इस मारबत उत्सव के माध्यम से समाजिक बुराइयों के खिलाफ संदेश दिया जाता है. सामाजिक बुराई पर प्रहार करने के लिए उस विषय पर 'बडग्या' बनाया जाता है यानि कि पुतला बनाया जाता है.
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नागपुर: महाराष्ट्र के नागपुर में मारबत त्योहार को काली-पीली मारबत बनाने के लिए जाना जाता है. इसमें एक महिला का बड़ा सा काला और पीला पुतला इस मारबत के जुलूस में लाया जाता है. लेकिन इस बार मारबत का बडग्या चर्चा का विषय रहा. दरअसल, इस मारबत के जुलूस में बडग्या के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का पुतला बनाया गया था. इस मारबत में पाकिस्तानी पीएम का पुतला लोगों के बीच आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा. इस दौरान लोगों वे इमरान खान के पुतले पर जमकर भड़ास भी निकाली.
इस साल मारबत त्योहार पर पाकिस्तानी पीएम इमरान खान का बडगा निकाला गया था. मारबत के लिए निकले जुलूस में लोगों ने बडग्या बने पाक पीएम इमरान के पुतले पर अपनी भड़ास निकाली. इस मारबत उत्सव के माध्यम से समाजिक बुराइयों के खिलाफ संदेश दिया जाता है. सामाजिक बुराई पर प्रहार करने के लिए उस विषय पर 'बडग्या' बनाया जाता है यानि कि पुतला बनाया जाता है. इस बार मोदी सरकार के आर्टिकल 370 हटाने की घोषणा के बाद पाकिस्तानी पीएम इमरान खाने ने गीदड़भभकी दी थी. इसी गीदड़भभकी को विषय बनाने हुए इमरान खान का 'बड़ग्या' बनाया गया था. साथ आर्थिक मंदी और बेरोजगारी का भी पुतला बनाया गया था.
काली-पीली मारबत की मुलाकात नागपुर के नेहरुचौक में हुई. इसे देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ी थी. यहां बुराई पर सामाजिक संदेश दिया जाता है. बता दें कि नागपुर में 138 साल पहले से मारबत-बडग्या की परंपरा चल रही है. पोला उत्सव के दूसरे दिन मारबत निकलती है. बताया जाता है कि 1881 में नागपुर के भोसले राजघराने की बकाबाई नामक महिला विद्रोह कर अंग्रेजों से जा मिली थी. इसके बाद भोसले घराने पर बुरे दिन आ गए थे. इसी बकाबाई के विरोध में काली-पीली मारबत का जुलूस निकालने की परंपरा चली आ रही है. लगभग 10 सें 15 फिट के पुतले बनाकर भड़ास निकाली जाती है.