उदयपुर: बिजली चोरी कर रहा राजीव गांधी सेवा केंद्र, पड़ताल में हुआ खुलासा
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उदयपुर: बिजली चोरी कर रहा राजीव गांधी सेवा केंद्र, पड़ताल में हुआ खुलासा

दरअसल, केन्द्र के भवन के लिए बिजली के पोल से लाइट का कनेक्शन लिया हुआ है. लेकिन उसे मीटर में जोड़ने के बजाए सीधा कनेक्ट करके बिजली इस्तेमाल की जा रही है. 

उदयपुर: बिजली चोरी कर रहा राजीव गांधी सेवा केंद्र, पड़ताल में हुआ खुलासा

अविनाश जगनावत, उदयपुर: जिले में भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केंद्र बिजली चोर है. यहां पर मीटर लगा होने के बावजूद विद्युत पोल से अलग से बिजली का तार लगा दिया गया है और अफसरों को खुलेआम होती वो चोरी नहीं दिखती जो ज़ी मीडिया के कैमरे में कैद हुई है. आपने कई ऐसे मामले सुने होंगे जिसमें बिना इस्तेमाल किए ही विद्युत विभाग ने उपभोक्ता को गलत बिजली का बिल भेज दिया हो लेकिन यहां तो उल्टा ही हो गया है. वो भी बिजली विभाग के दफ्तर से चंद किलोमीटर की दूरी पर.

पूरा मामला है उदयपुर शहर से सटे बदेला पंयात का. यहां बना भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केन्द्र लोगों की आशाओं पर कितना खरा उतर रहा है यह तो किसी को नहीं मालूम लेकिन यह केन्द्र सरकार को ही चूना लगाने में काई कसर नहीं छोड़ रहा है. दरअसल, केन्द्र के भवन के लिए बिजली के पोल से लाइट का कनेक्शन लिया हुआ है. लेकिन उसे मीटर में जोड़ने के बजाए सीधा कनेक्ट करके बिजली इस्तेमाल की जा रही है. 

हालांकि, मुख्य लाइन में विद्युत विभाग का मीटर भी लगा हुआ है. जिसमें पहले कनेक्शन किया गया था लेकिन बिजली का बिल नहीं भरना पड़े इसके लिए विद्युत लाइन को मीटर से अलग करके सीधा बिजली चोरी की जाने लगी और वहां आने वाले सरकार के जिम्मेदार नुमाइंदे और जन प्रतिनिधि धड़ल्ले से चोरी की बिजली में मौज कर रहे हैं. जब बिजली चोरी की इस करतूत के बारे में बदेला ग्राम पंचायत के सरपंच नरेश प्रजापत से सवाल पूछा गया तो उन्होंने इस बारे में कुछ पता होने से ही इनकार कर दिया.

आप खुद समझिए कि सरपंच को पता ही नहीं है कि उसके गांव में राजीव गांधी सेवा केंद्र में बिजली आती कहां से है. इसका बिल कौन भरता है. ऐसे में सरपंच गांव का विकास कितना और कैसे करते हैं, इसे बताने की ज़रूरत नहीं. बहरहाल विद्युत चोरी को रोकने के लिए विभाग के जिम्मेदार अधिकारी लाख दावें भले ही करते हों लेकिन शहर के चंद किलोमीटर दूर पंचायत भवन की इस करतूत पर आंखें मूंदे रखना कहीं न कहीं मिलीभगत की ओर भी इशारा करता है. ऐसे में देखना दिलचस्प यह होगा कि आखिर अब ये अधिकारी चोरी की बिजल का उपयोग करने वाली इस पंचायत के खिलाफ क्या कार्यवाई करते हैं.

--सतेंद्र यादव, न्यूज डेस्क

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