अपहृत व्यक्ति संदीप यादव की बहन रुचि ने बुधवार को वायरल वीडियो में कहा था कि उस बैग में रुपए नहीं थे.
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कानपुर: जिले में अगवा किए गए एक व्यक्ति की रिहाई के लिए पुलिस की मौजूदगी में 30 लाख रुपए फिरौती देने के दावे से पलटने वाली उसकी बहन ने बाद में कहा कि उसके परिवार ने रकम दी है और पुलिस ने आला अफसरों को बचाने के लिये उससे बयान बदलवाया गया है.
अपहृत व्यक्ति संदीप यादव की बहन रुचि ने बुधवार को वायरल वीडियो में कहा था, ' उस बैग में रुपये नहीं थे. हमने फिरौती की रकम देने की बात कही, क्योंकि किसी ने हमें ऐसा बोलने को कहा था. हमारे भाई का पता नहीं लग रहा है. हम इससे बेहद परेशान हैं. उम्मीद है कि पुलिस उसे ढूंढ लेगी.'
इस सवाल पर कि क्या उस बैग में पैसे थे. रुचि ने कहा 'नहीं, यह सच नहीं है.'
अब रुचि ने फिर अपने बयान में कहा कि उसके परिवार ने संदीप को छोड़ने के एवज में 30 लाख रुपये दिए हैं.
इस सवाल पर कि आपने फिरौती की रकम दी है या नहीं. रुचि ने कहा 'दी है, दी है. जिस दिन मेरा भाई आ जाएगा, उस दिन हम मीडिया बुलाकर सारे सबूत दिखा देंगे.'
इस सवाल पर कि उनका वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह कह रही हैं कि फिरौती की रकम नहीं दी गयी.
रुचि ने कहा कि वह घटना का सारा विवरण दे चुकी हैं. यह अपर पुलिस अधीक्षक (दक्षिणी) अपर्णा गुप्ता और बर्रा थाना अध्यक्ष रंजीत राय को बचाने के लिए किया जा रहा है. ये लोग मेरे पास बयान बदलवाने आए थे.'
इस बीच, अपर पुलिस अधीक्षक (दक्षिणी) अपर्णा गुप्ता ने कहा कि अपहरणकर्ताओं को फिरौती चुकाए जाने का दावा सही नहीं है. जब अगवा हुए व्यक्ति के परिजन से पूछा गया कि वे वह धन कहां से लाये, तो वे संतोषजनक जवाब नहीं दे सके. बहरहाल, हम अपहृत व्यक्ति की तलाश कर रहे हैं.
उधर, बर्रा के थानाध्यक्ष तथा कुछ अन्य पुलिसकर्मियों द्वारा फिरौती की रकम देने का दबाव बनाने के पीड़ित परिजन के आरोप की विभागीय जांच के आदेश दिये गये हैं.
पुलिस के प्रवक्ता के मुताबिक बाबूपुरवा हलके के पुलिस क्षेत्राधिकारी आलोक सिंह को मामले की जांच कर रिपोर्ट जल्द से जल्द वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को सौंपने को कहा गया है.
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आलोक ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गयी है.
बता दें कि एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि गत 22 जून को संदीप यादव नामक एक लैब टेक्नीशियन का अपहरण कर लिया गया था. उसकी रिहाई के लिए 30 लाख रुपये फिरौती मांगी गई थी. इस सिलसिले में बर्रा थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था.
पीड़ित परिवार ने मंगलवार को आरोप लगाया था कि पुलिसकर्मियों के जोर देने पर उन्होंने फिरौती के लिए 30 लाख रुपए की रकम इकट्ठा की और उनके कहने पर सोमवार को उसे रेल की पटरी पर फेंक दिया. मगर अपहरणकर्ता लोग उस रकम को ले गए और यादव को छोड़ा भी नहीं.
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार ने कहा, "मैं उस मीडिया रिपोर्ट का संज्ञान ले रहा हूं जिसमें एक परिवार द्वारा 30 लाख रुपये की फिरौती दिए जाने का मामला सामने आया है. मैं पीड़ित परिवार से बात कर रहा हूं. अगर किसी ने कोई गलती की है तो उसे सजा मिलेगी. हम अपहृत व्यक्ति का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. अगर फिरौती की रकम चुकाई गई है तो उसे भी बरामद किया जाएगा.’
इनपुट: भाषा
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