अध्यापक शीतल पीटर बताती है कि, कोमा से बाहर आकर पाखी ने 12वीं की परीक्षा में अच्छे मार्क्स पाए हैं, पाखी की यह कहानी सबको प्रेरणा देने वाली है.
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महाराष्ट्र: महाराष्ट्र राज्य शिक्षा बोर्ड के 12 वी के नतीजे कल घोषित हुए. लेकिन इस नतीजे में खास बात ये रही की कोमा से बाहर आई छात्रा ने अपनी कड़ी मेहनत से 95.7 फीसदी मार्क्स प्राप्त किए है. नागपूर की छात्रा पाखी मोर ने यह कर दिखाया है. नागपूर की पाखी मोर यह 12वीं की पढाई कर रही थी. लेकिन नवंबर 2017 में एक नागपूर के महाराज बाग चौराहे पर हुए सड़क हादसे में वह गंभीर घायल हो गई और बाद में कोमा में चली गयी थी. उसके सिर पर गंभीर चोटे आई थी, नागपूर के अस्पताल में उसका ईलाज जारी था.
लेकिन उसकी तबीयत में कोई सुधार नही आया. तो उसके माता -पिता ने ईलाज के लिए मुबंई के अस्पताल में ले आए. पांच महिने के इलाज के बाद पाखी के हालात में सुधार हुआ. कोमा में चली गई पाखी की तबीयत में सुधार हुआ. वह कोमा से बाहर आई. लेकिन बोल नही पा रही थी. पाखी के पिता अरुण कुमार मोर बताते है की, इस हादसे के बाद पाखी कोमा में चली गयी थी.
वह बचेगी या नही ऐसे हालात थे, लेकिन हमने हिम्मत नहीं नही हारी, हम उसके ईलाज के लिए डटे रहे. डॉक्टरों के प्रयासों की वजह से पाखी बच गयी. पाखी की मां बताती हैं कि बेटी के इस हालात के कारन पिता का उस समय अपने बिज़नेस पर ध्यान हटा था. लेकिन बेटी पर ही उन्होंने ध्यान दिया. मै भी आर्किटेक्ट हूं लेकिन हमने बेटी के पढ़ाई पर फोकस किया.
उसके तरक्की के लिए समय दिया, और अच्छा रिजल्ट आया. हिस्लॉप कॉलेज की अध्यापक शीतल पीटर बताती है की , कोमा से बाहर आकर पाखी ने 12वीं की परीक्षा में अच्छे मार्क्स पाए है, पाखी की यह कहानी सबको प्रेरणा देने वाली है. छात्रा पाखी मोर बताया की, मैने लॉ के लिए एंट्रेंस एग्जाम दिया है. आगे मैं लॉ में करियर करना चाहती हूं. परिस्थिति कैसे भी हो आगे बढ़े रहना चाहिए.