सर पर पंचायत चुनाव है लेकिन सरपंच डर के मारे फिल्ड में निकल नहीं पा रहे हैं. ऐसे में सरपंच संघ ने सरकार से जल्द भुगतान करने की मांग की है.
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अखिलेश शर्मा, डूंगरपुर: प्रदेश के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में नरेगा ही आदिवासियों की आजीविका का एक मात्र साधन है लेकिन लम्बे समय से भुगतान नहीं होने से ये योजना हाशिये पर आ गई है. पहले दिवाली बिगड़ी फिर होली पर रंग फीके हुए और विधानसभा और लोकसभा चुनाव भी हो गए लेकिन नरेगा श्रमिको और व्यापारियों को अभी तक भुगतान नहीं हुआ है.
डूंगरपुर जिले में श्रमिकों को सितम्बर 2018 से भुगतान नहीं मिला है जिसका बजट करीब 3 करोड़ 6 लाख 22 हजार रुपए बताया जा रहा है. वहीं कुछ ऐसे ही हाल सामग्री मद के भी हैं. डूंगरपुर जिले में सितम्बर 2018 से ही व्यापारियों को सामग्री मद का 78 करोड़ 95 लाख रुपए का भुगतान नहीं हो पाया है.
डूंगरपुर जिले में लम्बे समय से बकाया चल रहे करोड़ो के बजट से जहां कुशल नरेगा श्रमिको की स्थिति खराब है वहीं सामग्री मद का भुगतान भी नहीं होने से व्यापारियों की भी कमर टूट गई है. इधर लम्बे समय से नरेगा योजना में भुगतान नहीं होने पर सरपंच संघ के अध्यक्ष ने कहा कि डूंगरपुर जिले में नरेगा योजना में हालत ख़राब हो गई है. व्यापारी का उधार होने से सरपंचो का बाजार में निकलना मुश्किल हो गया है.
इधर इस मामले में कांग्रेस के डूंगरपुर प्रधान लक्ष्मण कोटेड ने भुगतान नहीं मिलने के कारण केंद्र की मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया. बहरहाल डूंगरपुर जिले में नरेगा योजना में श्रम और सामग्री मद का भुगतान हुए एक साल बीत गया है. जिसके चलते सरपंच, नरेगा श्रमिक और व्यापारी सभी परेशान हैं. वहीं भुगतान नहीं होने से नरेगा योजना में होने वाले काम भी ठप हो गए हैं. खेर अब देखने वाली बात होगी कि सरकार से बकाया बजट कब जारी होता है और कब तक कुशल श्रमिको और व्यापारियों को उनकी राशि मिल पाती है.