सपा ने 'MY' के साथ चुनाव जीतने के लिए बनाई खास रणनीति, बीजेपी को मिलेगी कड़ी चुनौती
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सपा ने 'MY' के साथ चुनाव जीतने के लिए बनाई खास रणनीति, बीजेपी को मिलेगी कड़ी चुनौती

Up Assembly Election 2022: समाजवादी पार्टी का आरोप है कि पिछले विधान चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने हर जाति का मुख्यमंत्री पेश किया था और बाद में किसी और को मुख्यमंत्री बना दिया था.

अखिलेश यादव (फाइल फोटो) | साभार- एएनआई.

लखनऊ: साल 2022 में होने जा रहा उत्तर प्रदेश का विधान सभा चुनाव (UP Assembly Election) समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण चुनाव माना जा रहा है क्योंकि राज्य में लगातार 3 चुनाव हार चुकी सपा (SP) के अस्तित्व के लिए ये चुनाव काफी मायने रखता है. सपा इस बार नई रणनीति और जबरदस्त तैयारी के साथ चुनावी मैदान में उतरने जा रही है. 2017 के पिछले विधान सभा चुनाव में बीजेपी (BJP) ने बूथ स्तर तक की जबरदस्त तैयारी के साथ-साथ राज्य में छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन कर महत्वपूर्ण जातीय समीकरण को भी साधा था, जिसका बीजेपी को सबसे ज्यादा लाभ भी मिला था.

  1. यूपी में सपा बहुमत से बनाएगी सरकार- अखिलेश यादव
  2. सपा ने छोटे-छोटे दलों के साथ किया गठबंधन
  3. यूपी में सिर्फ अखिलेश का जादू चलेगा- धर्मेंद्र यादव

समाजवादी पार्टी ने बनाया ये प्लान

बीजेपी की इसी रणनीति से सबक लेते हुए सपा ने इस बार बड़े दलों के साथ गठबंधन करने की बजाय छोटे-छोटे दलों को साथ लेकर चुनाव में जाने का फैसला किया है. सपा अब तक सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP), राष्ट्रीय लोकदल (RLD), महान दल (Mahan Dal), जनवादी पार्टी (Janwadi Party) और अपना दल (कमेरावादी) के साथ गठबंधन कर चुकी है. हाल के दिनों में आप राज्य सभा सांसद संजय सिंह के साथ भी अखिलेश यादव की मुलाकात हो चुकी है.

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2022 के हालात पिछले चुनावों से अलग हैं- अखिलेश यादव

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने भी दावा किया है कि 2014, 2017 और 2019 की परिस्थितियां अलग थीं और 2022 के हालात अलग हैं. इन छोटे दलों के बेस वोट बैंक के सहारे चुनाव जीतने को आश्वस्त अखिलेश यादव ने कहा कि इस बार राज्य की जनता बीजेपी (BJP) का सफाया करने जा रही है.

दरअसल, 2017 के विधान सभा चुनाव की बात करें तो इसमें बीजेपी को सहयोगी दलों के साथ मिलाकर लगभग 3.59 करोड़ वोट के साथ 325 सीटों पर जीत हासिल हुई थीं, जबकि कांग्रेस (Congress) के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ी सपा (SP) को लगभग 1.89 करोड़ और कांग्रेस को लगभग 54 लाख वोट मिले थे. उस समय सपा को सिर्फ 47 सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी जबकि कांग्रेस महज 7 सीट पर ही सिमट कर रह गई थी.

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1.7 करोड़ वोटों के अंतर को पाटने की कोशिश में सपा

इस बार राजनीतिक हालात बदले हुए हैं. 2017 में एनडीए (NDA) गठबंधन का हिस्सा रही ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) इस बार सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है. वहीं कांग्रेस भी इस बार सपा से अलग होकर चुनाव लड़ने जा रही है. ऐसे में सपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती 1.7 करोड़ के लगभग वोटों के अंतर को पाटने की है ताकि उसे बीजेपी से ज्यादा वोट हासिल हो सके.

बीजेपी ने पेश किया था हर जाति का मुख्यमंत्री- धर्मेंद यादव

समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद और यादव परिवार के महत्वपूर्ण सदस्य धर्मेंद्र यादव ने दावा किया कि वोटों का ये अंतर बहुत ज्यादा मायने नहीं रखता क्योंकि इससे पहले 2012 में हमने प्रदेश में सरकार बनाई थी. उन्होंने बीजेपी पर 2017 में वोटर्स को ठगने का आरोप लगाते हुए कहा कि 2017 में बीजेपी ने हर जाति के एक नेता को मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया था और चुनाव जीतने के बाद किसी और को मुख्यमंत्री बना दिया था इसलिए इस बार ये जातियां इनके झांसे में नहीं आएंगी.

समाजवादी पार्टी का 'MY' समीकरण

कभी एमवाई (मुस्लिम और यादव) समीकरण के सहारे उत्तर प्रदेश में जीत हासिल करते रहने वाली सपा इस बार खास रणनीति के तहत सबको लुभाने का प्रयास कर रही है. अखिलेश यादव ने दावा किया है कि उत्तर प्रदेश में किसान, नौजवान और व्यापारी समेत प्रदेश की जनता इस बार उनके साथ है. वहीं सपा नेता धर्मेंद्र यादव ने भी इस बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जाति, धर्म और वर्ग की सीमा से अलग हटकर इस बार समाज के सभी तबके का समर्थन सपा को मिल रहा है.

ओवैसी की पार्टी से क्या सपा को पड़ेगा फर्क?

एआईएमआईएम (AIMIM) सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) के उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने के बावजूद सपा मुस्लिम वोटों को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नजर आ रही है. धर्मेंद्र यादव ने कहा कि हर राजनीतिक दल चुनाव लड़ना चाहता है लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश में सिर्फ अखिलेश यादव का ही जादू चलने जा रहा है. धर्मेंद्र यादव ने दावा किया कि इस बार सपा को कोई नकार नहीं रहा है.

दरअसल इस बार सपा एक साथ कई मोर्चों पर काम कर रही है. एक तरफ जहां सपा अपने बेस वोट बैंक रहे मुस्लिम और यादवों को पूरी तरह से अपने पाले में बनाए रखने का प्रयास कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ छोटे दलों के साथ गठबंधन कर उनके बेस वोट बैंक के सहारे मत प्रतिशत और सीटों की संख्या में बीजेपी पर बढ़त भी हासिल करने की योजना पर काम कर रही है.

चुनावी रैलियों में भारी भीड़ जुटाकर भी सपा, बीजेपी के नहले पर दहला मारने का लगातार प्रयास कर रही है. 'लाल टोपी' विवाद पर सीधे प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साध कर भी अखिलेश यादव अपने समर्थक मतदाताओं को ये संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं कि वो अकेले पीएम मोदी और सीएम योगी जैसे हैवीवेट नेताओं से भिड़ने को तैयार हैं.

(इनपुट- आईएएनएस)

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