सुरक्षाबलों को स्कूलों, कॉलेजों के बाहर तैनात किया गया है ताकि कोई शरारती तत्व शिक्षण संस्थानों के भीतर जाकर माहौल ना बिगाड़ सके.
Trending Photos
श्रीनगर: अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से कश्मीर घाटी में स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी को आज फिर से खोल दिया गया है. सरकार ने आज से शिक्षण संस्थानों को सामान्य रूप से काम करना करने का निर्देश जारी किया है. इस आदेश के बाद बुधवार सुबह से शिक्षकों और प्रोफेसरों को स्कूलों और कॉलेजों में जाते देखा गया. छात्र भी दिखे मगर उनकी हाज़री कम देखी गई. कुछ छात्र क्लास अटेंड करने आए थे तो कुछ छात्र आगामी परीक्षाओं और असाइनमेंट के बारे में पूछताछ करने के लिए आए थे.
यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि सुरक्षाबलों को स्कूलों, कॉलेजों के बाहर तैनात किया गया है ताकि कोई शरारती तत्व शिक्षण संस्थानों के भीतर जाकर माहौल ना बिगाड़ सके. जिन छात्रों से जी मीडिया टीम की बात हुई उनका कहना था कि जब भी हालत बिगड़ते हैं तो उसका असर सब से ज्यादा छात्रों और उनकी शिक्षा पर पड़ता है. छात्रों की मांग थी कि यह मामले शांति से निपटने चाहिए ताकि युवा पीड़ित ना हों.
छात्र अकीब ने कहा, "बंद के पीछे चाहे किसी का भी हाथ हो लेकिन हम छात्रों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है. हमारे पर बुरा असर पड़ रहा है. अगर हम पढ़ाई नहीं करेंगे तो हालात ऐसे ही रहेंगे और आप फिर हमसे क्या उम्मीद रखेंगे कि हम आगे जाकर क्या करेंगे. हम ऐसे कह सकते हैं कि कश्मीर की एक पूरी जनरेशन तबाह हो रही है. अगर देखें तो बाहर राज्यों में बच्चे सामान्य पढ़ाई कर रहे हैं. अगर ऐसे ही चलता रहा तो हम उनके साथ कैसे कम्पीट कर सकेंगे. हम चाहते हैं कि हालातों में सुधार हो ताकि हम अच्छे से पढ़ाई कर सकें. अगर हम अभी आ रहे हैं तो खौफ और डर के बीच आ रहे हैं.
एक युवा किसी भी कौम की नींव रखता है और यह जरूरी है कि युवा पीढ़ी को राजनीति से दूर रखा जाए. छात्र मानते हैं कि जब कभी भी बांध या हालात बिगड़ जाते हैं तो उसका असर विद्यार्थियों पर पड़ता है और जब एजुकेशन सिस्टम कमजोर होता है तब विकास नहीं होता. एक अन्य कश्मीरी छात्र बशीर अहमद कहता है, "सब से पहले मैं यही बात कहना चाहता हूं जो हर वक्त हड़ताल, स्ट्राइक होती हैं उससे जो नुकसान होता है वो एजुकेशन सिस्टम पर सीधा होता है. जब हमारे राज्य या किसी भी राज्य की बात करें तो जब एजुकेशन सिस्टम कमजोर होता है तो तो विकास भी कमजोर रहता है."
देखें लाइव टीवी
अध्यापक भी मानते हैं कि यह बहुत अच्छा कदम है लेकिन माहौल में अभी भी डर है. उनका कहना है कि सरकार को कुछ कदम उठाने चाहिए ताकि अमन आए क्योंकि इसमें छात्र ही पिसता है. अध्यापक चाहते हैं कि जल्द से जल्द ही कुछ होना चाहिए, पहले भी जब हालत खराब हुए तब भी छात्रों को ही पीड़ा सहनी पड़ी.
अध्यापक गौहर अहमद कहते हैं, "मेरे ख्याल से यह बहुत अच्छा कदम है. मगर जो माहौल है कश्मीर में उसमें बहुत डर है. माता-पिता डर रहे हैं कि बच्चों को स्कूल भेजे की नहीं. काफी असर पड़ा है. अब जल्द से जल्द अमन की कोई बात होनी चाहिए. जल्द से जल्द स्कूल पूरी तरह खुलने चाहिए. पहले भी 2016 में छात्रों को ही सहना पड़ा था. कुछ ऐसा रास्ता निकालना चाहिए ताकि छात्रों का मुस्तकबिल खराब ना हो."
कुछ लोग मानते हैं कि सरकार को ऐसे कदम भी उठाने चाहिए कि बच्चे स्कूल या अन्य शिक्षण संस्थानों तक पहुंच पाएं. पब्लिक ट्रांसपोर्ट खुलना चाहिए. कम्यूनिकेशन चलनी चाहिए. तब तक मुश्किल है कि सब बच्चे स्कूल जा सकें. बिना कम्यूनिकेशन हर कोई सफर करता है. कश्मीरी युवा रुबान कहते हैं, "सरकार ने ऐलान किया है कि स्कूल कॉलेज खुलेंगे मगर स्कूल और कॉलेज बच्चे तभी जाएंगे जब ट्रांसपोर्ट होगा. अगर कुछ हुआ तो घर वाले तो घबरा जाएंगे. जब तक ट्रांसपोर्ट और कम्यूनिकेशन नहीं खुलेगा तब तक मुश्किल है."
आकिब अहमद कहते हैं, "पढ़ाई तो सफर होती है लेकिन मुश्किल यह है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं है. कम्यूनिकेशन भी नहीं है. इसलिए बच्चों का क्लास अटेंड करना मुश्किल है. हर किसी के पास अपनी गाड़ी है. हमेशा स्टूडेंट सफर करते हैं. पिछले महीने सरकार ने स्कूलों को खोलने का निर्देश दिया था लेकिन राज्य की स्थिति खराब होने से यह कदम तब असफल रहा. मगर आज यह कुछ हद तक सफल होता दिख रहा है मगर पूरी तरह इसको सफल बनाए जाने के लिए अभी और कदम उठाने जरूरी है. हालांकि प्रशासन ने शिक्षण संस्थानों को अगस्त से कोई ट्यूशन फीस या बस फीस ना लेने को कहा है.