां जन्मदिन है. भारत देश की राजनीति में मुलायम सिंह यादव का अहम स्थान है. वो देश के रक्षामंत्री पद पर पहुंचने से लेकर यूपी जैसे राजनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रहे हैं.

  1. आज 81 साल के हुए समाजवादी राजनीति के पुरोधा मुलायम सिंह यादव
  2. कई पार्टियों से होते हुए तीन बार बने यूपी के मुख्यमंत्री
  3. केंद्र में कभी प्रधानमंत्री पद के भी थे दावेदार

इटावा में जन्म, 28 साल की उम्र में विधायक
22 नवंबर 1939 को इटावा के सैफई (Saifai) में जन्में मुलायम सिंह यादव ने 28 साल की उम्र में साल 1967 में अपने राजनीतिक गुरू राम मनोहर लोहिया (Ram Manohar Lohia) की पार्टी संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से विधायकी का चुनाव पहली बार लड़ा था और जीतने में कामयाब रहे. हालांकि अगले ही साल यानी 1968 में जब राम मनोहर लोहिया का निधन हो गया, तब मुलायम सिंह यादव किसानों के सबसे बड़े नेता चौधरी चरण सिंह (Ch. Charan Singh) की पार्टी भारतीय क्रांति दल में शामिल हो गए.

कई राजनीतिक दांव खेलने वाले धरती पकड़ मुलायम सिंह यादव
मुलायम सिंह यादव हवा का मिजाज भांप लेने वाले जमीनी नेता रहे हैं. उन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से अपना राजनीतिक जीवन शुरू तो किया, लेकिन उसके बाद तमाम पार्टियों में सबसे अहम किरदार निभाते रहे. साल 1967 में विधायक बने तो अगले ही साल 1968 में भारतीय क्रांति दल (Bhartiya Kranti Dal) में शामिल हुए. इस दल में चौधरी चरण सिंह के कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले मुलायम सिंह यादव 1974 में भारतीय लोकदल में शामिल हो गए. इसी पार्टी में क्रांति दल का विलय हो गया था. ये समय इंदिरा के विरोध का था और फिर इमरजेंसी के बाद लगभग सभी पार्टियों का जनता पार्टी में विलय हो गया, तो मुलायम सिंह यादव भी जनता पार्टी में आ गए. 1977 में वो पहली बार यूपी सरकार में सहकारिता मंत्री बने. इसी समय में उन्होंने सहकारी (कॉपरेटिव) संस्थानों में अनुसूचित जाति के लिए सीटें आरक्षित करवाई थीं. इससे मुलायम सिंह यादव पिछड़ी जातियों के बीच काफी लोकप्रिय हो गए थे. जल्द ही उन्हें धरतीपुत्र कहा जाने लगा.

लोकदल फिर चौधरी अजित सिंह की चुनौती
साल 1979 में चौधरी चरण सिंह ने खुद को जनता पार्टी से अलग कर लिया और मुलायम सिंह यादव भी उनकी नई बनाई पार्टी लोकदल में शामिल हो गए. साल 1987 में चौधरी चरण सिंह की मृत्यु के बाद अजित सिंह से उनका टकराव हुआ तो पार्टी दो धड़ों में बंट गई. ये पहला मौका था, जब मुलायम सिंह यादव खुद किसी पार्टी की अगुवाई कर रहे थे. हालांकि 1989 में ही उन्होंने अपने धड़े के लोकदल का विलय वीपी सिंह (VP Singh) के जनता दल में कर दिया. उस साल लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव भी हुए तो दिसंबर महीने में मुलायम सिंह यादव पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए.

समाजवादी जनता पार्टी फिर समाजवादी पार्टी
मुलायम सिंह यादव की सरकार ज्यादा नहीं चली. उन्होंने साल 1990 में ही वीपी सिंह का साथ छोड़कर चंद्रशेखर के साथ समाजवादी जनता पार्टी की नींव डाली. लेकिन मुलायम सिंह यादव में ठहराव आना अभी बाकी था. उन्होंने साल 1992 में खुद की पार्टी समाजवादी पार्टी बनाई और 1993 में बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) के साथ मिलकर यूपी में सरकार बनाई और खुद दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. हालांकि 1995 में ये साथ छूट गया. इस बीच वो साल 1996 में प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने ही वाले थे कि लालू यादव (Lalu Yadav) के विरोध की वजह से उस पद तक नहीं पहुंच पाए. हालांकि मुलायम सिंह यादव 1996 से 1998 तक देश के रक्षामंत्री बने और कई सुधार किए.

जीवन के उत्तरार्ध में दिखाया असली दांवपेंच
मुलायम सिंह यादव ने 2002 में बीजेपी के साथ मिलकर बनी मायावती की सरकार को सिर्फ एक साल में ही गिरवा दिया था. और 2003 में खुद मुख्यमंत्री बन गए. हालांकि मुलायम सिंह यादव कभी पांच साल तक मुख्यमंत्री नहीं रहे, लेकिन उन्होंने 2010 आते आते समाजवादी पार्टी को इतना मजबूत बना दिया था कि उनके बेटे अखिलेश यादव साल 2012 में मुख्यमंत्री बने. प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की सरकार ने पांच साल का टर्म भी पूरा किया. हालांकि इस सरकार के आखिरी दिनों में समाजवादी पार्टी भी दो फाड़ हो गई. एक की अगुवाई उनके भाई शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) कर रहे हैं, तो आधिकारिक समाजवादी पार्टी के मुखिया उनके पुत्र अखिलेश यादव हैं.

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