सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर प्रशासन को 2 मार्च तक जवाब दाखिल करने को कहा है.
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) की हिरासत की वैधता का परीक्षण करेगा. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जम्मू-कश्मीर जन सुरक्षा कानून (PSA), 1978 के तहत जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की नज़रबंदी को चुनौती देने वाली उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट की याचिका पर जम्मू कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) प्रशासन को 2 मार्च तक जवाब दाखिल करने को कहा है. सारा ने अपनी याचिका में कहा है कि अब्दुल्ला को हिरासत में रखना स्पष्ट रूप से गैरकानूनी है और उनसे कानून व्यवस्था को किसी खतरे का कोई सवाल ही नहीं है. याचिका में अब्दुल्ला को पीएसए के तहत हिरासत में रखने के पांच फरवरी के आदेश को रद्द करने के साथ उन्हें अदालत के समक्ष पेश कराने का अनुरोध किया गया है.
सारा ने कहा कि प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि संविधान के अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के खिलाफ विरोध को दबाया जा सके, गलत तरीके से दंड प्रक्रिया संहिता का इस्तेमाल कर राजनीतिक नेताओं और लोगों को हिरासत में रखा है. उमर की बहन ने अपनी याचिका में कहा कि अब्दुल्ला को हिरासत में लेना संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 22 का उल्लंघन है.
बता दें उमर अब्दुल्ला पिछले साल अगस्त में अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के बाद से श्रीनगर के हरि निवास में हिरासत में हैं. उमर अब्दुल्ला के खिलाफ छह फरवरी 2020 को पीएसए के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया था, जब छह महीने हिरासत में रहने के बाद वह रिहा होने वाले थे.