बीएमसी कमिश्नर प्रवीण परदेशी ने कहा कि मुंबई मेट्रो कारशेड को लेकर किसी का विरोध नही है. मेट्रो कारशेड के लिए पेड़ काटने को लेकर विरोध किया गया है.
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मुंबई: मुंबई मेट्रो कारशेड का निर्माण आरे कॉलोनी में करने का बीएमसी कमिश्नर प्रवीण परदेशी ने समर्थन किया है. आरे कॉलोनी में 2700 पेड़ काटकर मेट्रो कारशेड बनाने को मुंबई में लोग और शिवसना ने भी विरोध किया है. वहीं, ज़ी मीडिया से बातचीत करते हुए बीएमसी कमिशनर प्रवीण परदेशी ने आरे कॉलोनी में कारशेड बनाने के फैसला का सही ठहराया है.
बीएमसी कमिश्नर प्रवीण परदेशी ने कहा कि मुंबई मेट्रो कारशेड को लेकर किसी का विरोध नही है. मेट्रो कारशेड के लिए पेड़ काटने को लेकर विरोध किया गया है. यह संवदेशनील विषय है. पेड़ काटे जाएंगे, तो सभी को दुख होगा ही. उन्होंने कहा कि यह फैसला करते हुए चार मुद्दे अहम थे. एक तो डेढ़ करोड़ मुंबईकरों के सार्वजनिक यातायत व्यवस्था में सुधार की जरुरत है क्योंकि निजी गाड़ियों की संख्या बढ़ रही है, जिससे वायू प्रदूषण बढ़ रहा है. मुंबई आज सबसे अधिक प्रदूषित शहरो मे सें एक है. प्रदूषण का मुख्य कारण निजी गाड़ियों से आने वाले धुंए के कार्बन मोनो ऑक्साईड और अन्य प्रदुषित घटक जिम्मेदार है.
उन्होंने कहा कि यह प्रदूषित घटक कम होंगे, तभी मुंबई में स्वस्थ जीवन हम जी सकेंगे. युनाइडेट नेशन की एक संस्था ने मेट्रो 3 संदर्भ में एक स्टडी की है. इसके मुताबिक मेट्रो के कारण हर साल 2.60 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साईड कम उत्सर्जित होगी. 2700 पेड़ जितना कार्बन डाई ऑक्साईड साल भर में खींच लेते हैं. उतना ही कार्बन डाई ऑक्साईड मेट्रो के चलने से 7 दिन में कम होगा. हालांकि, पेड़ काटना संवेदनशील विषय है. उससे अधिक फायदा मेट्रो चलने से पर्यावरण को होने वाला है.
बीएमसी कमिशनर ने कहा कि दुसरा मुद्दा है मेट्रो कारशेड के लिए वैकल्पिक जगह का. आरे कॉलोनी के बजाय कांजूर इलाके में मेट्रो कारशेड बनाने की मांग उठ रही है. उन्होंने कहा कि कांजूर की जगह निजी जमीन है. इस जगह पर सरकार कोई अधिकार नही है. 1994 के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया था कि कांजूर की उस जमीन पर सरकार का कोई अधिकार नही है. इस जमीन पक सरकार कोई अधिकार नही होगा. इस पर व्यक्तिगत मालिकाना हक ही बना रहेगा. इस जमीन पर से उस व्यक्ति का कब्जा हटाने का सरकार कोई अधिकार नही है.
उन्होंने कहा कि यही आदेश हाईकोर्ट ने 1997 को रिपीट किया है. मेट्रो कारशेड के लिए वैकल्पिक जगह खोजने के प्रयास हुआ था. उस वक्त बॉम्बे हाईकोर्ट से महाराष्ट्र सरकार नई तरीके से अपील की थी. 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि आप इस कांजूर की जमीन के लिए कितनी कीमत देने के लिए तैयार हैं. उस समय चर्चा से यह मुद्दा सामने आया कि नए भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार रेडी रेकनर के अनुसार दोगुना रेट याने 5200 करोड़ रुपए मालिक को देने पड़ेंगे. यह पैसे करदाता के जेब से जाने है, ऐसे में 5200 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार मुंबई पर पड़ता. ऐसे में अगर उतनी ही जमीन हमारे पास उपलब्ध है तो निजी जमीन मालिक को इतनी बड़ी राशि देना कितना सही है.
