तमिलनाडु प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने स्टारलाइट प्लांट का लाइसेंस रिन्यू नहीं किया था, उल्टा प्लांट की लाइट काटने के आदेश दिए थे.
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नई दिल्ली : तमिलनाडु के तूतीकोरिन में वेदांता समूह के स्टारलाइट कॉपर प्लांट को राज्य सरकार ने बंद करने के आदेश दिए हैं. इस प्लांट को बंद करने की मांग पर काफी विरोध-प्रदर्शन हो रहे थे. पिछले दिनों हुए हिंसक प्रदर्शन में 13 लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे. लोगों का आरोप है कि प्लांट के कारण इलाके का पानी और हवा, दोनों ही प्रदूषित हो रहे हैं. पानी में आर्सेनिक और कैडमियम प्रदूषण होने से लोगों में नई-नई बीमारियां पैदा हो रही हैं.
सोमवार को तमिलनाडु के डिप्टी सीएम ओ. पनीरसेल्वम ने इस प्रदर्शन के दौरान घायल हुए लोगों का हालचाल जानने के लिए अस्पताल का दौरा किया. उन्होंने कहा कि पीड़ित लोगों को आर्थिक सहायता दी जा चुकी. इस दौरान उन्होंने कहा है कि तूतीकोरिन का स्टरलाइट कॉपर कारखाना बंद होना चाहिए. उनके इस बयान के कुछ समय बाद ही सरकार ने कारखाने को बंद करने के आदेश जारी कर दिए.
उधर, कर्नाटक के सूचना प्रसारण मंत्री के. राजू ने बताया है कि वेदांता समूह के इस कारखाने को 9 अप्रैल को बंद बंद कर दिया गया था, क्योंकि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसका लाइसेंस रिन्यू नहीं किया था. इसके अलावा स्टरलाइट के विस्तार पर मद्रास हाईकोर्ट ने भी रोक लगा दी है. राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश में बताया गया कि 23 मई को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्लांट को बंद करने और उसकी बिजली सप्लाई काटने के निर्देश दिए थे.
Visuals from outside #Sterlite plant, closure of the plant has been ordered following death of 13 people in police firing during anti-Sterlite protests in #Thoothukudi pic.twitter.com/cxoWsjdVG0
— ANI (@ANI) 28 मई 2018
आदेश में जल अधिनियम 1974 की धारा 18 (1)(बी) के तहत बड़े पैमाने पर जनहित को देखते हुए राज्य सरकार ने तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की प्लांट को बंद करने की सिफारिशों का समर्थन किया है और बोर्ड को प्लांट को सील करने के निर्देश दिए हैं.
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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ईके पलानीस्वामी ने बताया कि पिछले गुरुवार को राज्य सरकार ने स्टारलाइट को बंद करने के लिए कानूनी कार्रवाई के लिए तमाम मुद्दों पर चर्चा की थी. इसके बाद तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्लांट को बंद करने के संबंध में ये कदम उठाए हैं.
प्रदर्शन में 13 की मौत
बता दें कि तूतीकोरिन 22 मई को तूतीकोरिन में स्टरलाइट कॉपर संयंत्र के खिलाफ करीब 20 हजार लोगों की बड़ी भीड़ इकट्ठा हो गई थी. भीड़ इस प्लांट को बंद करने की मांग कर रही थी. लोगों की कहना था कि इस प्लांट के कारण पूरे इलाके का पानी दूषित हो गया है और हवा तथा पानी में बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगों को नई-नई बीमारियां हो रही हैं. देखते ही देखते भीड़ की यह मांग हिंसक प्रदर्शन में बदल गई. पुलिस ने भीड़ को काबू करने के लिए गोलियां चलाईं. इस घटना में 13 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोग घायल हुए थे. इस घटना के बाद कई दिनों तक पूरे राज्य में तनाव बना रहा.
सुप्रीम कोर्ट ने शीघ्र सुनवाई से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने तूतीकोरिन में स्टरलाइट के तांबा पिघलाने के संयंत्र के आसपास भूजल में आर्सेनिक और कैडमियम प्रदूषण पर नियंत्रण के प्रयासों के बारे में तमिलनाडु सरकार को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देने के लिए दायर याचिका पर शीघ्र सुनवाई से सोमवार को इंकार कर दिया. न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एमएम शांतागौडार की पीठ ने कहा कि इस याचिका पर ग्रीष्मावकाश के बाद जुलाई में सामान्य प्रक्रिया में सुनवाई की जायेगी. पीठ ने इस पर शीघ्र सुनवाई करने से इंकार कर दिया.
यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता पी. शिव कुमार ने अपने वकील एन. राजारमण के माध्यम से दायर की है. उन्होंने पुलिस और दूसरे लोगों के बीच होने वाली झड़प में मारे गये लोगों की सूचना दर्ज करने संबंधी राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के दिशानिर्देशों पर अमल के संदर्भ में तूतीकोरिन पुलिस की फायरिंग में 22 और 23 मई को 13 व्यक्तियों की मृत्यु को दर्ज करने के बारे में भी स्थित रिपोर्ट पेश करने का राज्य सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया है.
पिछले सप्ताह अधिवक्ता जीएस मणि ने भी तमिलनाडु में स्टरलाइट के खिलाफ आयोजित रैली के दौरान प्रदर्शनकारियों की मृत्यु की न्यायालय की निगरानी में सीबीआई से जांच कराने के लिये शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी. इस याचिका में तूतीकोरिन के कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ हत्या के कथित अपराध के लिये प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.