भूख से 5 साल के मासूम की मौत, मानवाधिकार आयोग का UP सरकार को नोटिस
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भूख से 5 साल के मासूम की मौत, मानवाधिकार आयोग का UP सरकार को नोटिस

मृतक बच्ची की मां ने कहा कि लॉकडाउन (Lockdown) में पति की नौकरी चले जाने के बाद से घर में भुखमरी जैसे हालात पैदा हो गए.

फोटो में बाईं तरफ मृतक मासूम और दाईं तरफ बच्ची की मां शीला देवी.

आगरा: कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी जैसी खतरनाक बीमारी के कारण देश में लगे लॉकडाउन ने आधे से ज्यादा गरीबों की कमर तोड़कर रख दी. ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश में आगरा के ताजगंज के गांव बरौली अहीर में देखने को मिला है. जब एक गरीब परिवार की पांच वर्षीय बच्ची ने बीमारी के कारण दम तोड़ दिया. इससे पहले नोटबंदी के दौरान बेटे की मौत हो गई थी. इस पूरे मामले को जिलाधिकारी ने संज्ञान में लेकर तहसीलदार के नेतृत्व में टीम को भेजकर जांच करवाई.

ताजगंज के गांव बरौली अहीर ब्लॉक के नगला विधिचंद निवासी शीला देवी का आरोप है कि नोटबंदी और लॉकडाउन ने मेरे बेटे और बेटी की जान ले ली. गरीबी उनके परिवार के लिए अभिशाप बनी हुई है. लॉकडाउन में पति की नौकरी चले जाने के बाद से घर में भुखमरी जैसे हालात पैदा हो गए. पिछले एक सप्ताह से घर में खाने को कुछ भी नहीं था. बेटी भी बीमार चल रही थी. उसने भी कई दिनों से कुछ नहीं खाया था. बिजली विभाग ने भी घर की बिजली काटकर 7 हजार रुपये का बिल थमा दिया था, जो भरने की उनकी छमता नहीं थी. भूख, प्यास और बिजली न होने के कारण गरीब परिवार की बच्ची की रविवार को मौत हो गई.

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बच्ची की मौत की सूचना मिलते ही जिलाधिकारी प्रभु एन. सिंह ने पूरे मामले को संज्ञान में लेते हुए तहसीलदार सदर प्रेमपाल को टीम के साथ जांच करने के लिए शीला देवी के घर भेज दिया. टीम ने जांच करके शीला देवी के घर पर 50 किलो आटा, 40 किलो चावल और अन्य राशन सामग्री उपलब्ध करवाई.

तहसीलदार ने जिलाधिकारी को जांच रिपोर्ट में बताया कि बच्ची की मौत बीमारी के कारण हुई है. उसके शरीर में खून की कमी हो गई थी. वहीं पिता ने बताया कि बेटी ने दम तोड़ने से पहले दूध पिया था.

इस दौरान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने आगरा में पांच साल की बच्ची की कथित तौर पर भूख और बीमारी से हुई मौत के मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए रविवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया.

NHRC ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को भेजे नोटिस में चार हफ्ते में प्रशासन द्वारा पीड़ित परिवार के पुनर्वास और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के मामले में रिपोर्ट देने को कहा.

एनएचआरसी ने कहा कि मुख्य सचिव से उम्मीद की जाती है कि वो सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी करेंगे ताकि भविष्य में इस तरह की क्रूर और लापरवाही की घटना दोबारा नहीं हो.

गौरतलब है कि मीडिया में खबर आई थी कि परिवार के कमाने वाले सदस्य के तपेदिक के शिकार होने की वजह से बच्ची को भोजन एवं इलाज नहीं मिल पाया और तीन दिन तक बुखार से ग्रस्त होने के बाद शुक्रवार को उसकी मौत हो गई.

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