उन्होंने कहा कि तीसरा मुद्दा यह था कि कारशेड दूसरी जगह ले जाने का. इस संदर्भ में कानून बना है, जो सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था. जो मुद्दे आज बताए जा रहे हैं, उस समय भी वही मुद्दे उठे थे. पर्यावरण के मुद्दे ही उठे थे, यह एक संवदेशनशील विषय है. उस समय भी आरे से मेट्रो कारशेड के लिए रखा आरक्षण बरकरार रखा था. डेवलपमेंट प्लान को लेकर लोगों की सूचनाएं और ऐतराज लिए गए थे, उसके बाद ही कानूनी प्रक्रिया हुई है. कोर्ट ने भी आरे के मेट्रो कारशेड के आरक्षण को सही ठहराया है. इस विरोध में हुई याचिकाएं कोर्ट ने खारिज की हैं. सुप्रीम कोर्ट तक मामला गया था. वहां विरोध करने वालों की याचिका खारिज हुई है. अब मेट्रो कारशेड सिर्फ आरे में ही होगी. कांजूर मार्ग में करना होगा तो पूरा कानून ही बदलना पडेगा. आरे से आरक्षण हटाके दूसरी जगह ले जाने में समय बर्बाद होगा.
उन्होने बताया कि चौथा मुद्दा टेक्निकल है, मुंबई के कई नागरिकों को लगता है कि मेट्रो कारशेड गाड़ी आने-जाने के लिए है. लेकिन कारशेड मेट्रो की आत्मा है. इंजिन चेकिंग, इंजिन कोच की देखभाल, मरम्मत, चार्जिंग, व्हील बैलेन्सिंग यह सारे कार्य कारशेड में ही होते हैं. अगर कारशेड नही हुआ तो मेट्रो चल नही पायेगी. 70 से 80 फीसदी मेट्रो के भूमिगत टनल का कार्य पूरा हो गया है. अगले एक साल में मेट्रो शुरू होगी. कारशेड के कार्य में हो रहे विलंब से रोज 4.2 करोड़ का नुकसान हो रहा है. साथ इससे 17 लाख यात्री अगर यात्रा कर रहे है तो उनका हर दिन आधा घंटा बचेगा. मेट्रो नही चलने से प्रदूषण बढ़ रहा है. मेट्रो के लिए जितनी देरी होगी, उतना प्रदूषण बढ़ेगा.
उन्होंने कहा कि आखिरी मुद्दा यह की आरे के पेड़ों की संख्या है. आरे का क्षेत्र 1200 हेक्टेयर है. उसमें से 33 हेक्टेयर जगह मेट्रो कारशेड के लिए ली जा रही है. जो सवा दो फीसदी से भी कम है. यहां के सिर्फ 2700 पेड़ काटे जा रहे हैं. दिल्ली मेट्रो के लिए तो 4 लाख पेड़ काटे गए हैं. हम तो जो पेड़ काटने वाले हैं, उससे अधिक पेड़ लगायेंगे. मेट्रो से प्रदूषण कम होगा. जिनके पास निजी वाहन नही हैं, वह मेट्रो से यात्रा करेंगे. मुंबई के नागरिकों के लिए मेट्रो फायदेमंद ही होगी. मेट्रो प्रोजेक्ट प्रदूषण मुक्त मुंबई के लिए उपयुक्त है. ऐसा प्रोजेक्ट रोकना मुंबई के लिए सही नही है.
उन्होने कहा कि मुंबई में सार्वजनिक यातायात व्यवस्था महत्वपूर्ण है, विश्व के बड़े शहर में सार्वजनिक यातायात मजबूत है. मुंबई के विकास में सार्वजनिक यातायात का योगदान रहा है. रेल लोकल सिस्टम है. जो अन्य शहरो में नही है. लेकिन रेल लोकल यातायात की क्षमता 20 से 25 साल पहले खत्म हुई है. इसीलिए मेट्रो के जरिये 350 किलोमटर का जाल खड़ा किया जा रहा है. जो बढ़ती यात्रा क्षमता को देखते हुए है.