मामले को लेकर आरएसएलडीसी के मैनेजिंग डायरेक्टर समित शर्मा ने कहा, हमने पूरे प्रदेशभर में अलग-अलग टीमें बनाकर आईटीआई सेंटर्स की पड़ताल करवाई है.
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जयपुर: राजस्थान की राजधानी जयपुर के सीतापुरा का विवेकानंद आईटीआई कॉलेज. इसका नाम सरकारी दस्तावेजों में तो दर्ज है, लेकिन इस जगह फैक्ट्री संचालित हो रही है. सुनकर आपको थोड़ा अजीब लग रहा होगा, लेकिन इस तरह की तस्वीर राजस्थान के सभी जिलों में जी मीडिया की पड़ताल में सामने आई है.
जी मीडिया के साथ जब अफसरों ने भी मौका मुआयना किया तो उनकी भी आंखे फटी की फटी रह गईं और फिर शुरू राजस्थान में आईटीआई कॉलेजों के छानबीन का दौर. फर्जी कॉलेजों की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि आरएसएलडी के अफसरों को भी पसीना आ गया. सरकारी आकंड़ों के अनुसार राजस्थान में करीब 250 से ज्यादा आईटीआई सेंटर कागजों से बाहर ही नहीं निकल पाए हैं और जिन जगहों पर आईटीआई सेंटर का संचालन होना था, वहां चल रही हैं निजी फैक्ट्रियां और उनमें काम कर रहे हैं मजदूर.
मामले को लेकर आरएसएलडीसी के मैनेजिंग डायरेक्टर समित शर्मा ने कहा, हमने पूरे प्रदेशभर में अलग-अलग टीमें बनाकर आईटीआई सेंटर्स की पड़ताल करवाई है. जहां सामने आया कि जिस जगह पर आईटीआई सेंटस कागजों में है, वहां फैक्ट्रियां स्कूल संचालित हो रहे हैं. जिसके बाद अब उनको नोटिस देने की कार्रवाई की जा रही है.
आईटीआई कॉलेज में युवाओं में हुनर तराशने के लिए सरकार करोड़ों रूपए का फंड देती है लेकिन सवाल ये है कि इस फंड से किसका हुनर तराशा जा रहा है. ये अफसरों को भी नहीं पता. जब जी मीडिया ने पड़ताल की तो सामने आया कि जयपुर में आईटीआई कॉलेज में पंजीकृत बच्चों की संख्या कागजों में तो है, लेकिन जब उन्हे खंगाला गया तो एक भी बच्चा नहीं मिला.